Air India Plane Crash Update News: एअर इंडिया (Air India) का बोइंग ड्रीमलाइनर 787-8 विमान अहमदाबाद से लंदन जा रहा था। हालांकि टेकऑफ के कुछ ही देर बाद विमान हादसे का शिकार हो गया और एयरपोर्ट के पास एक मेडिकल हॉस्टल में जाकर क्रैश हो गया। बीजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल की तरह ही सतिंदर संधू भी जीवीके-ईएमआरआई एंबुलेंस ऑफिस में साथी पैरामेडिक्स के साथ दोपहर का खाना खा रहे थे, उसी वक्त उन्होंने एक जोरदार धमाका सुना।

बाहर भागते हुए उसने देखा कि एक आदमी हॉस्टल की बिल्डिंग के गेट से बाहर आ रहा है और उसके पीछे भीषण आग लगी हुई है। यह आदमी कोई और नहीं बल्कि विश्वास कुमार रमेश ही था। संधू रमेश का हाथ पकड़कर उसे उस जगह से दूर ले गए। इसके बाद से इसका एक वीडियो खूब शेयर किया जा रहा है। संधू ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, ‘मैंने अपनी टीम से तुरंत एंबुलेंस भेजने को कहा और मैं मौके पर पहुंचा। जब मैं वहां पहुंचा तो मुझे एहसास हुआ कि यह एक बड़ी घटना है। मैंने अपने हेडक्वार्टर को फोन किया और उनसे पुलिस को जानकारी देने और ज्यादा एंबुलेंस भेजने को कहा। इस बीच, मेरी कमान में पांच एंबुलेंस मौके पर पहुंच गईं।’

संधू करीब एक दशक से भी ज्यादा वक्त से जीवीके-ईएमआरआई इमरजेंसी एंबुलेंस सर्विस से जुड़े हुए हैं। वह शहर में 120 एंबुलेंसों में से 20 का कंट्रोल करने वाले सुपरवाइजर है। संधू ने रमेश का जिक्र करते हुए इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘मैंने सबसे पहले हॉस्टल के चौकीदार को सड़क पर घायल हालत में देखा। हमने उसे उठाया और एंबुलेंस में से एक में भेज दिया। फिर, हमने एक आदमी को जलती हुई हॉस्टल बिल्डिंग के बगल वाले गेट से बाहर आते देखा। मैं उसके पास गया, लेकिन वह अचानक मुड़ गया और दुर्घटना वाली जगह पर वापस चलने लगा।’ संधू ने कहा कि रमेश ने शुरू में उसे घटनास्थल से ले जाने की कोशिशों का विरोध किया और बार-बार कहा कि उसके परिवार का सदस्य आग में जल रहा है।

A new video from the Ahmedabad Air India crash shows the sole survivor, Ramesh Vishwas Kumar, in a white t-shirt, walking away from the blazing wreckage while talking on the phone. pic.twitter.com/G1DSkhA9Bh

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संधू ने कहा, ‘हमें लगा कि हॉस्टल की इमारत के अंदर कोई परिवार का सदस्य होगा। उस समय हमें नहीं पता था कि वह एक यात्री था जो जलते हुए विमान से बाहर आया था। आखिरकार हम उसे थोड़ा शांत करने में कामयाब रहे, उसे एक एंबुलेंस में बैठाया और अस्पताल भेजा। उसके चेहरे, हाथ और पैरों पर चोटें थीं। उसके शरीर पर जलने के निशान थे, लेकिन वह थोड़ा लंगड़ाकर चल रहा था।’

अस्पताल जाते समय रमेश ने पैरामेडिक्स को बताया कि वह उस विमान में था जो अभी-अभी हादसे का शिकार हुआ था। उसने बताया कि वह और उसका भाई यूके अपने घर जा रहे थे और वह इमरजेंसी गेट के पास सीट 11ए पर बैठा था। हालांकि, उसे नहीं पता कि वह विमान से कैसे बाहर निकल पाया। संधू ने बताया कि रमेश अपनी इस घटना के बाद सदमे और असमंजस की स्थिति में था। उसका दिमाग अभी भी एक ही बात पर टिका हुआ था कि अपने छोटे भाई अजय को जलते हुए विमान से बचाना।

संधू ने कहा कि वह और उनकी एंबुलेंसों का बेड़ा 1.41 बजे दुर्घटना स्थल पर पहुंच गया था, जबकि दुर्घटना 1.38 बजे हुई थी। संधू उन लोगों में से थे जो इमारत में सबसे पहले पहुंचे और मलबे में फंसे लोगों या आग में फंसे लोगों को बचाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता कि उनकी टीम ने हॉस्टल परिसर और उसके सामने की सड़क से कितने लोगों को बचाया, लेकिन उनका अनुमान है कि कम से कम 20-25 लोग तो होंगे। मूल रूप से पंजाब के रूपनगर जिले के थलुह गांव के रहने वाले संधू 1992 से गुजरात में रह रहे हैं। हाउसिंग सोसायटी के लोगों ने याद किया भयावह मंजर