आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में खानपान से लेकर लाइफस्टाइल तक सब बदल चुका है, जिसके चलते कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी तेजी से बढ़ने लगी है। ऐसे ही कैंसर की बीमारी भी अब लोगों अधिक प्रभावित कर रही है। युवाओं में भी कैंसर के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। कैंसर को जानलेवा बीमारी कहा जाता है, जो एक बार किसी को हो जाए तो धीरे-धीरे शरीर के अंगों को प्रभावित और कमजोर करती रहती है। नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट डेटाबेस के विश्लेषण के अनुसार, शोधकर्ताओं ने पाया कि पुरानी पीढ़ियों की तुलना में जेन एक्स में अपेंडिक्स कैंसर की दर तीन गुनी और मिलेनियल्स में चार गुनी हो गई है। यह रिपोर्ट एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित हुई थी।
एनबीसी न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर और वेंडरबिल्ट इनग्राम कैंसर सेंटर में हेमाटोलॉजी और ओन्कोलॉजी की सहायक प्रोफेसर और अध्ययन की प्रमुख लेखिका एंड्रियाना होलोवाट्यज ने कहा कि युवायों में अपेंडिक्स कैंसर के मामले बढ़े हैं। उन्होंने बताया कि हर तीन में से एक अपेंडिक्स कैंसर का निदान 50 वर्ष से कम उम्र के वयस्कों में होता है। कभी मामूली ऑपरेशन मानकर नजरअंदाज कर दिया जाने वाला अपेंडिक्स अब एक नई स्वास्थ्य चुनौती बनकर उभर रहा है।
अमेरिकी और यूरोपीय अध्ययनों में पाया गया कि 20 से 35 वर्ष की उम्र के युवाओं में अपेंडिक्स कैंसर के मामले बीते एक दशक में 20-30% तक बढ़े हैं। जिसका मुख्य कारण अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स और वेस्टर्न डाइट, जीवाणु असंतुलन, जेनेटिक म्यूटेशन, हार्मोनल बदलाव और लंबे समय तक सूजन रहना आदि है।
अपेंडिक्स कैंसर आंतों के सिरे पर मौजूद छोटे थैले में होने वाला एक दुर्लभ, लेकिन तेजी से बढ़ने वाला कैंसर है। यह तब होता है जब इस अंग की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं। शुरुआती स्टेज में इसके लक्षण बहुत हल्के होते हैं या अपेंडिसाइटिस जैसे ही दिखते हैं।
एंड्रियाना होलोवाट्यज ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधि कैंसर रजिस्ट्रियों से डेटा के मुताबिक, जो अमेरिका की लगभग 45.9% आबादी को कवर करता है। 1975 से 2019 तक अपेंडिक्स कैंसर के 4,858 मामले थे। होलोवाट्यज ने कहा कि लगभग 95% अपेंडिक्स कैंसर का पता तब तक नहीं चलता जब तक व्यक्ति को अपेंडिसाइटिस न हो जाए और अपेंडिक्स को हटाकर पैथोलॉजिस्ट द्वारा जांच न कर ली जाए। उन्होंने कहा कि इसके चलते कैंसर का पता देर से चलता है और इलाज में देरी होती है।
उन्होंने कहा कि युवाओं में अपेंडिक्स कैंसर के मामले बढ़ना गंभीर चिंता का विषय है। इसे हल्के में लेना अब खतरनाक साबित हो सकता है। खराब लाइफस्टाइल, प्रोसेस्ड फूड और लंबे समय तक नजरअंदाज किए गए लक्षण इस समस्या को जन्म दे सकते हैं। इसलिए पेट दर्द या अपच जैसे लक्षण लगातार बने रहें, तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
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