भारतीय नर्स निमिशा प्रिया का नाम इन दिनों चर्चा में बना हुआ है, निमिशा भारत के केरल की रहने वाली है, जिन्हें यमन में 16 जुलाई को मौत की सजा दी जाने वाली हैं। निमिशा की पूरी कहानी जानने के लिए हम आपको थोड़ा पीछे ले चलते हैं। प्रिया मूल रूप से केरल के छोटे से शहर पलक्कड़ जिले की रहने वाली हैं, इनकी मां प्रेमा कुमारी कोच्चि में घरेलू सहायिका के रूप में काम करती हैं। हालांकि अपनी बेटी को बचाने के लिए पिछले एक साल से वे यमन में ही रह रही हैं । किसी भी आम लड़की की तरह निमिशा के कुछ सपने थे, परिवार की हालत भी ठीक नहीं थी इसलिए वे काम करने के लिए यमन चलीं गईं। वे यमन में नर्स का काम करती थीं। सब सही चल रहा था हालांकि एक झटके में प्रिया की पूरी कहानी ही बदल गई। दरअसल, प्रिया को 2017 में यमन के नागरिक तलाल अब्दो मेहदी की हत्या का दोषी पाया गया। जानकारी के अनुसार, मेहदी उनका बिजनेस पार्टनर था।
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निमीशा ने केरल के ऑटो ड्राइवर से शादी की थी, इसके बाद दोनों यमन में साथ रहने लगे थे मगर विदेश में बेटी की देखभाल करना मुश्किल हो था इसलिए निमिशा का पति कोच्चि लौट गया। निमिशा यमन में खुद का क्लीनिक खोलना चाहती थी मगर इसके लिए वहां के शख्स के साथ पार्टनरशिप जरूरी है। नर्स की नौकरी करते समय ही निमिशा की मुलाकात तलाल अब्दो मेहदी नामक शख्स से हुई। निमिशा ने क्लिनिक खोलने की बात मेहदी को बताई और दोनों ने पार्टनरशिप में क्लिनिक की शुरुआत की। निमिशा इस बीच एक महीने के लिए केरल लौटी, तब मेहदी के मन में खिचड़ी पक रही थी, उसने निमिशा की शादी की तस्वीरें चुरा लीं औऱ लोगो में ये फैला दिया कि निमिशा और उसकी शादी हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार, मेहदी अब क्लिनिक की कमाई भी रखने लगा था। उसने सबसे कहना शुरू कर दिया कि क्लिनिक उसका है और निमिशा के परिवार को भी प्रताड़ित करने लगा। उसने निमिशा का पासपोर्ट रख लिया ताकि वह भारत न लौट सके। निमिशा पूरी तरह टूट गई थी, उसने अपनी आपबीती के बरे में क्लिनिक के पास रहने वाली जेल की वार्डन को भी बताया था। निमिशा का पक्ष ये है कि उसने मेहदी को ड्रग की दवाई दी ताकि उसके बेहोश होने के बाद वह अपना पासपोर्ट लेकर भारत चली जाए मगर ओरवडोज के कारण मेहदी की मौत हो गई और निमिशा की जिंदगी पूरी तरह बदल गई।
इसके बाद मेहदी हत्या की दोषी पाई गई निमिशा को 2018 में मौत की सजा सुनाई गई। निमिशा को भारत भागने की कोशिश करते समय पक़ड़ा गया था। निमिशा को 16 जुलाई 2025 को मौत की सजा दी जाने की तारीख मुकर्र की गई है। इसकी पुष्टि, यमन के सरकारी अधिकारियों और मृतक मेहदी के परिवार के साथ बातचीत में शामिल सामाजिक कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम बसकरन ने की है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार प्रिया की जान बचाने के लिए मामले में हस्तक्षेप कर सकती है।
तलाल के परिवार की ओर से माफी के बारे में सैमुअल ने कहा, “हमने पिछली मीटिंग के समय परिवार को एक प्रस्ताव दिया था। अभी तक उन्होंने इसका कोई जवाब नहीं दिया है। मैं यमन जाकर फिर से बातचीत शुरू करने वाला हूं।” फिलहाल यमन में प्रिया की मां मारे गए शख्स के परिवार को ‘ब्लड मनी’ देकर अपनी बेटी के लिए मृत्युदंड को माफ करने की कोशिश कर रही थीं। भातर भी निमिशा प्रिया के लिए पूरी कोशिश कर रहा है।
बता दें कि यमन की एक ट्रायल कोर्ट ने बिजनेस पार्टनर की हत्या मामले में निमिशा को मौत की सज़ा सुनाई थी और सुप्रीम कोर्ट ने भी उसे बरकरार रखा था। इसके बाद पिछले साल यमन के राष्ट्रपति रशद अल-अलीमी ने 38 साल की निमिशा की मौत की सज़ा को मंज़ूरी दी थी। अब उसकी किस्मत तलाल के परिवार की माफ़ी पर टिकी है। पिछले साल जब यमन के राष्ट्रपति ने मौत की सज़ा को मंज़ूरी दी थी तब भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि निमिशा और उनके परिवार को हर संभव मदद दी जाएगी।
रिपोर्ट्स के अनुसार, यमन में आर्टिकल 485 तरीके से मृत्युदंड दिया जाता है और वह गोली मारना है। मृत्युदंड दिए जाने की प्रक्रिया के तहत दोषी को जमीन पर गलीचे या फिर कंबल पर उलटा लिटा दिया जाता है, इसके बाद एक जल्लाद राइफल लेकर उसकी पीठ पर कई राउंड फायर करता है। वह दोषी के दिल पर गोली मारने की कोशिश करता है, जिससे उसकी जल्द मौत हो जाए। दिल सटीक किस जगह पर है, उसकी पहचान डॉक्टर पहले ही कर लेता है। इसी आर्टिकल के तहत निमिषा को मौत की सजा दी जा सकती है।
इस्लामिक कानून में ब्लड मनी क्या, जिससे रूक सकता है प्रिया की सजा
इस्लामिक कानून के अनुसार, प्रिया की रिहाई ‘दियात’ या ‘ब्लड मनी’ देकर रूक सकती थी मगर इसमें कुछ परेशानियां आईं हैं। ‘ब्लड मनी’का मतलब उस आर्थिक मुआवजे से है, जो दोषी की तरफ से पीड़ित के परिवार को दिया जाता है। इसके पीड़ित के परिवार को यह कहने का अधिकार है कि अपराधियों को कैसे सजा दी जाए । हत्या के मामले में यह सिद्धांत पीड़ित के परिवारों पर लागू होता है। पीड़ित का परिवार ‘दियात’के बदले में हत्यारे को माफ़ कर सकता है।
स्कॉलर्स का मानना है कि इसके पीछे के विचार माफी देने जैसे गुण को बढ़ाना है, साथ ही पीड़ित के परिवार को क्षतिपूर्ति न्याय देना करना है। धर्मग्रंथों ने मुआवजे के रूप में कोई विशिष्ट राशि तय नहीं की है, यह राशि आम तौर पर हत्यारे के परिवार और पीड़ित के परिवार के बीच बातचीत के जरिए तय की जाती है। हालांकि कुछ इस्लामी देशों ने न्यूनतम मुआवजे की राशि तय कर दी है।