Arvind Kejriwal Soft Hindutva Politics: कुछ साल पहले तक भारत की राजनीति में यह आम धारणा थी कि बीजेपी के नेता ही मंदिर जाते हैं लेकिन समय बदलने के साथ यह धारणा टूटी है। न सिर्फ कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी बल्कि आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी पिछले सालों में लगातार मंदिरों के दर्शन किए हैं और ऐसा करके उन्होंने बीजेपी की हिंदुत्व की राजनीति के मुकाबले में ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ का हथियार चला है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में नामांकन दाखिल करने से पहले अरविंद केजरीवाल फिर से मंदिर पहुंचे। हाल ही में दिल्ली सरकार की ओर से किए गए कुछ ऐलानों के बाद यह साफ दिखा है कि आम आदमी पार्टी और केजरीवाल ने ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ के रास्ते पर तेजी से कदम बढ़ाए हैं। सवाल यह है कि क्या इसके दम पर वे दिल्ली में फिर से आम आदमी पार्टी की सरकार बना पाएंगे?
दिल्ली के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की जीत का पूरा दारोमदार एक बार फिर से अरविंद केजरीवाल के कंधों पर है। केजरीवाल दिल्ली की राजनीति के ऐसे नायाब नेता हैं जिन्होंने 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी-कांग्रेस जैसे स्थापित राजनीतिक दलों को लगभग ध्वस्त कर दिया और प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई। जबकि इतनी बड़ी जीत शीला दीक्षित भी कांग्रेस को नहीं दिला सकी थीं। लेकिन 2025 का विधानसभा चुनाव पिछले दो चुनाव जैसा आसान नहीं दिखाई देता।
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इस विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी बीजेपी-कांग्रेस की ओर से मिल रही जोरदार चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
अरविंद केजरीवाल जहां अपने सरकारी आवास को ‘शीशमहल’ बताए जाने को लेकर और इसमें किए गए खर्च को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के जोरदार हमलों का सामना कर रहे हैं। वहीं, कथित शराब घोटाले को लेकर भी वह इन दोनों ही राजनीतिक दलों के निशाने पर हैं। इस मामले में न सिर्फ केजरीवाल बल्कि पार्टी के अन्य बड़े नेता मनीष सिसोदिया, संजय सिंह भी जेल की हवा खा चुके हैं।
बीजेपी-कांग्रेस के द्वारा लगातार किए जा रहे हमलों के बीच दिल्ली के विधानसभा चुनाव से पहले हालात कुछ ऐसे बने कि केजरीवाल को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी और आतिशी को उन्होंने इस बड़े पद पर बैठने का मौका दिया।
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2014 से लगातार केंद्र की सरकार की अगुवाई कर रही बीजेपी कई राज्यों में सरकार बना चुकी है। लेकिन दिल्ली में केजरीवाल को हटा पाना उसके लिए मुश्किल साबित हुआ है। बावजूद इसके कि वह पिछले लगातार तीन लोकसभा चुनाव से दिल्ली की सभी सातों लोकसभा सीटें जीत रही है लेकिन पार्टी विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाती। बीजेपी ने एक बार फिर से अपनी पूरी ताकत जुटाई है, कई राज्यों के नेताओं को दिल्ली के चुनाव में लगाया है और पार्टी के तमाम नेताओं को टारगेट दिया गया है कि वे दिल्ली में किसी भी सूरत में कमल खिलाएं।
इसके लिए बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं ने ‘शीशमहल’ और कथित आबकारी घोटाले के साथ ही यमुना की सफाई, दिल्ली में प्रदूषण, मोहल्ला क्लिीनिकों की हालत, भ्रष्टाचार जैसे तमाम मुद्दों पर सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को घेर लिया है।
निश्चित रूप से केजरीवाल के सामने चुनौतियां बहुत ज्यादा हैं और केजरीवाल जानते हैं कि उन्हें बीजेपी की इस राजनीति का मुकाबला तो करना ही है, कांग्रेस की ओर से किये जा रहे तीखे हमलों का भी जवाब देना है।
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आमतौर पर यह माना जाता है कि अगर किसी चुनाव में हिंदू मतदाताओं का ध्रुवीकरण होता है तो इससे बीजेपी को फायदा होगा। केजरीवाल इस बात को अच्छी तरह जानते हैं। इसलिए उन्होंने पिछले कुछ सालों में अपनी छवि एक ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ वाले नेता के रूप में बनाई है। पिछले कुछ सालों में वह कई बार कनॉट प्लेस में स्थित हनुमान मंदिर जा चुके हैं। उन्होंने खुद को गर्व के साथ हनुमान भक्त बताया है।
दिल्ली सरकार ने दिल्ली के बुजुर्गों को तीर्थ यात्राएं कराई हैं। विधानसभा चुनाव का ऐलान होने से कुछ दिन पहले ही दिल्ली सरकार ने दिल्ली में मंदिर के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को हर महीने 18 हजार रुपए देने का भी ऐलान किया। इसके अलावा केजरीवाल ने बीजेपी के मंदिर प्रकोष्ठ के जवाब में सनातन सेवा समिति का भी गठन किया है। इस समिति का मकसद पुजारियों और संतों को मंच देना है। इतना ही नहीं अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी के मंदिर प्रकोष्ठ में भी जबरदस्त तोड़फोड़ की और इसके कई नेताओं को आम आदमी पार्टी में शामिल कर लिया। इस मौके पर अरविंद केजरीवाल तमाम संतों और पुजारियों के साथ मंच पर दिखाई दिए और ऐसा लगा कि वह हिंदुत्व की राजनीति के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुकाबला करने की कोशिश कर रहे हैं।
पूरी दिल्ली के पुजारीगण हमारा समर्थन कर रहे हैं, हमें आशीर्वाद दे रहे हैं। @ArvindKejriwal जी LIVE https://t.co/H91C8cnABb
याद दिलाना जरूरी होगा कि बीजेपी सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंदिरों में जाने की तस्वीरों और वीडियो को बड़े पैमाने पर जारी करती है।
बहरहाल, दिल्ली में चुनाव लड़ना काफी मुश्किल है क्योंकि यहां देश के लगभग सभी राज्यों और तमाम जाति-बिरादरियों, धर्मों के लोग रहते हैं। यहां लगभग 80 फ़ीसदी आबादी हिंदू है। इसलिए अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी की सरकार के द्वारा किए गए विकास के तमाम कामों को बार-बार गिनाने के साथ ही लगातार मंदिरों के दौरे करके खुद को एक हिंदू नेता के रूप में भी प्रस्तुत किया है। केजरीवाल के आलोचक इस बात को कहते हैं कि केजरीवाल एक धर्मनिरपेक्ष नेता से ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ वाले नेता बन गए हैं।
केजरीवाल को ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ के रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ते देख बीजेपी भी सकपका गई। इसलिए जब केजरीवाल ने पुजारियों और ग्रंथियों के लिए 18000 रुपए की सम्मान राशि का ऐलान किया तो बीजेपी ने उन्हें चुनावी हिंदू बताया और उन पर हिंदू विरोधी राजनीति करने का आरोप भी लगाया। बीजेपी के कई अन्य नेताओं ने भी केजरीवाल पर हमले किए।
चुनावी हिंदू केजरीवाल?जो 10 साल से इमामों को सैलरी बांटता रहा?जो ख़ुद और उनकी नानी प्रभु श्रीराम का मंदिर बनने से खुश नहीं थे?जिसने मंदिर और गुरुद्वारों के बाहर शराब के ठेके खोले?जिसकी पूरी राजनीति हिन्दू विरोधी रही उसे अब चुनाव आते ही पुजारियों और ग्रंथियों की याद आई? pic.twitter.com/KMKntiOlXW
बीजेपी जानती है कि दिल्ली में हिंदू वोटों का बड़ा हिस्सा विधानसभा चुनाव में केजरीवाल के साथ है और अगर उसे दिल्ली में अपना वनवास खत्म करना है तो इस वोट बैंक में सेंध लगानी ही होगी।
हाल ही में हुए हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद अरविंद केजरीवाल ज्यादा अलर्ट हैं। हरियाणा और दिल्ली आपस में लंबे बॉर्डर को शेयर करते हैं। इसलिए केजरीवाल ने भी अपनी तैयारियों को और पुख्ता किया है। इसीलिए केजरीवाल विकास के कामों के साथ ही खुद को हिंदुत्व समर्थक भी दिखाना चाहते हैं।
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न सिर्फ केजरीवाल बल्कि दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सहित पार्टी के कई और उम्मीदवार नामांकन से पहले मंदिरों में दर्शन करने पहुंचे और इनकी तस्वीरें को उन्होंने बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया पर साझा किया।
देखना होगा कि ‘शीशमहल’ को लेकर जारी विवाद, कथित आबकारी घोटाले, सांसद स्वाति मालीवाल की बगावत के बीच अरविंद केजरीवाल क्या बीजेपी और कांग्रेस के द्वारा उन्हें घेरने के लिए रचे गए चक्रव्यूह को तोड़कर दिल्ली में फिर से आम आदमी पार्टी की सरकार बना पाएंगे?