Air India Plane Crash, Vijay Rupani Death: गुजरात में भीषण विमान हादसा हुआ है। एअर इंडिया के विमान में 242 यात्री सवार थे और हादसे में अभी तक केवल एक व्यक्ति बचा है। यह विमान अहमदाबाद से लंदन जा रहा था। इसी विमान में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता विजय रुपाणी भी सवार थे। इस हादसे में विजय रुपाणी की भी मौत हो गई है। विजय रुपाणी की गिनती बीजेपी के बड़े नेताओं में होती थी और वह पीएम मोदी और अमित शाह दोनों के करीबी माने जाते थे।
विजय रुपाणी का राजनीतिक जीवन काफी सफल रहा। विजय रुपाणी का जन्म बर्मा में हुआ था। उनका जन्म जैन परिवार में हुआ था, लेकिन बर्मा में राजनीतिक अस्थिरता के कारण 1960 में वह अपने परिवार के साथ गुजरात के राजकोट में बस गए। विजय रुपाणी ने 16 साल की उम्र में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ज्वाइन कर लिया और उसके बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य रहे।
इसके बाद जब बीजेपी का गठन हुआ तब रुपाणी ने पार्टी का दामन थाम लिया। 1978 से लेकर 1981 तक विजय रुपाणी RSS के प्रचारक भी थे। वहीं 1976 में जब पूरे देश में इमरजेंसी लागू थी, तब विजय रुपाणी को 11 महीने तक भुज और भावनगर की जेल में रखा गया था। विजय रुपाणी ने पहली बार चुनाव राजकोट म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के कॉरपोरेटर का 1987 में लड़ा और वह जीत गए। इसके बाद 1995 में वह राजकोट म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन बन गए। 1996 में विजय रुपाणी राजकोट के मेयर बन गए थे। इसके बाद 1998 में उन्हें गुजरात बीजेपी का जनरल सेक्रेटरी बना दिया गया।
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2006 में जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने विजय रुपाणी को गुजरात टूरिज्म का चेयरमैन बनाया था। इसी दौरान रुपाणी को राज्यसभा भी भेजा गया। 2014 में नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बन चुके थे। उसके बाद गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल बनी थीं। अगस्त 2014 में गुजरात विधानसभा के स्पीकर राजकोट पश्चिम विधानसभा सीट से इस्तीफा दे देते हैं। इसके बाद यहां पर उपचुनाव होता है और विजय रुपाणी को पार्टी उम्मीदवार बनाती है। इस चुनाव में विजय रुपाणी ने बड़े अंतर से जीत हासिल की थी।
इसके बाद विधानसभा पहुंचते ही विजय रुपाणी को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया और उन्हें ट्रांसपोर्ट, जल शक्ति, लेबर और एम्प्लॉयमेंट जैसे अहम विभाग दिए गए। फरवरी 2016 में विजय रुपाणी को गुजरात बीजेपी का अध्यक्ष बना दिया जाता है। यह साल विजय रुपाणी के लिए सबसे अच्छा साबित हुआ, क्योंकि अध्यक्ष बनने के 6 महीने बाद ही यानी अगस्त 2016 में विजय रुपाणी को गुजरात का मुख्यमंत्री बना दिया जाता है।
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विजय रुपाणी ने मुश्किल हालात में प्रदेश की कमान संभाली थी। दरअसल जब नरेंद्र मोदी गुजरात के बाद दिल्ली आए, उसके बाद आनंदीबेन पटेल को वहां पर मुख्यमंत्री बनाया गया। लेकिन आनंदीबेन पटेल के खिलाफ पार्टी में भी गुटबाजी का दौर शुरू हो गया। 2015 से ही पाटीदार आंदोलन भी शुरू हो गया था। इसके बाद भाजपा ने पूर्व प्रभारी ओम प्रकाश माथुर को गुजरात भेजा और राजनीतिक परिस्थितियों पर रिपोर्ट तैयार कराई। माथुर ने अपनी रिपोर्ट पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को सौंपी थी। अमित शाह तब बीजेपी अध्यक्ष थे।
माथुर ने अपनी रिपोर्ट को कहा था कि पाटीदारों के आंदोलन को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और पार्टी और राज्य सरकार में गुटबाजी को खत्म करना चाहिए। माथुर ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा था कि सरकार और पार्टी के बीच में समन्वय की कमी है और इसे जल्दी से दूर करना होगा। ओम माथुर ने कहा था कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है। हालांकि इसके बाद आनंदीबेन पटेल ने खुद ही इस्तीफा दे दिया था और उन्होंने कहा था कि वह इस साल 75 साल की होने वाली है और इस कारण उन्होंने इस्तीफा दिया है। इसके बाद आनंदीबेन पटेल को गवर्नर बना दिया गया था।
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विजय रुपाणी जब मुख्यमंत्री बने, तब उनके सामने चुनौतियां काफी अधिक थी। पाटीदारों के आंदोलन की नाराजगी को दूर करना था तो वहीं पार्टी और सरकार में गुटबाजी को भी खत्म करना था। उनके पास इन सब कामों के लिए महज 15 से 16 महीने ही थे, क्योंकि दिसंबर 2017 में विधानसभा चुनाव होने वाले थे। हालांकि विजय रुपाणी के साथ नितिन पटेल को गुजरात का उपमुख्यमंत्री बनाया गया था।
विजय रुपाणी को अमित शाह का भी करीबी माना जाता है। उन्होंने मेहनत की और 2017 में बीजेपी को जीत तो मिली लेकिन काफी कम अंतर से। 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी महज 99 सीटें ही जीत पाई थी। जबकि कांग्रेस ने 77 सीटें जीती थी। उस दौरान कांग्रेस को पाटीदार आंदोलन का जबरदस्त फायदा हुआ था। हार्दिक पटेल जो अब बीजेपी से विधायक हैं, वह इस आंदोलन की अगुवाई कर रहे थे। आंदोलन के कई चेहरों ने उस दौरान कांग्रेस को समर्थन भी दिया था।
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बीजेपी जीत गई और एक बार फिर से पार्टी ने भरोसा करते हुए विजय रुपाणी को ही प्रदेश की कमान सौंपी। विजय रुपाणी मुख्यमंत्री बने और उन्होंने अगले 4 साल तक प्रदेश की कमान संभाले रखी। इसके बाद अचानक 11 सितंबर 2021 को विजय रुपाणी ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी ने भूपेंद्र पटेल को गुजरात का नया मुख्यमंत्री बनाया। 2022 में गुजरात में फिर से विधानसभा चुनाव थे और बीजेपी को बड़े अंतर से जीत मिली।
2022 के विधानसभा चुनाव में विजय रुपाणी चुनाव नहीं लड़े थे। हालांकि इसके बाद पार्टी लगातार संगठन में उन्हें जिम्मेदारियां देती रही। वर्तमान में विजय रुपाणी पंजाब के प्रभारी थे। अहमदाबाद में हुए दुखद प्लेन हादसे में विजय रुपाणी का निधन हो गया है। वह अपनी बेटी और पत्नी से मुलाकात करने लंदन जा रहे थे। बीजेपी के बड़े नेताओं ने विजय रुपाणी के निधन पर दुख जताया है।