Indus Water: भाखड़ा-नांगल प्रोजेक्ट के पानी को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच विवाद अभी भी जारी है, वहीं पंजाब और उसके उत्तरी पड़ोसी राज्य जम्मू-कश्मीर के बीच जल बंटवारे को लेकर एक और विवाद पनप रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा यह घोषणा किए जाने के कुछ दिनों बाद कि सिंधु नदी का पानी तीन साल के भीतर नहरों के माध्यम से राजस्थान के श्रीगंगानगर तक ले जाया जाएगा। इसका जम्मू-कश्मीर के सीएम ने जमकर विरोध किया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘अभी जम्मू में पानी की कमी है। नलों में पानी नहीं है। मुझे पंजाब को पानी क्यों भेजना चाहिए? सिंधु जल संधि के अनुसार पंजाब में पहले से ही तीन नदियां हैं। क्या पंजाब ने हमें कोई पानी दिया है।’
जम्मू-कश्मीर सीएम का यह बयान उस प्रस्ताव के खिलाफ आया है, जिसमें इंडस जल संधि की पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब का ‘अतिरिक्त’ पानी पंजाब, हरियाणा और राजस्थान तक पहुंचाने के लिए 113 किलोमीटर लंबी नहर बनाने की योजना है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मैं मंजूरी नहीं देने जा रहा हूं। पहले हमें अपना पानी इस्तेमाल करने दिया जाए, फिर हम दूसरों के बारे में बात करेंगे।’
जल-बंटवारे की योजना में जिन तीन राज्यों का उल्लेख किया गया है, उनमें पंजाब को शामिल किए जाने पर सीएम ने सवाल उठाया। उमर ने कहा, ‘मुझे पंजाब को पानी क्यों भेजना चाहिए? सिंधु जल संधि के तहत पंजाब के पास पहले से ही पानी है। क्या उन्होंने हमें तब पानी दिया जब हमें इसकी जरूरत थी।’ उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब ने दो प्रमुख परियोजनाओं, उझ शाहपुर कंडी पर जम्मू-कश्मीर को सालों तक इंतजार करवाया। उमर ने कहा, ‘तीनों नदियों का पानी हमारे लिए है। हम इसका इस्तेमाल अपने लिए करेंगे और फिर दूसरों के बारे में सोचेंगे।’
सिंधु जल संधि को लेकर भारत के पास क्या है आगे का रास्ता?
इस पर पंजाब के राजनीतिक दलों की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया आई है। आम आदमी पार्टी ने कहा कि उमर अब्दुल्ला एकतरफा फैसला नहीं ले सकते। राज्य में पार्टी के प्रवक्ता नील गर्ग ने पीटीआई से कहा, ‘जब भी युद्ध होता है, पंजाब युद्ध का मैदान बन जाता है और जब देश को खाद्यान्न की जरूरत होती है, तो यह देश का अन्न भंडार बन जाता है। अब जब पानी उपलब्ध है, तो पंजाब का इस पर वैध दावा है।’
पंजाब कांग्रेस के चीफ अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने उमर के बयान की आलोचना की। उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, ‘यह दुखद है कि जम्मू-कश्मीर के सीएम ने पाकिस्तान को पानी जाने से रोकने के लिए प्रस्तावित नहरों पर राजनीति करना शुरू कर दिया है। मैं उमर साहब से पूछना चाहता हूं कि क्या यह हमें पाकिस्तान के बराबर नहीं मानता? हमने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है क्योंकि पाकिस्तान हमारे लिए एक दुष्ट और दुश्मन देश साबित हुआ है। हमें पानी देने से मना करने के आपके पास क्या कारण हैं।’
शिरोमणि अकाली दल के नेता और पंजाब के पूर्व मंत्री दलजीत सिंह चीमा ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखी और उमर पर पंजाब के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि राज्य के किसानों ने देश की खाद्य जरूरतों को पूरा करने के लिए भारी कर्ज लिया है। उन्होंने पीटीआई से बात करते हुए कहा कि हर बार पंजाब को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है। हमारे राज्य से नदी का पानी छीन लिया गया। यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने नदी के पानी का एक बड़ा हिस्सा राजस्थान को देकर पंजाब के साथ बहुत बड़ा अन्याय किया, जो एक गैर-तटीय राज्य है।’ सिंधु जल संधि को लेकर यह बड़ा कदम उठाने जा रही मोदी सरकार