PPF, NSC, ELSS, SCSS, Sukanya Samriddhi Yojana: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यूनियन बजट 2024 (Union Budget 2024) टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत दे दी। बजट 2025 में वित्त मंत्री ने नए टैक्स रिजीम (New Tax Regime) को ज्यादा आकर्षित बनाते हुए 12 लाख रुपये तक की इनकम को टैक्स फ्री कर दिया। ऐसा माना जा रहा है कि सरकार ने यह फैसला ओल्ड टैक्स रिजीम से टैक्सपेयर्स को New Tax Regime की तरफ आकर्षित करने के इरादे से लिया है। बता दें कि Old Tax Regime में अभी ज्यादा छूट और कटौती की सुविधा टैक्सपेयर्स को मिलती है।
उच्च बुनियादी छूट सीमा (higher basic exemption limit) और 12 लाख रुपये तक की आय के लिए पूर्ण कर छूट (full tax rebate) के साथ, नई कर व्यवस्था (new tax regime) अब ज्यादातर टैक्सपेयर्स के लिए एक आकर्षक विकल्प है। हालांकि, इस बदलाव का मतलब यह भी है कि नई व्यवस्था (New Tax Regime) चुनने वाले करदाताओं को अब अलग-अलग सेक्शन के तहत कटौती का लाभ नहीं मिलेगा, जिनमें शामिल हैं:
रिटायरमेंट के लिए बनाना है बड़ा पैसा तो जान लें कहां करें निवेश, SIP या सरकारी स्कीम में क्या है बेहतर ऑप्शन
सेक्शन 80सी (Section 80C): पीपीएफ (Public Provident Fund) में निवेश, ईएलएसएस (Equity Linked Savings Scheme), एनएससी(National Savings Certificate), एसएसवाई (Sukanya Samriddhi Yojana) और लाइफ इंश्योरेस प्रीमियम पर अब कोई टैक्स राहत नहीं मिलेगी।
सेक्शन 80डी (Section 80D): 25000 रुपये (वरिष्ठ नागरिकों के लिए 50,000 रुपये) के मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम पर मिलने वाली छूट भी अप्लाई नहीं होगी।
सेक्शन 80सीसीसी (Section 80CCC): पेंशन फंड्स के लिए जमा की जाने वाली रकम पर टैक्स में छूट नहीं मिलेगी।
Most Powerful Countries: दुनिया के 10 सबसे शक्तिशाली देश कौन से हैं? जानें भारत किस नंबर पर
नए टैक्स रिजीम के तहत होम लोन पर ब्याज और HRA छूट भी उपलब्ध नहीं होगी।
सरकार ने पुराने टैक्स रिजीम में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है। ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत छोटी बचत योजनाओं जैसे PPF, NSC, ELSS, SCSS, सुकन्या समृद्धि योजना में निवेश करने पर अभी टैक्स में छूट मिलती है। ये सभी स्कीम सेक्शन 80C में कवर होती हैं और सरकार इन पर कुल 1.5 लाख रुपये तक टैक्स छूट ऑफर करती है। 2020 में न्यू टैक्स रिजीम के लॉन्च होने के बाद से ही सरकार ने ओल्ड टैक्स रिजीम में कोई बड़ी टैक्स राहत नहीं दी है। वहीं जिन यूजर्स ने नए टैक्स रिजीम पर स्विच किया, उन्हें एक साल में दो बार (टैक्स स्लैब में बदलाव और स्टैंडर्ड डिडक्शन में इजाफा) राहत मिल चुकी है।
टैक्स-सेविंग बेनेफिट्स के नुकसान के अलावा, टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि निवेश से जुड़े फैसले पूरी तरह से सिर्फ टैक्स बेनेफिट पर ही आधारित नहीं होने चाहिए। PPF और SSY में अभी भी सुरक्षित और बढ़िया रिटर्न मिलते हैं लेकिन हो सकता है कि हर निवेशक को इनकी लॉन्ग लॉक-इन अवधि पसंद ना आए।
हालांकि, उन्हें लगता है कि टैक्सपेयर्स के पास अब केवल टैक्स बेनेफिट के बजाय अपने वित्तीय लक्ष्यों के अनुरूप निवेश विकल्प चुनने में अधिक लचीलापन है। तीन साल (ईएलएसएस) या 15 साल (पीपीएफ) के लिए पैसा लॉक करने की आवश्यकता नहीं होने से, निवेशक अपनी जोखिम उठाने की क्षमता के अनुकूल बेहतर रास्ते तलाश सकते हैं।
जहां नई कर व्यवस्था (new tax regime)टैक्स कंप्लायंस को सरल बनाती है और इन पॉप्युलर डिडक्शन का नुकसान पारंपरिक टैक्स सेविंग रणनीतियों के आदी टैक्सपेयर्स के लिए चिंताएं बढ़ाता है।