इजरायल और ईरान के बीच संघर्ष में अब अमेरिका की एंट्री हो गई है। अमेरिका ने ईरान की तीन न्यूक्लियर साइट्स पर हमला किया है। इसकी वजह से मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ने की आशंका है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पोस्ट कर कहा कि हमने ईरान की तीन न्यूक्लियर साइट्स पर अपना बहुत सफल हमला पूरा कर लिया है, जिसमें फोर्डो, नतांज और एस्फाहान शामिल हैं। सभी विमान अब ईरान के हवाई क्षेत्र से बाहर हैं। फोर्डो पर बमों का पूरा पेलोड गिराया गया। हालांकि, ट्रंप ने यह नहीं बताया कि अमेरिका ने हमले में किन लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया गया, लेकिन न्यूयॉर्क टाइम्स और रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि इस अभियान में कई B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स का इस्तेमाल किया गया था।
बी-2 स्टील्थ बॉम्बर दुनिया का सबसे महंगा विमान है। यह तीन दशकों से भी ज्यादा वक्त से अमेरिकी स्टील्थ टेक्नोलॉजी की रीढ़ रहा है। इसे बनाने वाले नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन के अनुसार, इसके अंदर दुश्मन की सुरक्षा भेदने की काबिलियत है। बी-2 को अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी के साथ में डिजाइन किया गया है और यह सभी ऊंचाईयों पर मार करने की क्षमता और एयर डिफेंस सिस्टम को भेदने के लिए जाना जाता है। यह विमान रडार की पकड़ में भी आसानी से नहीं आता है। इसके फ्लाइंग-विंग डिजाइन, रडार- एबजोरमेंट मेटेरियल और कम इन्फ्रारेड सिग्नेचर की वजह से इसका रडार क्रॉस-सेक्शन लगभग 0.001 वर्ग मीटर है। यह किसी छोटे पक्षी के बराबर है।
अमेरिका ने ईरान पर किया हमला
ट्रंप द्वारा ईरान के तीन ठिकानों पर हमला करने की घोषणा के बाद अटकलों पर विराम लग गया। फॉक्स न्यूज की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका ने फोर्डो को निशाना बनाने के लिए छह बंकर बस्टर बम गिराए। बी-2 एकमात्र अमेरिकी लड़ाकू विमान है। यह बमबारी मिशनों पर मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर ले जाने में काबिल है।
गाइडेड बम यूनिट (GBU) 57 को बंकर बस्टर भी कहा जाता है। इसमें जीपीएस लगा हुआ है और यह बंकरों और सुरंगों को भेदने के लिए डिजाइन किया गया है। इसका वजन 30,000 पाउंड है और जबकि पिछली रिपोर्टों से पता चलता है कि यह जमीन में 200 फीट तक घुस सकता है। पिछले कई सालों में अपडेट हुए हैं। अमेरिका ने 2000 के दशक की शुरुआत में बम का डिजाइन बनाना शुरू किया था और बोइंग को 2009 में 20 इकाइयों का ऑर्डर दिया गया था। इजरायल-ईरान संघर्ष से जुड़े तमाम अपडेट्स के लिए पढ़ें लाइव ब्लॉग