हरियाणा में विधानसभा चुनाव का एलान हो चुका है। हर तरफ जीत-हार की चर्चाएं चल रही हैं। इन सबके बीच प्रदेश के तीन ‘लाल’ की चर्चा होना भी लाजिमी है। यानी देवीलाल, बंशीलाल और भजनलाल। एक अरसे तक हरियाणा की राजनीति इन्हीं तीन लालों के इर्द-गिर्द घूमती रही है। ये लाल प्रदेश में ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित रहे हैं। हरियाणा राज्य की स्थापना के बाद से सत्ता के केंद्र बिंदु रहे इन तीनों लालों ने वर्ष 1989 के लोकसभा चुनाव में इतिहास रच दिया था। तब ये तीनों सूबे के मुख्यमंत्री पद की दौड़ से बाहर निकलकर संसद पहुंच गए थे।
पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल को छोड़ ताऊ देवीलाल और भजनलाल ने अपने घरेलू लोकसभा क्षेत्र से बाहर निकलकर चुनाव लड़ा था। देवीलाल ने सिरसा के बजाय रोहतक से चुनाव लड़ा था और वह प्रदेश के सभी दस सांसदों में से सर्वाधिक मत के अंतर से जीते थे। सर्वाधिक मतों के मामले में दूसरे नंबर पर चौधरी बंसीलाल रहे थे तो तीसरे नंबर पर चौधरी भजनलाल थे।
ये दौर ताऊ देवीलाल का था। बेशक उनके अलावा दोनों लाल संसद में पहुंचे, पर ताऊ देवीलाल ने इतिहास रचा था। वे देश के उपप्रधानमंत्री भी बने। उन्होंने वर्ष 1989 से 1990 और 1990 से 1991 तक उपप्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गढ़ में जीत का कीर्तिमान बनाने वाले देवीलाल उस समय पूरे देश में ताऊ की उपाधि से भी विख्यात हुए थे। ताऊ देवीलाल का गृह क्षेत्र सिरसा उस समय सामान्य वर्ग में था। हालांकि, वर्तमान में यह सीट आरक्षित है। पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल का गढ़ हिसार था, पर उन्होंने भी हिसार की बजाय फरीदाबाद से चुनावी ताल ठोकते हुए साबित किया था कि उनके लिए मैदान कोई मायने नहीं रखता है।
हरियाणा की राजनीति में राज्य के मुख्यमंत्री रहे बंसीलाल, भजनलाल व देवीलाल और उनके परिवारों का विगत में बोलबाला रहा है। भजनलाल और बंसीलाल के परिजनों का चुनावी प्रभाव कम होने के बाद देवीलाल के पुत्र व पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला समेत उनके परिवार का बोलबाला भी कम हो गया। देवीलाल के पोते व जजपा के नेता दुष्यंत चौटाला ने पिछले विधानसभा चुनावों में सरकारी नौकरियों में जाट समुदाय के लोगों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की मांग पर जोर देने के लिए चलाए आंदोलनों के जरिए बेरोजगार जाट युवाओं के प्राप्त समर्थन के बल पर दस विधानसभा सीट पर जीत दर्ज कर कांग्रेस को बहुमत पाने से वंचित कर दिया था।
हरियाणा की राजनीति में इन तीन लाल का बहुत बड़ा योगदान माना जाता है। इनकी अपनी-अपनी खासियत रही है। चौधरी बंसीलाल हरियाणा के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का कीर्तिमान बना चुके हैं तो उन्हें हरियाणा के विकास का निर्माता भी कहा जाता रहा है।
चौधरी भजनलाल को राजनीति का पीएचडी माना जाता था और वह हरियाणा में राजनीतिक रूप से सबसे तेज-तर्रार माने जाते रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की सरकार को संकट से बचाने में इन्होंने बड़ा योगदान दिया था। ताऊ देवीलाल ने उपप्रधानमंत्री पद तक पहुंच बनाकर खुद का कद ऊंचा करने में कामयाबी हासिल की। उन्हें देश का किसान नेता भी कहा जाता था।