राजमा जिसे किडनी बींस भी कहा जाता है। राजमा भारतीय रसोई में बेहद पसंद किया जाने वाला प्रोटीन से भरपूर फूड है। आमतौर पर राजमा को चावल के साथ खाना लोगों को बेहद पसंद आता है। खासकर उत्तर भारत में राजमा-चावल का कॉम्बिनेशन लोगों की पहली पसंद होता है। राजमा प्रोटीन,आयरन और कार्बोहाइड्रेट्स से भरपूर होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर किसी के लिए राजमा खाना सेहतमंद नहीं होता? कुछ विशेष स्वास्थ्य स्थितियों में यह लाभ के बजाय नुकसान पहुंचा सकता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर कुछ बीमारियों से जूझ रहे लोग राजमा खाते हैं तो ये स्लो पॉइजन जैसा काम कर सकता है। आरोग्य डाइट और न्यूट्रीशन क्लीनिक की डायटीशियन डॉक्टर सुगीता मुटरेजा ने बताया कि किन लोगों को राजमा से दूरी बनानी चाहिए और इसके साइड इफेक्ट क्या हैं।
न्यूट्रीशन क्लीनिक की डायटीशियन डॉक्टर सुगीता मुटरेजा ने बताया कि कई लोगों का राजमा-चावल का कॉम्बिनेशन पहली पसंद होता है, लेकिन हर किसी के लिए राजमा का सेवन फायदेमंद की जगह नुकसानदेह हो सकता है। उन्होंने बताया कि राजमा में सबसे ज्यादा आयरन, मैग्नीशियम, कार्बोहाइड्रेट, पोटैशियम, फास्फोरस, फाइबर, सोडियम, कॉपर, फोलेट, कैल्शियम आदि होता है।
राजमा में हाई प्रोटीन और प्यूरिन होता है, जो किडनी पर ज्यादा दबाव डाल सकता है। क्रॉनिक किडनी डिजीज या कमजोर किडनी वाले लोगों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए। इससे यूरिक एसिड का लेवल बढ़ सकता है और किडनी से जुड़ी समस्या बढ़ सकती है।
राजमा में मौजूद कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट्स और फाइबर कुछ लोगों के पाचन तंत्र को भारी पड़ सकते हैं। इससे गैस, ब्लोटिंग, अपच और पेट फूलना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
राजमा में प्यूरिन की मात्रा अधिक होती है, जो शरीर में जाकर यूरिक एसिड में बदल जाता है। यह गठिया, जोड़ों के दर्द और सूजन को और बढ़ा सकता है। इसलिए जो लोग हाई यूरिक एसिड या गाउट की समस्या से पीड़ित हैं, उन्हें राजमा का सेवन सीमित करना चाहिए।
एम्स के पूर्व कंसल्टेंट और साओल हार्ट सेंटर के फाउंडर एंड डायरेक्टर डॉ. बिमल झांजेर के मुताबिक, फाइबर से भरपूर राजमा का सेवन पाचन को दुरुस्त करता है और कब्ज से निजात दिलाता है। इसमें फाइबर ज्यादा होता है और फैट बेहद कम होता है जिससे वजन कम रहता है।
राजमा का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल रहता है। दिल की सेहत को दुरुस्त रखने के लिए राजमा बेहद फायदेमंद है। इसका सेवन करने से हड्डियां मजबूत होती है और कैंसर जैसी बीमारी का उपचार होता है।
इसके अलावा हड्डियों की मजबूती के लिए खीरे के बीज का सेवन भी किया जा सकता है। खीरे के बीज ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी हड्डियों की बीमारियों को रोकने के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं।