हीट वेव और भीषण गर्मी के बीच, जहां 16 डिग्री सेल्सियस पर सेट एयर कंडीशनर भी कमरे को ठंडा नहीं कर पा रहे हैं, ऐसे में सरकार एसी के लिए न्यूनतम और अधिकतम टेम्परेचर सेटिंग्स को लागू करने के लिए एक नए नियम पर विचार कर रही है।
केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मंगलवार को बताया कि एयर कंडीशनर के टेम्परेचर को स्टैंडर्डाइज करने के लिए नए नियमों को जल्द लागू किया जाएगा। नई गाइडलाइंस के तहत भारत में एसी के तापमान को 20 से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच सेट किया जाएगा।
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केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘जहां तक एसी टेम्परेचर स्टैंडर्डाइज करने की बात है, ये भी एक नया प्रयोग-प्रावधान करने जा रहे हैं। अब एसी का टेम्परेचर 20 से 28 डिग्री रहेगा। यानी 20 डिग्री से कम उसकी कूलिंग नहीं कर सकते और 28 डिग्री से ज्यादा वार्मिंग नहीं कर सकेंगे।
उन्होंने आगे कहा, ‘अभी जापान में एसी टेम्परेचर को 26-27 डिग्री पर स्टैंडर्डाइज किया हुआ है और इटली में 23 डिग्री पर ही एसी चलाने का नियम है।’
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मनोहर लाल खट्टर ने आगे कहा, ‘इन देशों को हम बहुत ज्यादा अपने से आगे, डिवेलप मानते हैं, वहां इस तरह के स्टैंडर्ड हैं। और हमने बहुत डरते-डरते अभी 20 डिग्री किया है। इसका एक अनुभव आने के बाद आगे भी विचार किया जाएगा। और मुझे लगता नहीं है कोई 20 डिग्री से नीचे करके सोता होगा। अभी सर्वे है में है कि लोग कहते हैं कि इसे 24 फीसदी कर दें, लेकिन कुछ लोग विरोध ना करना शुरू कर दें, इसलिए अभी 20 से 28 डिग्री के बीच किया गया है।’
सरकार बिजली की अत्यधिक खपत को कम करने और पावर ग्रिड पर बोझ को कम करने के प्रयास में एसी तापमान सेटिंग्स को मानकीकृत (standardise) करने की योजना बना रही है।
बता दें कि फिलहाल देश में एयर कंडीशनर को 16°C से 30°C रेंज के बीच ऑपरेट किया जाता है। आने वाले नियमों का इरादा, रेंज को लिमिट करके बिजली की खपत को कम करना और बोझ कम करने की है।
Bloomberg की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘एसी के तापमान में एक डिग्री सेल्सियस का इजाफा करने से बिजली की खपत 6 डिग्री कम हो जाती है। इसका मतलब है कि अगर हर कोई अपना एसी 1 डिग्री ज्यादा पर चलाए तो हम पीक टाइम में 3 गीगावाट बिजली बचा सकते हैं।’
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले के एक अध्ययन के अनुसार, नए नियम, 2035 तक अधिकतम बिजली की मांग में 60 गीगावाट तक की बचत करने में मदद कर सकते हैं। इससे नए बिजली संयंत्रों और ग्रिड बुनियादी ढांचे के निर्माण में 7.5 ट्रिलियन रुपये ($88 बिलियन) के निवेश की जरूरत खत्म हो जाएगी।
सरकार नए नियमों के अनुपालन की निगरानी करने की योजना बना रही है, हालांकि प्रवर्तन और लागू किए जाने के संबंध में विशिष्ट विवरण अभी तक घोषित नहीं किए गए हैं।