Maha Kumbh Mela Prayagraj: उत्तर प्रदेश में 13 जनवरी से महाकुंभ शुरू होने जा रहा है। महाकुंभ में इस बार 40 करोड़ लोगों के आने की उम्मीद है। महाकुंभ के मेले के पीछे बहुत बड़ी आर्थिक ताकत काम करती है। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने सातवीं सदी में लिखी गई अपनी रचनाओं में कुंभ मेले में आस्था और व्यापार के ‘मेल’ का उल्लेख किया है। तब राजा और बड़े कारोबारी यहां स्नान करते थे और अच्छा-खासा दान भी करते थे। इसी भावना ने आगे चलकर इसे आध्यात्म और व्यापार का एक विशाल क्षेत्र बना दिया।

यहां लगने वाले बाजार में चाहे फूड स्टॉल लगाने हों, टेंट सिटी किराए पर लेनी हो या फिर कुछ और काम, इसमें अवसर और जोखिम दोनों होते हैं। 

योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने महाकुंभ को लेकर 6,990 करोड़ के 549 प्रोजेक्ट शुरू किए हैं। इन प्रोजेक्ट्स में विकास से लेकर सफाई तक के प्रोजेक्ट्स शामिल हैं। अगर इसकी तुलना कुंभ मेला 2019 से करें तब ऐसे 700 प्रोजेक्ट थे और उनकी लागत 3700 करोड़ रुपए थी। 

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महाकुंभ के मेले के आयोजन में जुटे अफसरों के मुताबिक, महाकुंभ से कुल 25 हजार करोड़ का राजस्व मिलेगा और इससे राज्य की अर्थव्यवस्था पर दो लाख करोड़ रुपए का असर होगा। 

महाकुंभ में आपको एक रात के लिए 1 लाख तक के किराए वाले आलीशान टेंट से लेकर बेहद व्यस्त पूजा मार्केट से लेकर गंगा में नाव चलाने वाले तक मिलेंगे। उन्हें भी इस बात की उम्मीद होती है कि इस आयोजन से उन्हें अच्छी कमाई होगी। कहा जा सकता है कि कुंभ न केवल आस्था से बल्कि आजीविका से भी जुड़ा हुआ है। 

ऐतिहासिक शहर इलाहाबाद में कुंभ को लेकर कई आयोजन हुए हैं। इस बार भी यह शहर रिकॉर्डतोड़ लोगों के स्वागत के लिए पूरी तरह तैयार है। सरकार और शहर को भी ऐसी उम्मीद है कि इससे अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। अधिकारियों ने कहा कि सरकार ने मेले के जरिए व्यापक आर्थिक असर पैदा करने पर ध्यान फोकस किया है। 

प्रयागराज के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट विवेक चतुर्वेदी कहते हैं, “हमें कुंभ मेले में स्टॉल लगाने के लिए बोली लगाने वाले हर शख्स से एक से दो करोड़ रुपए मिले हैं और इसका बहुत बड़ा असर पड़ा है।” क्षेत्रीय पर्यटन विकास अधिकारी अपराजिता सिंह कहती हैं कि होटल इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए काफी काम किए गए हैं। हमने लोगों को डिजिटल पेमेंट की ट्रेनिंग दी है। फूड और हॉस्पिटैलिटी अर्थव्यवस्था को चलाने वाले सबसे मजबूत फैक्टर में से एक हैं। 

आरआर हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक नितेश और अश्विन ठक्कर कहते हैं कि उन्होंने मेले में फूड कोर्ट और आउटलेट लगाने के लिए 12 से 13 करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट किया है। उनका लक्ष्य है कि महाकुंभ के इस मेले से 100 से 200 करोड़ का टर्नओवर किया जाए। उनके पास स्टारबक्स, कोको कोला और डोमिनोज जैसे इंटरनेशनल ब्रांड की ओर से प्रस्ताव आ चुके हैं। 

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उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ मेले के क्षेत्र में 1.6 लाख टेंट लगाए हैं। इसमें से 2200 लग्जरी टेंट हैं। इसके अलावा पूरे शहर में 218 होटल, 204 गेस्ट हाउस और 90 धर्मशालाएं भी हैं। सुपर डीलक्स टेंट और विला में एक दिन के लिए रुकने की कीमत 18 से 20 हजार रुपये प्रतिदिन है जबकि प्रीमियम आवास में एक रात और दो मेहमानों के रुकने के लिए 1 लाख रुपये देने होंगे। इनमें बाथरूम, हीटिंग और दूसरी शानदार सुविधाएं मौजूद हैं। 

नदी के किनारे पर लगे टेंट के अलावा मेला स्थल के पास होटल भी हैं। यहां पर एक रात रुकने के लिए आपको 10 से 25 हजार तक का शुल्क देना होगा। इन्हें पिछले 9 महीने में तैयार किया गया है। ऐसे ही एक होटल के मालिक शिखर केसवानी बताते हैं कि पूरे महीने के लिए उनका होटल 80% तक बुक हो चुका है। इसके अलावा इस इलाके में कई प्राइवेट होमस्टे भी तेज रफ्तार से खुल रहे हैं। संगम के इलाके में अपना होम स्टे चलाने वाले दयानंद शर्मा कहते हैं कि उन्होंने 15 लाख से ज्यादा खर्च करके होम स्टे शुरू किया है और उन्हें उम्मीद है कि उन्हें तीन गुना टर्नओवर मिलेगा। इससे वह होमस्टेट बनाने के लिए लोन को चुका सकेंगे। 

हालांकि इतने महंगे शुल्क को लेकर अखाड़ों की ओर से शिकायत भी की गई है। 

प्रयागराज में गोविंद बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान (जीबीपीएसएसआई) के निदेशक प्रोफेसर बद्री नारायण कहते हैं, “महाकुंभ मेला सभी को प्रभावित करता है – इसमें कूड़ा बीनने वाले से लेकर लक्जरी होटल मालिक तक शामिल हैं।” 

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कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स की यूपी इकाई के अध्यक्ष महेंद्र कुमार गोयल द इंडियन एक्सप्रेस से कहते हैं, “हमें महाकुंभ से 25 हजार करोड़ रुपये के टर्नओवर की उम्मीद है। इसमें पूजा सामग्री से 5,000 करोड़, डेयरी उत्पादों से 4,000 करोड़, फूलों से 800 करोड़ रुपये, हॉस्पिटेलिटी सेक्टर खासकर लग्जरी होटलों से 6,000 करोड़ रुपये का कारोबार होने की उम्मीद है।”

भारतीय उद्योग महासंघ के यूपी चैप्टर के अध्यक्ष आलोक शुक्ला कहते हैं कि महाकुंभ एक “सुनहरा अवसर” है और इसमें “दो महीने में एक साल के कारोबार के बराबर राजस्व मिल जाता है।” संगम क्षेत्र में परेड ग्राउंड के पास अपना फूड स्टॉल चलाने वाले आशीष मिश्रा बताते हैं, “स्नान के दिनों में मुनाफा सामान्य दिनों से 10 गुना ज़्यादा होता है।” आशीष मिश्रा ने अपने स्टॉल के लिए बोली लगाने में 92 लाख रुपये खर्च किए। वे मुस्कुराते हुए कहते हैं, “अगर एक करोड़ लोग भी 1-1 रुपये खर्च करें तो भी मैं खुश हो जाऊंगा।”

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महाकुंभ के मेले में सबसे बड़ी कचौड़ी की दुकान लगाने वाले पंकज मिश्रा कहते हैं कि उन्होंने इस दुकान को लगाने में 92 लाख रुपए खर्च किए हैं और इसमें 100 से ज़्यादा कर्मचारी काम करते हैं। 

मेले के मैदान से दूर नदी में लकड़ी की नावें चल रही हैं। पैडल बोट चलाने वाले राजू निषाद कहते हैं कि उन्हें यह नाव खरीदने के लिए 1 लाख रुपए का लोन लेना पड़ा और अगर उन्हें जिंदा रहना है तो इस साल कम से कम 3-4 लाख रुपए कमाने होंगे। राजू शिकायत करते हैं कि हर बार जब वीआईपी आते हैं तो हमारी नावों को रोक दिया जाता है।

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