Jagannath Rath Yatra 2025 Date: हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है। यह यात्रा न सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि इसे देखने और इसमें भाग लेने के लिए लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं। भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा इस यात्रा में तीन अलग-अलग रथों पर विराजमान होते हैं। मान्यता है कि इनका दर्शन करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति का वास होता है। ऐसे में आइए जानते हैं साल 2025 में जगन्नाथ रथ यात्रा कब से शुरू होगी।
हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 26 जून को दोपहर 01 बजकर 25 मिनट से होगी। वहीं, तिथि का समापन 27 जून को सुबह 11 बजकर 19 मिनट पर होगा। ऐसे में इस साल भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा 27 जून 2025 से शुरू होगी। आपको बता दें कि इसका आयोजन उड़ीसा के पुरी शहर में होता है, जो भगवान विष्णु के चार धामों में से एक माना जाता है। इस दौरान करोड़ों लोग पुरी पहुंचते हैं ताकि भगवान के दर्शन कर सकें और रथ यात्रा में भाग लेकर पुण्य कमा सकें।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक बार भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने नगर भ्रमण की इच्छा जाहिर की थी। तब भगवान जगन्नाथ ने उन्हें रथ पर बैठाकर नगर दर्शन करवाया और अपनी मौसी के घर भी ले गए, जहां वे 7 दिन तक रुकें। तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि हर साल भगवान अपने भाई और बहन के साथ रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण करते हैं।
इस यात्रा में तीन भव्य रथ निकाले जाते हैं। सबसे आगे भगवान बलराम का रथ, बीच में बहन सुभद्रा का रथ और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ का रथ चलता है। भगवान जगन्नाथ का रथ ‘नंदीघोष’ कहलाता है जिसकी ऊंचाई करीब 45 फीट होती है और इसमें 16 पहिए होते हैं। यह रथ नीम और हंसी की लकड़ी से बनाया जाता है और इसे खींचने वाली रस्सी को ‘शंखचूड़’ कहा जाता है। रथ निर्माण में किसी भी प्रकार की कील या लोहे का प्रयोग नहीं किया जाता क्योंकि यह आध्यात्मिक रूप से अशुभ माना जाता है।
भगवान बलराम और देवी सुभद्रा का रथ लाल रंग का होता है जबकि भगवान जगन्नाथ का रथ पीले या लाल रंग में सजाया जाता है। रथों को सजाने और सज्जा में पारंपरिक कारीगरों का विशेष योगदान होता है। यह कार्य भी पूरी श्रद्धा और विधिपूर्वक किया जाता है।
ऐसा कहा जाता है कि भगवान जगन्नाथ के दर्शन और रथ को खींचने से मनुष्य के सभी पाप खत्म हो जाते हैं और उसे सौभाग्य की प्राप्ति होती है। रथ यात्रा में शामिल होकर मोक्ष की प्राप्ति तक का मार्ग खुल जाता है। यही वजह है कि देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु हर साल पुरी पहुंचते हैं।
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