लंदन जा रहा एअर इंडिया का विमान (AI-171) 12 जून को अहमदाबाद में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिसमें 242 यात्री और चालक दल के सदस्य सवार थे। विमान के एक मेडिकल कॉलेज परिसर में दुर्घटनाग्रस्त होने से उसमें सवार एक यात्री को छोड़कर बाकी सभी की मौत हो गई। वहीं, मेडिकल कॉलेज परिसर में मौजूद अन्य 29 लोगों की भी मौत हो गई। केंद्र सरकार ने हादसे की जांच के लिए एक हाई लेवल कमेटी गठित की है जो तीन महीने में अपनी रिपोर्ट देगी। इस बीच दुर्घटनाग्रस्त हुए विमान की जांच में सामने आया कि फ्लाइट ने असामान्य रूप से लंबा टेक-ऑफ रोल लिया।
TOI की रिपोर्ट के अनुसार ड्रीमलाइनर ने उड़ान भरने से पहले एयरपोर्ट के पूरे 3.5 किलोमीटर के रनवे का इस्तेमाल किया जबकि ऐसे विमानों के लिए सामान्यतौर पर 2.5 से 3 किलोमीटर रनवे की आवश्यकता होती है। उड़ान भरने से पहले कोई पूर्व चेतावनी जारी नहीं की गई थी।
एयरपोर्ट के एक सूत्र ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, “रनवे में बदलाव, थ्रस्ट में बदलाव या फ्लैप एडजस्टमेंट के लिए कोई अनुरोध नहीं किया गया था। मौसम की स्थिति स्थिर थी, विजिबिलिटी क्लियर थी, हालांकि तापमान अधिक था लेकिन वे सभी परिचालन सीमा के भीतर थे।” उन्होंने कहा कि उड़ान सामान्य मापदंडों के तहत आगे बढ़ी।
विमानन अधिकारी और विशेषज्ञ अब बारीकी से जांच कर रहे हैं कि विमान को रनवे की पूरी लंबाई की आवश्यकता क्यों थी। प्रारंभिक आकलन से पता चलता है कि अपर्याप्त इंजन थ्रस्ट के कारण उड़ान में देरी हो सकती है। टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा उद्धृत विशेषज्ञों ने फ्लैप कॉन्फ़िगरेशन मुद्दों की संभावना भी जताई, हालांकि मीडिया रिपोर्टों के अनुसार रनवे संचालन, इंजन सेटिंग या फ्लैप समायोजन में कोई आधिकारिक बदलाव नहीं किया गया था।
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एयरपोर्ट के सीसीटीवी फुटेज से इस बात की पुष्टि होती है कि टेक-ऑफ रोल काफी लंबा था। ग्राउंड स्टाफ या एटीसी द्वारा कोई विसंगतियां, इंजन की विफलता का संकेत या असामान्य पिच मूवमेंट नहीं देखे गए। रिपोर्ट के अनुसार, उड़ान से पहले सभी कम्यूनिकेशन और प्रोटोकॉल का पालन किया गया। दुर्घटना से पहले कोई आग या विस्फोट नहीं दिखाई दिया, जिससे उड़ान भरने के तुरंत बाद विमान में आग लगने की संभावना को खारिज कर दिया गया। विमान तेजी से उतरा और टक्कर हुई, जिसके कारण जांचकर्ताओं और विमानन अधिकारियों को जवाब खोजने में परेशानी हो रही है।
जांचकर्ता जांच की तीन प्राथमिक दिशाओं की खोज कर रहे हैं। टेक-ऑफ के दौरान पर्याप्त थ्रस्ट उत्पन्न करने में संभावित विफलता। विंग फ्लैप की खराबी से लिफ्ट-ऑफ डायनेमिक्स प्रभावित हो सकती है। आतंकवाद विरोधी दस्तों की संलिप्तता से पता चलता है कि बाहरी हस्तक्षेप की संभावना से इनकार नहीं किया गया है।
जांच से जुड़े एक सूत्र ने रॉयटर्स को बताया कि यांत्रिक विफलता, पायलट की गलती और तोड़फोड़ सहित सभी परिदृश्यों पर सक्रिय रूप से विचार किया जा रहा है। जांच अब विमान के ब्लैक बॉक्स से प्राप्त डेटा पर निर्भर करती है, जो दुर्घटना से पहले के उन अंतिम क्षणों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकता है। पढ़ें- अहमदाबाद प्लेन हादसे पर सरकार की हाई लेवल कमेटी की बैठक में क्या हुई चर्चा?