प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ दिन पहले तीन देशों के दौरे पर थे। पीएम मोदी कनाडा में G-7 समिट में हिस्सा लेने के लिए गए हुए थे। समिट के दौरान ही पीएम मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ द्विपक्षीय बैठक होने वाली थी। हालांकि डोनाल्ड ट्रंप ईरान-इजरायल संघर्ष की वजह से अमेरिका लौट गए थे। उसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने खुद पीएम मोदी को फोन किया और उन्हें अमेरिका आने के लिए कहा था।
हालांकि पीएम मोदी ने कार्यक्रम की व्यस्तता बताते हुए अमेरिका जाने में असमर्थता जताई थी। इस बीच पीएम मोदी ने ओडिशा में एक जनसभा के दौरान भी इसका जिक्र किया। पीएम मोदी ने बताया कि ओडिशा के दौरे के चलते ही उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप के न्योते को स्वीकार नहीं किया।
पीएम मोदी ने कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप ने मुझे फोन किया था और अमेरिका आने का न्योता दिया था। मैंने कहा कि मैं अभी महाप्रभु की धरती पर जा रहा हूं। ओडिशा आने के लिए मैंने ट्रंप के न्योते को स्वीकार नहीं किया। महाप्रभु की धरती पर आना जरूरी था, इसलिए अमेरिका नहीं गया।”
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जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को डोनाल्ड ट्रंप ने फोन किया तो पीएम ने साफ शब्दों में कहा है कि भारत किसी भी सूरत में तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करता। न पहले की, न अब करता है और न ही भविष्य में ऐसा होगा। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने इस बातचीत की जानकारी दी थी। विक्रम मिसरी ने बताया था कि फोन पर बातचीत राष्ट्रपति ट्रंप के आग्रह पर हुई, जो लगभग 35 मिनट तक चली। इस दौरान पीएम मोदी ने भारत की नीति स्पष्ट करते हुए कहा कि कश्मीर या पाकिस्तान से जुड़े मुद्दों में भारत का रुख हमेशा से यही रहा है कि यह द्विपक्षीय मामला है और किसी भी तीसरे पक्ष की भूमिका स्वीकार्य नहीं है।
इस बातचीत में पीएम मोदी ने ऑपरेशन ‘सिंदूर’ की जानकारी भी राष्ट्रपति ट्रंप को दी। प्रधानमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच जो सैन्य तनाव देखा गया, उसमें अमेरिका या किसी अन्य देश की मध्यस्थता नहीं हुई। पीएम ने ट्रंप से कहा था कि पाकिस्तान की पहल पर बातचीत शुरू हुई और फिर सीजफायर हुआ।