Israel Iran Conflict: इजरायल ने ईरान के खिलाफ ऑपरेशन राइजिंग लॉयन शुरू किया हुआ है। इजरायली जेट अब महंगी लंबी दूरी की मिसाइलों पर डिपेंड रहने के बजाय ईरानी आसमान के अंदर से बम गिराते हैं। यह अपने आप में ही बड़ी रणनीतिक रणनीतिक उपलब्धि है। रूस यह काम तीन साल के अंदर नहीं कर पाया। ईरानी हवाई हमलों पर इजरायल का कंट्रोल केवल विमानों तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह सटीकता, कोऑर्डिनेट और स्पीड के बारे में भी है। यह वही है जो रूस यूक्रेन में हासिल करना चाहता था लेकिन नहीं कर पाया।

इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोार्ट के मुताबिक, इजरायल के प्रधानमंत्री ने दावा करते हुए कहा कि इजरायली एयर फोर्स अब तेहरान के आसमान पर कंट्रोल कर रही है। रूस की वायुसेना दुनिया की सबसे बड़ी वायुसेना में से एक है। वह फरवरी 2022 से ही यूक्रेन के एयर स्पेस पर कंट्रोल हासिल नहीं कर पाई है। इसके बजाय यह संघर्ष धीरा और महंगे युद्ध में बदल गया है। ईरान के खिलाफ इजरायल का अभियान उलट दिशा में चला गया है। एक्सपर्ट का कहना है कि अंतर प्लानिंग में है। इजरायल की वायु सेना छोटी है, लेकिन कहीं ज्यादा चुस्त है, खुफिया और साइबर क्षमताओं के साथ बेहतरीन कोऑर्डिनेशन है और पांचवीं पीढ़ी के एफ-35 जेट से लैस है।

इजरायल के चीफ ऑफ जनरल स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल इयाल जमीर ने इकोनॉमिक्स टाइम्स से कहा, ‘पिछले 24 घंटों में हमने तेहरान तक एरियल रूट से उड़ान भरी और हवाई घुसपैठ की लड़ाई लड़ी। IAF के पायलट अपनी जान जोखिम में डालकर, इजरायल से सैकड़ों किलोमीटर दूर उड़ान भर रहे हैं और सैकड़ों अलग-अलग टारगेटों पर सटीक हमला कर रहे हैं।’ ईरान का एयर डिफेंस काफी हद तक कमजोर हो जाने के बाद, F-15 और F-16 जैसे पुराने इजरायली विमान लड़ाई में शामिल हो गए हैं। ये अब कम दूरी के JDAM और स्पाइस-गाइडेड बम तैनात करते हैं।

मिलिट्री विश्लेषक इस बात पर सहमत हैं कि यूक्रेन की तुलना में ईरान के एयर डिफेंस को हराना आसान था। कार्नेगी एंडोमेंट के माइकल कोफमैन ने कहा , ‘इजरायल ने ईरान के एयर डिफेंस पर जीत हासिल की। रिटायर ब्रिटिश एयर मार्शल एडवर्ड स्ट्रिंगर ट्रेनिंग की तरफ इशारा करते हैं। उन्होंने कहा, ‘रूसियों के पास केवल पायलट हैं। वे इन पायलटों को उड़ने वाली तोपें चलाने के लिए तैयार करते हैं और बस इतना ही। इसके उलट इजरायल की सेना साइबर, एयर और इंटेलिजेंस क्षमताओं को कड़े सामंजस्य के साथ कोऑर्डिनेट करती है।’

इजरायल-ईरान युद्ध का शेयर बाजार पर असर

यूक्रेन के बिल्कुल उलट ईरान और अमेरिका की वार्ता 15 जून के लिए तय थी। हालांकि, इससे पहले 13 जून को ही इजरायल-ईरान संघर्ष शुरू हो गया। सीक्रेट इजरायली मिशन ने छोटी दूरी के ड्रोन से ईरानी एयर डिफेंस नोड को तबाह कर दिया। इंटेलिजेंस टीमों ने वरिष्ठ IRGC नेताओं की हत्या कर दी। इजरायल के जियोपॉलिटिक्स एक्सपर्ट माइकल होरोविट्ज़ ने कहा, ‘मूल रूप से इजरायल ने ईरान के साथ वही किया जो रूस यूक्रेन के साथ करना चाहता था। लेकिन ईरानी शासन ने घुसपैठ को आसान बना दिया।’

इजरायल को भी ईरान से बैलिस्टिक मिसाइल हमलों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें से कई को रोक दिया गया है, लेकिन कुछ तेल अवीव और बाकी शहरों तक पहुंच गई हैं। इजरायली सेना ने पुष्टि की है कि उसने ज्यादातर मिसाइलों को रोक दिया है, जबकि इमारतों को भी नुकसान पहुंचा है।

अब ईरान के एयर डिफेंस फेल होने की बात करें तो ईरान रूसी एस-300, चीनी बैटरी और लोकल सिस्टम पर डिपेंड था। सबसे खास बात यह है कि ईरान ने अपने आसमान की रक्षा करने की तुलना में अपनी मिसाइल क्षमताओं और रीजनल प्रॉक्सी में ज्यादा इंवेस्ट किया। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज के फैबियन हिंज ने कहा, ईरान ने इस तरह के हमलों को रोकने के लिए कभी भी अकेले एयर डिफेंस पर भरोसा नहीं किया। हिजबुल्लाह पिछले साल अपंग हो गया और ईरान से शारीरिक रूप से कट गया। सीरियाई एयर डिफेंस सिस्टम पर पहले ही इजरायल की तरफ से बमबारी की जा चुकी थी। इससे ईरान में इजरायली जेट के लिए एक गलियारा खुल गया। अब ऐसा लगता है कि तेहरान का कम इंवेस्ट एक महंगी गलती थी। पल-पल की अपडेट्स के लिए पढ़ें लाइव ब्लॉग…