कांग्रेस सांसद शशि थरूर और उनकी पार्टी के बीच सबकुछ ठीक नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद विदेश गए एक प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थरूर थे। हालांकि कांग्रेस ने उनका नाम नहीं दिया था लेकिन सरकार ने उन्हें भेजा। इसके बाद से ही माना जा रहा है कि शशि थरूर और कांग्रेस के बीच दूरियां बढ़ गई है। अब कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने गुरुवार को शशि थरूर पर तीखा हमला किया लेकिन नाम नहीं लिया। उन्होंने सवाल किया कि क्या शशि थरूर आपातकाल पर भाजपा के बयानों को दोहरा रहे हैं?

थरूर ने प्रोजेक्ट सिंडिकेट द्वारा प्रकाशित एक लेख में तर्क दिया कि आपातकाल को केवल भारत के इतिहास के एक काले अध्याय के रूप में याद नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि इसकी कठिनाइयों और सबक को पूरी तरह से समझा जाना चाहिए। टैगोर ने एक्स पर लिखा, “जब कोई सहयोगी भाजपा की बातों को दोहराने लगता है, तो आप सोचने लगते हैं, क्या चिडियां तोता बन रही है? मिमिक्री चिड़ियों में प्यारी लगती है, राजनीति में नहीं।” हालांकि उन्होंने सीधे तौर पर थरूर का नाम नहीं लिया, लेकिन निशाना स्पष्ट था।

बता दें कि अपने आर्टिकल में थरूर ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक लगाए गए आपातकाल के दौरान हुई ज्यादतियों को याद किया। उन्होंने बताया कि अनुशासन लाने के लिए उठाए गए कदम अकसर क्रूरता में बदल जाते हैं। थरूर ने लिखा, “इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी ने जबरन नसबंदी अभियान चलाया, जो इसका एक उदाहरण बन गया। गरीब ग्रामीण इलाकों में मनमाने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए हिंसा और जबरदस्ती का इस्तेमाल किया गया। नई दिल्ली जैसे शहरों में झुग्गियों को बेरहमी से ध्वस्त कर दिया गया और उन्हें खाली करा दिया गया। हजारों लोग बेघर हो गए। उनके वेलफेयर पर ध्यान नहीं दिया गया।”

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इसके अलावा थरूर ने यह भी चेतावनी दी कि सत्ता को केंद्रित करने, असहमति को दबाने और संवैधानिक नियंत्रणों को दरकिनार करने की प्रवृत्ति अलग-अलग तरीकों से फिर से उभर सकती है। उन्होंने कहा, “अक्सर ऐसी स्थितियों को राष्ट्रीय हित या स्थिरता के नाम पर उचित ठहराया जा सकता है। इस लिहाज से, आपातकाल एक कड़ी चेतावनी है। लोकतंत्र के रक्षकों को हमेशा सतर्क रहना चाहिए।”

बता दें कि पिछले महीने ही थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खुलकर तारीफ की थी। इसके बाद ने पार्टी के भीतर एक ‘पक्षी सादृश्य’ वाली बहस शुरू की थी जो अब एक ‘पक्षी सादृश्य’ वाली बहस बन गई है।

पिछले महीने एक्स पर एक पोस्ट में थरूर ने एक चिड़िया की तस्वीर शेयर की और लिखा था, “उड़ने की इजाजत मत मांगो। पंख तुम्हारे हैं। और आसमान किसी का नहीं है।” इसके बाद टैगोर ने अगले ही दिन लिखा था, “उड़ने की इजाजत मत मांगो। पक्षियों को उड़ने के लिए अनुमति की जरूरत नहीं होती। लेकिन आज के जमाने में एक आज़ाद पंछी को भी आसमान पर नज़र रखनी चाहिए। बाज़, गिद्ध और चील हमेशा शिकार करते रहते हैं। आज़ादी मुफ़्त नहीं होती, खासकर जब शिकारी देशभक्ति को पंख बनाकर पहनते हैं।”

अब बड़ा सवाल यह है कि क्या शशि थरूर कांग्रेस छोड़ने वाले हैं या फिर उन्हें पार्टी बाहर का रास्ता दिखाएगी। शशि थरूर ने खुद स्वीकारा है कि पार्टी के साथ कुछ मुद्दों पर उनके मतभेद हैं।