बदलते मौसम के साथ खानपान और लाइफस्टाइल का ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक है, क्योंकि अगर मौसम के अनुसार खाना नहीं खाया जाए तो कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इस मौसम में संक्रमण और पाचन संबंधी समस्याएं आम बात हैं। ऐसे में सेहत का भी ख्याल रखना चाहिए। बारिश के मौसम में नमी बढ़ जाती है, जिसके चलते सब्जियों में फंगस और कीड़े आसानी से लग जाते हैं। ऐसे में सभी प्रकार की सब्जियों का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि अगर इन चीजों का ध्यान नहीं रखा गया तो पाचन से लेकर अन्य बीमारियों का खतरा अधिक बढ़ जाता है। आरोग्य डाइट और न्यूट्रिशन क्लीनिक की डाइटिशियन डॉ. सुगीता मुटरेजा ने बताया कि बारिश के मौसम में कौन-सी सब्जी नहीं खानी चाहिए।

मानसून के मौसम में पालक, केल और मेथी जैसी पत्तेदार सब्जियां खाने से बचना ही बेहतर है। ऐसा इसलिए क्योंकि बारिश के कारण इन सब्जियां में नमी बहुत ज्यादा होती है और इनमें बैक्टीरिया और कीटाणु आसानी से पनप सकते हैं। इन्हें साफ करना भी बहुत मुश्किल होता है। अगर आपको इन्हें खाना ही है, तो इन्हें बहुत सावधानी से धोकर और खाने से पहले थोड़ी देर के लिए गर्म पानी में उबालकर खाएं।

मशरूम भी नमी वाले वातावरण में पनपते हैं। मानसून के मौसम में मशरूम में फंगल संक्रमण होने की संभावना अधिक होती है। कुछ प्रकार के मशरूम जहरीले भी हो सकते हैं, इसलिए मानसून के मौसम में इनसे बचना ही बेहतर है।

बैंगन में छोटे-छोटे कीड़े लगने की संभावना ज्यादा होती है। खासतौर पर बरसात के मौसम में बैंगन में कीड़े लगने का खतरा ज्यादा होता है। इसलिए बरसात के मौसम में बैंगन खाने से बचना ही बेहतर है।

मानसून के मौसम में अंकुरित आलू आम बात है और हाई आर्द्रता के कारण, इन अंकुरित आलू में सोलनिन नामक विष होता है। अगर बड़ी मात्रा में इसका सेवन किया जाए तो यह सिरदर्द, मतली और यहां तक ​​कि अपच का कारण भी बन सकता है।

इन सब्जियों को साफ करना मुश्किल होता है। धोने के बाद भी, छिपी हुई परतों में बैक्टीरिया, गंदगी और नमी हो सकती है। इससे बरसात के मौसम में खाद्य जनित संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

इन सब्जियों में भी कीड़े और उनके लार्वा होने की संभावना होती है। बरसात के मौसम में इन्हें साफ करना थोड़ा मुश्किल होता है। इसलिए इन्हें भी सावधानी से चुनना चाहिए या खाने से बचना चाहिए।

बरसात के मौसम में मूली खाने से भी बचना चाहिए। इसमें कीटाणु हो सकते हैं। मूली की तासीर ठंडी होती है और बरसात में वातावरण भी ठंडा होता है, जिससे पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा मूली में फाइबर अधिक होता है, जो कुछ लोगों में गैस और पेट फूलने की समस्या पैदा कर सकता है। कुछ लोगों को मूली खाने से एलर्जी भी हो सकती है।

इसके अलावा हड्डियों की मजबूती के लिए खीरे के बीज का सेवन भी किया जा सकता है। खीरे के बीज ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी हड्डियों की बीमारियों को रोकने के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं।