Google Trends: राजनीति में लंबे समय से सक्रिय कांग्रेस नेता राहुल गांधी गुरुवार 19 जून को 55 साल के हो गए। सोशल मीडिया पर उनका जन्मदिन ट्रेंड कर रहा है। कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेताओं में शुमार राहुल गांधी की एक घटना बहुत चर्चित रही। वह घटना थी अध्यादेश को फाड़ना। वह वाकया 2013 का था। इसने कांग्रेस के भीतर ही बवंडर खड़ा कर दिया था। मामला था उस अध्यादेश का जिसे मनमोहन सिंह की सरकार लेकर आई थी, लेकिन राहुल गांधी ने उसे प्रेस के सामने फाड़ दिया।

जुलाई 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि अगर कोई सांसद या विधायक किसी आपराधिक मामले में दोषी करार दिया जाता है, तो उसकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से खत्म हो जाएगी। सरकार ने इससे बचने के लिए सितंबर में एक अध्यादेश (Ordinance) लाया ताकि दोषी जनप्रतिनिधियों को तुरंत अयोग्य न ठहराया जाए।

उसी दौरान आरजेडी नेता लालू यादव को चारा घोटाले में सजा मिलने वाली थी और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद राशिद मसूद पहले ही दोषी करार दिए जा चुके थे। यह अध्यादेश इन्हें बचाने का रास्ता माना गया। विपक्ष ने इसे “भ्रष्टाचारियों को बचाने वाला कानून” बताया। 27 सितंबर को दिल्ली प्रेस क्लब में राहुल गांधी अचानक प्रेस वार्ता में आए और सबके सामने बोले — “ये अध्यादेश पूरी तरह बकवास है, इसे तो फाड़कर फेंक देना चाहिए।” उन्होंने अपनी ही सरकार के फैसले को शर्मनाक बताया।

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जब राहुल यह बोल रहे थे, तब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अमेरिका में ओबामा से मिलने जा रहे थे। यह पूरी घटना उनके लिए बहुत बड़ी राजनीतिक शर्मिंदगी बन गई। राहुल ने बाद में चिट्ठी में लिखा कि उनके शब्द भावनात्मक थे, लेकिन विचार पक्के।

आज़ाद ने कहा कि यह कदम बिना सलाह-मशविरा के लिया गया और इससे प्रधानमंत्री की गरिमा और सरकार की विश्वसनीयता को गहरी चोट पहुंची। इसी को वो राहुल गांधी की राजनीतिक अपरिपक्वता का उदाहरण बताते हैं।

राहुल के बयान के बाद सरकार बैकफुट पर आ गई थी और कुछ ही दिन में यह अध्यादेश वापस लेना पड़ा थी। कांग्रेस के भीतर यह पहली बार था जब पार्टी और सरकार दो अलग-अलग दिशाओं में दिखाई दीं।