आमतौर पर कुत्ते का काटना बहुत ही आम समझा जाता है, लेकिन कुत्ते के काटने पर इसे नजरअंदाज कर दिया जाए तो ये खतरनाक ही नहीं, बल्कि जानलेवा भी साबित हो सकता है। हाल ही में यूपी के बुलंदशहर में कुत्ते के काटने से राज्य स्तरीय कबड्डी खिलाड़ी बृजेश सोलंकी की मौत हो गई। यह घटना तब हुई जब बृजेश सोलंकी ने लगभग दो महीने पहले एक नाले से एक आवारा पिल्ले को बचाया था और इस दौरान कुत्ते ने मामूली रूप से उन्हें काटा था, लेकिन उन्होंने इसे नजरअंदाज कर दिया और एंटी-रेबीज वैक्सीन नहीं लगवाई। बृजेश सोलंकी को उनकी मौत के कुछ दिन पहले ही लक्षण दिखाई दिए थे। चलिए आपको बताते हैं कुत्ते के काटने पर सबसे पहले क्या करना चाहिए और कैसे इलाज करवाना चाहिए।

वर्ल्ड हेल्थ आग्रेनाइजेशन (WHO) की रिपोर्ट मुताबिक, रेबीज एक वायरल बीमारी है जो कुत्ते, बिल्लियों और जानवरों के काटने या खरोंच से होती है। रेबीज लोगों और जानवरों में लार के माध्यम से फैलता है, आमतौर पर काटने, खरोंचने या म्यूकोसा जैसे आंखें, मुंह या खुले घाव के सीधे संपर्क के माध्यम से। अगर, समय रहते रेबीज के लक्षणों की पहचान और इलाज नहीं किया जाए तो रेबीज लगभग 100% घातक हो साबित हो सकता है।

WHO के अनुसार, भारत में हर साल हजारों लोग रेबीज के कारण जान गंवाते हैं, जिनमें से अधिकतर मामले केवल इस वजह से होते हैं कि समय रहते इंजेक्शन नहीं लगाया गया। कुत्ता चाहे पालतू हो या आवारा, उसके काटने पर तुरंत मेडिकल मदद और एंटी-रेबीज इंजेक्शन (ARV) लेना बेहद जरूरी होता है। यह इंजेक्शन अगर कुछ घंटों के भीतर न दिया जाए, तो शरीर में वायरस फैलकर दिमाग, नर्वस सिस्टम और अंत में हृदय प्रणाली पर हमला करता है, जिससे रोगी की मौत भी हो सकती है।

हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, कुत्ते के काटने के बाद 24 घंटे के भीतर पहला इंजेक्शन लेना जरूरी है। ऐसा नहीं किया जाता तो रेबीज का खतरा बढ़ सकता है। ऐसे में जितना जल्दी हो सके इंजेक्शन लेना सबसे सुरक्षित होता है। कुत्ते या बिल्ली के काटने को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि रेबीज के लक्षण एक बार शुरू हो जाएं, तो इलाज नामुमकिन होता है।

कुत्ते के काटने से रेबीज वायरस घाव के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। जब संक्रमित कुत्ता काटता है, तो उसकी लार में मौजूद वायरस सीधे आपकी स्किन, मांसपेशियों और नसों तक पहुंच जाता है। जिसके बाद यह वायरस स्पाइनल कॉर्ड और ब्रेन तक पहुंचता है, जिससे व्यक्ति में भ्रम, दौरे, चक्कर और अजीब व्यवहार देखने को मिलता है। सही समय में इसका इलाज नहीं किया जाता है तो ये घातक साबित हो सकता है। क्योंकि, एक बार जब लक्षण शुरू हो जाएं, तो इसका कोई इलाज नहीं है। रेबीज के लक्षण शुरू होने पर 10 से 15 दिनों के अंदर मरीज की मौत तक हो सकती है।

कुत्ते के काटने पर कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक है। अगर किसी को कुत्ता काट ले तो घाव को तुरंत बहते पानी और साबुन से कम से कम 10 मिनट तक धोएं। इसके बाद एंटीसेप्टिक लगाएं जैसे पोटाश या डेटॉल। सरकारी अस्पताल या डॉक्टर के पास जाएं और एंटी-रेबीज वैक्सीन (ARV) लगवाएं। अगर घाव गहरा है, तो इम्यूनोग्लोबुलिन इंजेक्शन भी जरूरी हो सकता है।

इसके अलावा हड्डियों की मजबूती के लिए खीरे के बीज का सेवन भी किया जा सकता है। खीरे के बीज ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी हड्डियों की बीमारियों को रोकने के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं।