Bihar Elections: बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पूरे जोर-शोर से तोड़-जोड़ का काम तो चल ही रहा है, इसमें नेताओं की गतिविधियां तड़का लगा रही हैं। इस वक्त इंडिया गठबंधन के घटक विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) के संस्थापक मुकेश सहनी अपने बयान और आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलिमीन (एआइएमआइएम) के प्रदेश अख्तरूल इमान अपनी चिट्ठी को लेकर चर्चा में हैं। इन दोनों मुद्दों पर पटना से लेकर दिल्ली तक सियासत गरमाई हुई है।

सबसे पहले बात वीआइपी के संस्थापक मुकेश सहनी की। सहनी ने बीते दिनों कहा था कि यदि विधानसभा चुनाव के बाद इंडिया गठबंधन की सरकार बनती है तो वे उपमुख्यमंत्री बनेंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निषादों को आरक्षण दे देते हैं तो वे उनके लिए जान दे देंगे। सहनी की दोनों बातों पर सियासी रणनीतिकारों की नजर है। सवाल यह है कि सहनी यदि उपमुख्यमंत्री बनने का पहले ही दावा करने लगें तो अन्य घटक दलों का क्या होगा?

सहनी की बातों पर गठबंधन के अन्य साझेदार कानाफूसी कर रहे हैं। पूछा जा रहा है कि क्या घटक दलों में मतभेद पैदा करने के लिए तो इस तरह बयान नहीं दिलवाए गए? आखिर किसके इशारे पर सहनी ने ऐसी बात कही? वहीं उनकी दूसरी बात प्रधानमंत्री मोदी के लिए जान देने वाली है। इसे लेकर भी कई तरह की चर्चाएं हैं। इस संदर्भ में कांग्रेस के बिहार प्रवक्ता प्रेमचंद मिश्र ने सहनी समेत सभी घटक दलों को सलाह दी है कि मीडिया में अनावश्यक बातें करने से बचा जाए।

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उधर, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम के बिहार अध्यक्ष अख्तरूल इमान ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद को खत लिखकर इंडिया गठबंधन में शामिल होने की इच्छा जताई है। अख्तरूल के खत से मामला गरमाया हुआ है। दरअसल, एआइएमआइएम पर आरोप लगते रहे है कि वह भाजपा को जीताने के लिए अपना उम्मीदवार खड़ा करता है। स्पष्टत: इंडिया गठबंधन के लोग भी ओवैसी की पार्टी को भाजपा की ‘बी-टीम’ बताते रहे हैं।

इस संदर्भ में राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रोफेसर नवल किशोर ने कहा कि एआइएमआइएम ने इंडिया गठबंधन में शामिल होने की इच्छा जाहिर की है, लेकिन अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि मौजूदा इंडिया गठबंधन काफी मजबूत है और पूरी शिद्दत से चुनाव की तैयारी चल रही है। सीट बंटवारे के विवाद पर नवल किशोर ने कहा कि इंडिया गठबंधन में कोई उलझन नहीं है। सबको उचित हक मिलेगा। वहीं, AIMIM की चिट्ठी में कहा गया था कि अगर सभी दल साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे तो वोटों में बिखराव नहीं होगा। पढ़ें…पूरी खबर।

(जनसत्ता के लिए राजीव रंजन तिवारी की रिपोर्ट)