हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट दो ऐसे दिल के रोग है जिनके मामले मौजूदा दौर में बढ़ते जा रहे हैं। चिंता की बात यह है कि अब कम उम्र में ही लोग हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट का शिकार हो रहे हैं। दिल की ये बीमारी रातों रात नहीं होती, इनके पीछे कई वर्षों तक चली लाइफस्टाइल से जुड़ी खराब आदतें और शरीर में अंदरूनी परिवर्तन जिम्मेदार होते हैं। दिल के इन रोगों के पनपने के लिए सालों से नसों में जमा गंदा कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड जिम्मेदार है जो आपके दिल की धड़कनों के धड़कने में बाधा बनता है।

खून की नसों में जमा गंदा कोलेस्ट्रॉल (LDL) और हाई ट्राइग्लिसराइड्स दिल की धमनियों को संकरा कर देता हैं, जिससे दिल को ऑक्सीजन और रक्त की आपूर्ति बाधित होती है। यही स्थिति आगे चलकर हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकती है।अब सवाल ये उठता है कि आखिर ये कोलेस्ट्रॉल क्या है जो हमारे दिल का दुश्मन है। आइए समझते हैं कोलेस्ट्रॉल क्या होता है और इसका क्या महत्व है?

कोलेस्ट्रॉल एक चिकना, मोम जैसा पदार्थ होता है जो हमारे पूरे शरीर में पाया जाता है। यह अपने आप में हानिकारक नहीं होता, लेकिन जब इसकी मात्रा ज़रूरत से ज़्यादा हो जाती है, तब यह समस्या उत्पन्न कर सकता है। कोलेस्ट्रॉल हमारी बॉडी के लिए सिर्फ दुश्मन नहीं है बल्कि ये हमारी बॉडी में कुछ जरूरी काम भी करता है। कोलेस्ट्रॉल दो तरह का होता है एक गुड कोलेस्ट्रॉल जिसे HDL कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है तो दूसरा होता है खराब कोलेस्ट्रॉल जिसे LDL कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है।

गुड कोलेस्ट्रॉल शरीर को स्वस्थ कोशिकाएं बनाने, कुछ विटामिन और हार्मोन के निर्माण में ज़रूरी होता है। कोलेस्ट्रॉल हमारी बॉडी यानी लिवर में भी बनता है और डाइट से भी मिलता है। एनिमल बेस्ड फूड्स जैसे मांस, अंडा, मुर्गी और डेयरी प्रोडक्ट में कोलेस्ट्रॉल मौजूद होता है। इन फूड्स में सैचुरेटेड फैट और ट्रांस फैट की मात्रा भी अधिक हो सकती है, जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा सकते हैं।

कोलेस्ट्रॉल खून में घूमता रहता है। जैसे-जैसे खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ती है, वैसे-वैसे स्वास्थ्य से जुड़ा खतरा भी बढ़ता जाता है। हाई कोलेस्ट्रॉल दिल के रोग और स्ट्रोक जैसी हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ा देता है। इसी कारण यह जरूरी है कि समय-समय पर कोलेस्ट्रॉल की जांच कराएं ताकि बॉडी में इसके स्तर की जानकारी रहे।

कोलेस्ट्रॉल दिल का दुश्मन हैं जो अन्य पदार्थों के साथ मिलकर धमनियों की अंदरूनी दीवारों पर मोटी और सख्त परत बना सकता है। इससे धमनियां संकीर्ण और कठोर हो जाती हैं जिसे एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) कहा जाता है। यह स्थिति आगे चलकर ब्लड क्लॉथ बनने का कारण बन सकती है जो तंग आर्टिरीज को पूरी तरह अवरुद्ध कर सकती है और इससे हार्ट अटैक या स्ट्रोक हो सकता है।

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