राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी और बिहार विधान परिषद के पूर्व सदस्य कामेश्वर चौपाल (68) का निधन हो गया है। वे लंबे समय से बीमार थे और दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। गुरुवार को उन्होंने अंतिम सांस ली। कामेश्वर चौपाल का नाम राम मंदिर आंदोलन से जुड़ा रहा है। उन्होंने ही अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए पहली ईंट रखी थी। इसी वजह से संघ ने उन्हें “प्रथम कार सेवक” का दर्जा दिया था। उनके निधन की खबर से उनके समर्थकों और राम मंदिर आंदोलन से जुड़े लोगों में शोक की लहर है।

कामेश्वर चौपाल का नाम पहली बार 9 नवंबर 1989 को अयोध्या में राम मंदिर शिलान्यास कार्यक्रम के दौरान चर्चा में आया था। उस दिन देशभर से हजारों साधु-संत और लाखों कारसेवक वहां जुटे थे। इस ऐतिहासिक अवसर पर राम मंदिर निर्माण की पहली ईंट रखने का सौभाग्य कामेश्वर चौपाल को मिला। उस समय वे विहिप (VHP) के संयुक्त सचिव थे। इसके बाद वे राजनीति में सक्रिय हो गए और 2002 में बिहार विधान परिषद के सदस्य बने, जहां वे 2014 तक रहे। वे बीजेपी के प्रदेश महामंत्री भी रह चुके हैं।

राम मंदिर आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के बाद बीजेपी ने उन्हें चुनावी राजनीति में उतारा। 1991 में उन्होंने रामविलास पासवान के खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। इसके बाद 1995 में वे बेगूसराय की बखरी विधानसभा सीट से भी चुनाव लड़े, लेकिन सफलता नहीं मिली। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें सुपौल से मैदान में उतारा, जहां वे तीसरे स्थान पर रहे। हालांकि उन्होंने करीब ढाई लाख वोट हासिल किए, जो उनकी लोकप्रियता का संकेत था।

फरवरी 2020 में जब राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट गठित हुआ, तो बिहार से बीजेपी नेता कामेश्वर चौपाल को भी इसमें शामिल किया गया। चौपाल का कहना था कि उन्हें पहले से पता था कि शिलान्यास के लिए किसी दलित को चुना गया है, लेकिन यह सौभाग्य उन्हें मिलेगा, इसकी जानकारी नहीं थी। शिलान्यास के बाद वे पूरे देश में चर्चा में आ गए और उन्हें “प्रथम कारसेवक” का दर्जा मिला। 24 अप्रैल 1956 को जन्मे कामेश्वर चौपाल ने मिथिला विश्वविद्यालय से एमए की डिग्री हासिल की थी और छात्र जीवन से ही सामाजिक आंदोलनों से जुड़े रहे।