India-US Corn Imports: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कहा कि उनका देश भारत के साथ एक ‘बहुत बड़ी’ ट्रेड डील करने जा रहा है। भारत ने कहा है कि अमेरिका के साथ ट्रेड डील को लेकर जो बातचीत चल रही है, उसमें कृषि और डेयरी उसकी ओर से ‘रेड लाइन’ हैं। मतलब भारत की ओर से ये मुख्य मुद्दे हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि भारत अपनी खेती और किसानों के हितों को कमजोर नहीं होने देगा।
अमेरिका की कोशिश कृषि उत्पादों- मक्का (कॉर्न), एथनॉल, सोयाबीन और डेयरी के जरिये भारत के बाजार तक पहुंचने की है लेकिन भारत ऐसा करने से पहले तमाम जरूरी पहलुओं पर बात करना चाहता है। भारत इन पर टैरिफ और नॉन-टैरिफ भी लगाता है।
आइए, इन चारों के बारे में बारी-बारी से बात करते हैं।
अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा मक्का उत्पादक और निर्यातक है। 2024-25 में उसका अनुमानित उत्पादन 377.6 मिलियन टन (एमटी) होगा जबकि भारत का उत्पादन इससे काफी कम 42.3 मिलियन टन होगा। अमेरिका में जितना मक्का पैदा किया जाता है, उसमें से लगभग 94% जेनेटिकली मोडिफाइड Genetically Modified (GM) होता है। भारत न तो GM मक्का उगाता है और न ही इसका आयात करता है।
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एक प्रस्ताव यह है कि केवल एथनॉल बनाने के लिए GM मक्का का आयात शुरू कर दिया जाए। भारत में पेट्रोल के साथ मिक्स करने के लिए जरूरी एथनॉल का 46% हिस्सा मक्के से ही मिलता है। लेकिन इस प्रस्ताव का चीनी मिलों की ओर से विरोध हो रहा है। चीनी मिलों को इस बात का डर है कि अगर मक्के से एथनॉल बनाया गया तो इससे एथनॉल बनने में गन्ने की हिस्सेदारी कम हो सकती है।
अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा एथनॉल उत्पादक और निर्यातक भी है। 2024 में, अमेरिका ने 4.3 बिलियन डॉलर का एथनॉल निर्यात किया, जिसमें भारत कनाडा ($1.5 बिलियन) और यूनाइटेड किंगडम ($535.1 मिलियन) के बाद तीसरा सबसे बड़ा बाज़ार (441.3 मिलियन डॉलर) था। भारत में एथनॉल का आयात केवल दवा या केमिकल बनाने के लिए ही होता है न कि पेट्रोल और डीजल में मिक्स करने के लिए।
अमेरिका इस बाजार को बड़ा करना चाहता है और ऐसा तब होगा जब भारत एथनॉल का इस्तेमाल ईंधन के रूप में करने के लिए हामी भरे लेकिन Ethanol-Blended Petrol (EBP) कार्यक्रम का मकसद तेल का आयात कम करना है। इस तरह यह भारत के लिए एक ‘रेड लाइन’ है।
तीसरा नंबर आता है सोयाबीन का। ब्राजील के बाद अमेरिका सोयाबीन का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। अमेरिका में 96% और ब्राजील में 99% एकड़ जमीन पर GM किस्मों की खेती होती है और यह भारत से कहीं ज्यादा है।
भारत केवल GM सोयाबीन तेल का आयात करता है लेकिन कच्चे सोयाबीन और उससे निकले de-oiled cake (DOC) के आयात पर भारत ने रोक लगाई हुई है क्योंकि इनमें GM प्रोटीन पाया जाता है।
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हाल ही में नीति आयोग ने सुझाव दिया था कि GM सोयाबीन का आयात किया जाए, उसके तेल को तो भारत के घरेलू बाजारों में बेच दिया जाए और DOC को दुनिया के देशों में निर्यात कर दिया जाए। ध्यान देने लायक बात यह है कि भारत में सोयाबीन की खेती 1.3 करोड़ हेक्टेयर में होती है, खासकर मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में। ये तीनों ही बीजेपी शासित राज्य हैं। सोयाबीन की फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी कम कीमत पर बिक रही है, इसलिए GM सोयाबीन के आयात की अनुमति देना राजनीतिक रूप से कोई आसान फैसला नहीं होगा।
जब बात होती है दूध पाउडर और मक्खन के व्यापार की तो डेयरी के क्षेत्र में अमेरिका न्यूजीलैंड और यूरोपीय संघ जितना बड़ा प्लेयर नहीं है। भारत आयात किए जाने वाले डेयरी उत्पादों पनीर पर 30%, मक्खन पर 40% और दूध पाउडर पर 60% शुल्क लगाता है। डेयरी को लेकर भारत के कुछ नियम बेहद साफ हैं जैसे- डेयरी के आयातित उत्पाद उन पशुओं के होने चाहिए जो ऐसे चारा खाते हों जिसमें मांस, खून आदि चीजें ना हों।
डेयरी के मामले में भारत अमेरिका को कोई छूट नहीं देगा और इसलिए यह भी एक ‘रेड लाइन’ है।