छत्तीसगढ़ पुलिस ने सुकमा जिले में माओवादियों के बड़े कमांडर को ढेर कर दिया है। इसका नाम महेश कोरसा था और उसे इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) लगाने में महारत हासिल थी। उसके द्वारा लगाए गए आईईडी से हुए धमाकों में बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी मारे गए थे। महेश को पिछले सप्ताह माओवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में पुलिस ने ढेर कर दिया। महेश इतना खतरनाक था कि छत्तीसगढ़ में उसे हिंसा का दूसरा नाम माना जाता था।

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, कोरसा 2017 में 25, 2020 में 17 और 2021 में 22 सुरक्षा कर्मियों की मौत के लिए जिम्मेदार था।

सुकमा के पुलिस अधीक्षक (एसपी) किरण चव्हाण ने बताया, “महेश कई बार बच निकलने में कामयाब रहा लेकिन इस बार उसकी मौजूदगी की पुख्ता जानकारी मिली और 8 जनवरी को जिला रिजर्व गार्ड (DRG), स्पेशल टास्क फोर्स (STF) और कमांडो बटालियन फॉर रिसोल्यूट एक्शन (CoBRA) की संयुक्त टीम ने ऑपरेशन चलाया। 9 जनवरी को पालीगुडा और गुंदराज गुडेम गांवों के बीच के जंगलों में हुए एनकाउंटर के दौरान उसे मार गिराया गया।”

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महेश कोरसा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की हथियारबंद शाखा पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) में डिप्टी प्लाटून कमांडर था। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) पर बैन लगा हुआ है। इससे पहले, वह पीएलजीए की बटालियन 1 का हिस्सा था। इस बटालियन को पीएलजीए की सबसे खतरनाक बटालियनों में से एक माना जाता है। पुलिस ने बताया कि कोरसा के पास इंसास राइफल थी और वह तीन बार एनकाउंटर से बच निकला था जबकि तब इन एनकाउंटर में कई माओवादी मारे गए थे।

पुलिस ने बताया कि पिछले साल जून में उसने सुकमा के तिमापुरम इलाके में दो पुलिस कैंपों के बीच एक आईईडी लगाया था। इस घटना में दो कोबरा जवान मारे गए थे। नवंबर में उसने अपनी टीम के साथ दो पुलिसकर्मियों पर हमला किया और उनके हथियार (एके-47 और एसएलआर) छीन लिए। एक सब-इंस्पेक्टर की हत्या में भी वह शामिल रहा था।

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महेश साल 2010 में माओवादियों के गिरोह में शामिल हुआ था। पुलिस ने बताया कि 2017 में उसे एक महीने तक आईईडी लगाने की ट्रेनिंग दी गई थी। पिछले 8 सालों से उसने बस्तर में कई जगहों पर आईईडी लगाई और इस तकनीक को माओवादियों के कैडर को भी सिखाया। उसकी पत्नी हेमला भी माओवादी कैडर में शामिल है और सीपीआई (माओवादी) में बतौर डॉक्टर काम करती है।

सुकमा के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल कमलोचन कश्यप ने कहा कि महेश का नाम हिंसक गतिविधियों के लिए पहचाने जाने लगा था।

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सुकमा पुलिस के रिकॉर्ड के अनुसार, कोरसा का नाम पहली बार 2015 में चिंतागुफा पुलिस स्टेशन में हुई मुठभेड़ में सामने आया था, जहां पिडमेल जंगल में एसटीएफ के सात जवान मारे गए थे और 10 घायल हो गए थे। 2017 में वह बुरकापाल में रोड ओपनिंग पार्टी पर हुए हमले में शामिल था। इस हमले में CRPF के 25 जवान मारे गए थे और 7 घायल हो गए थे। 2020 में फिर से बुरकापाल में हुई एक और मुठभेड़ में वह शामिल था। इस दौरान 17 जवान शहीद हुए थे जबकि 15 घायल हो गए थे।

2021 में महेश सुकमा के टेकलगुडेम में हुए एनकाउंटर में शामिल रहा था, इसमें 22 जवान शहीद हुए थे। इसके अलावा भी महेश कोरसा कई हिंसक घटनाओं में शामिल रहा था।

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