नितिन शर्मा। ओलंपिक मेडल जीतना हर खिलाड़ी का सपना होता है। वह इसके लिए सालों तक मेहनत करते हैं तब जाकर एक ओलंपिक मेडलिस्ट कहलाते हैं। ओलंपिक मेडल उनके लिए एक जीवनपूंजी की तरह होती है। पेरिस ओलंपिक में मेडल जीतने वाले भारतीय खिलाड़ियों के लिए भी उनकी कमाई है लेकिन महज सात दिन के अंदर ही मेडल फीका पड़ने लगा है। यह शिकायत भारतीय निशानेबाजों ने की है।
भारतीय निशानेबाज स्वप्निल कुसाले, सरबजोत सिंह और मनु भाकर ने बताया कि पेरिस ओलंपिक में उन्हें जो मेडल दिए गए उनका रंग छूटना लगा है। वह यह देखकर निराश हैं। भारतीय ओलंपिक संघ इसकी शिकायत अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ में करने वाला है।
भारत के लिए थ्री पॉजिशन राइफल इवेंट में मेडल जीतने वाले कुसाले ने कहा, ‘पदक जीतने के सात दिन के भीतर ही ब्रॉन्ज मेडल का रंग उतर गया। जब मैं भारत पहुंचा तो दोस्तों, कोचों और साथी निशानेबाजों का ध्यान भी उस ओर गया। ओलंपिक मेडल निशानेबाजों के लिए एक अनमोल धरोहर है और उस पर से कोटिंग हटना साफ दिखाई दे रहा था। पदक देखने वाले सभी लोगों ने इस बात को महसूस किया।’
पिस्टल मेडलिस्ट सरबजोत सिंह ने कहा, ‘मैंने भी समारोह के कुछ दिनों बाद पदक का रंग उड़ता हुआ देखा था और मेरी टीम ने इस मुद्दे को उजागर करने के लिए संबंधित अधिकारियों से संपर्क किया। ओलंपिक पदक युवाओं के साथ-साथ मौजूदा निशानेबाजों को भी ओलंपिक गौरव हासिल करने के लिए प्रेरित करते हैं और इसका रंग खराब नहीं होना चाहिए।’ हॉकी कांस्य पदक विजेता के पिता वरिंदर पाल सिंह ने कहा, ‘हार्दिक सिंह के दादा गुरमेल सिंह को मॉस्को ओलंपिक हॉकी स्वर्ण जीते 40 साल से ज़्यादा हो गए हैं और उस पदक का रंग बिना नहीं गया है। हार्दिक द्वारा जीता गया पेरिस ओलंपिक कांस्य पदक फीका पड़ गया था और ऐसी चीजें नहीं होनी चाहिए।’