Lauren Powell Jobs left Maha Kumbh: एप्पल के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स (Lauren Powell Jobs) ने हाल ही में महाकुंभ में भाग लेने के लिए दो हफ्ते की यात्रा पर प्रयागराज आई थीं, लेकिन अचानक तबीयत खराब होने के कारण वह भूटान रवाना हो गईं। उनको एलर्जी की समस्या हो गई, जिससे उन्हें अपना प्रवास बीच में ही खत्म करना पड़ा। वह प्रयागराज से भूटान के लिए रवाना हो गईं। वहां वह कुछ समय प्राकृतिक वातावरण में बिताकर स्वास्थ्य लाभ करेंगी।
लॉरेन ने महाकुंभ में निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि के शिविर में समय बिताया था। यहां उन्होंने सनातन धर्म की गहनता को समझने और आध्यात्मिक शांति पाने के लिए दीक्षा ली। उन्हें महाकाली के बीज मंत्र का जाप करने की विधि दी गई।
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लॉरेन पॉवेल को ले जाने के लिए 93 साल बाद पहली बार प्रयागराज के बमरौली एयरपोर्ट पर इंटरनेशनल फ्लाइट आई। रॉयल भूटान एयरलाइंस की इंटरनेशनल फ्लाइट ड्रुक एयर (Druk Air) लॉरेन पॉवेल और उनके सहयोगियों को लेकर भूटान के लिए रवाना हुई। इससे पहले 1932 में ब्रिटिश शासन के दौरान प्रयागराज से लंदन के लिए सीधी फ्लाइट संचालित होती थी।
इस बार महाकुंभ में विदेशी नागरिकों और प्रवासी भारतीयों के आने के कारण एयरपोर्ट पर इमिग्रेशन विभाग की विशेष व्यवस्था की गई थी। प्रयागराज हवाई अड्डा, जिसे 1919 में स्थापित किया गया था, अपनी स्थापना के शुरुआती वर्षों में एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा था। 1932 तक यहां से लंदन तक सीधी उड़ानें संचालित होती थीं, जो इसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाती थीं। इन उड़ानों का संचालन स्पीडबर्ड एयरलाइन द्वारा किया जाता था, जो उस समय की प्रमुख एयरलाइनों में से एक थी।
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महाकुंभ में लॉरेन पॉवेल का आना और उनका अनुभव भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की वैश्विक महत्ता को समझना था। वह दुनिया के सबसे अमीर और प्रसिद्ध लोगों में से एक हैं, लेकिन वह वास्तविक शांति और सादगी को महत्व देती हैं। उनका सरल आचरण और गहरी आध्यात्मिक रुचि से यह साबित भी होता है। भूटान में उनका जाना भी इसी दिशा में एक कदम है।
लॉरेन पॉवेल की आध्यात्मिकता की खोज ने उन्हें महाकुंभ तक पहुंचाया। यहां उनके व्यवहार से यह स्पष्ट हुआ कि वह अपने साधारण और अहंकार रहित व्यक्तित्व के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने सादगीपूर्ण कपड़े पहनकर साधुओं और संतों से मुलाकात की और सनातन संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को समझा। इस दौरान उन्हें नया नाम ‘कमला’ भी दिया गया। लॉरेन की गहरी आस्था और रुचि ने उन्हें भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता के प्रति आकर्षित किया।
महाकुंभ आने से पहले लॉरेन ने काशी विश्वनाथ मंदिर का दर्शन किया और गंगा में नौकायन किया। लॉरेन के महाकुंभ आगमन को उनके दिवंगत पति स्टीव जॉब्स की अधूरी इच्छा से भी जोड़ा जा रहा है। 1974 में स्टीव ने भारत आने और कुंभ में भाग लेने की इच्छा जताई थी, जो वह पूरा नहीं कर सके। माना जा रहा है कि लॉरेन ने उनकी यह इच्छा पूरी की।
एयरपोर्ट पर लॉरेन ने निदेशक मुकेश उपाध्याय से मुलाकात की और औपचारिकताओं को पूरा किया। इसके बाद विमान ने भूटान के लिए उड़ान भरी। भूटान में वह कुछ समय प्राकृतिक वातावरण में बिताकर स्वास्थ्य लाभ करेंगी।