New Education Policy 2020: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत पढ़ाई जाने वाली भाषाओं को लेकर बढ़ें विवाद के बीच RSS की एजुकेशन विंग विद्या भारती ने इस मुद्दे पर बयान दिया और कहा कि सभी के लिए हिंदी पढ़ना और सीखना जरूरी नहीं है। इसके अलावा विद्या भारती ने निजी स्कूलों में फीस बढ़ने के मुद्दे पर भी सवाल उठाए हैं।

इस मामले में विद्या भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवींद्र कन्हारे ने कहा है कि विद्या भारती का मानना ​​है कि शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए। यह बात 1968 की शिक्षा नीति में कही गई है और नई शिक्षा नीति में भी यही प्रस्तावित है। किसी भी राज्य पर कोई भाषा थोपी नहीं जा रही है। कहा गया है कि बच्चों को अपनी भाषा, एक राष्ट्रीय भाषा और कोई भी विदेशी भाषा पढ़नी चाहिए। अगर कोई तमिलनाडु से है तो वह तमिल सीख सकता है या केरल से है तो वह मलयालम सीख सकता है। उन्हें हिंदी सीखना जरूरी नहीं है। नई शिक्षा नीति का मसौदा सभी राज्यों को भेजा गया है।

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रवींद्र कान्हारे कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में विद्या भारती की एनुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। महानगरों में निजी स्कूलों में बढ़ती फीस के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि अगर अभिभावक दबाव बनाते हैं, तो फीस फिर से निर्धारित की जा सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि अभिभावकों को यह आंकलन करना चाहिए कि उनके बच्चों को क्वॉलिटी एजुकेशन मिल रही है या नहीं, जिससे वे जो फीस दे रहे हैं, वह उचित हो।

विद्या भारती के अध्यक्ष ने कहा कि स्कूल की फीस तय करना राज्य सरकारों का काम है। राज्यों में आम तौर पर एक व्यवस्था है कि अगर फीस बढ़ानी है तो जिला मजिस्ट्रेट के अधीन एक समिति के ज़रिए ऐसा किया जाएगा। अगर फीस में और बढ़ोतरी की जानी है तो राज्य स्तरीय समिति इस पर विचार करती है। अभिभावकों को यह देखना चाहिए कि क्या स्कूल उस तरह की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे रहे हैं जिसके लिए फीस वहन की जा सकती है। अगर अभिभावक दबाव बनाते हैं तो फीस फिर से निर्धारित की जा सकती है।

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कन्हारे का यह बयान महानगरों में निजी स्कूलों द्वारा फीस में मनमानी वृद्धि पर बढ़ती चिंता की पृष्ठभूमि में आया है। राजधानी के द्वारका में स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल को हाईकोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा है कि यह एक पैसा कमाने वाली मशीन बन गया है जो छात्रों के साथ किसी प्रॉपर्टी की तरह व्यवहार करते थे।

NCERT द्वारा 12वीं की किताबों से बाबरी मस्जिद का जिक्र हटाने के सवाल पर कान्हारे ने कहा कि पाठ्यक्रम में बदलाव लाना एनसीईआरटी का काम है। हमें किताबों में ऐतिहासिक तथ्यों को शामिल करना चाहिए। हमने इतने सालों में देखा है कि कुछ किताबों में भ्रामक जानकारी दी गई है। अगर अब उन्हें हटा दिया गया है तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है।

पिछले एक वर्ष में विद्या भारती की सफलता की कहानियों के बारे में बात करते हुए कान्हारे ने कहा कि इसके स्कूलों के 93% से अधिक छात्र कक्षा 12वीं में सफल हुए, जिनमें से 2,500 से अधिक छात्रों ने 90% से अधिक अंक प्राप्त किए, तथा इस वर्ष इसके 27 पूर्व छात्रों ने यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण की।

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