Parvesh Verma Delhi CM 2025: दिल्ली में बीजेपी का 27 साल का वनवास खत्म हो चुका है। बेहद कड़े चुनावी संघर्ष के बाद आए तमाम एग्जिट पोल ने बीजेपी को इस बात का एहसास कराया था कि वह राष्ट्रीय राजधानी में सरकार बना सकती है। हालांकि तब भी पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं को इस बात की उम्मीद नहीं थी कि दिल्ली में उनका वनवास खत्म होगा लेकिन अब यह साफ हो गया है कि दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनेगी।

दिल्ली में विधानसभा की 70 सीटें हैं और यहां सरकार बनाने के लिए 36 सीटें चाहिए। बीजेपी इस आंकड़े से कहीं आगे आगे निकलती दिख रही है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा है। आम आदमी पार्टी के बड़े नेता- अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन, सोमनाथ भारती चुनाव हार गए हैं।

अब बीजेपी के अंदर सबसे बड़ा सवाल यह है कि दिल्ली का मुख्यमंत्री कौन होगा। क्योंकि पार्टी को एक लंबे वक्त और अथक संघर्ष के बाद राष्ट्रीय राजधानी में जीत मिली है ऐसे में पार्टी के कई ऐसे नेता हैं, जो दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने के दावेदार हैं।

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बीजेपी ने कई बार मुख्यमंत्री के चयन के मामले में चौंकाने वाले फैसले लिए हैं। इनमें राजस्थान में भजनलाल शर्मा, मध्य प्रदेश में डॉक्टर मोहन यादव, छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय, ओडिशा में मोहन चरण मांझी जैसे नाम शामिल हैं।

आइए, आपको बताते हैं कि ऐसे कौन से नेता हैं जो दिल्ली में बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने की कतार में सबसे आगे हैं और इन नेताओं की दावेदारी के पीछे क्या वजह है?

ऐसे नेताओं में सबसे पहला नाम सामने आता है प्रवेश वर्मा का। प्रवेश वर्मा ने नई दिल्ली सीट से बड़ी जीत दर्ज करते हुए अरविंद केजरीवाल को हराया है। प्रवेश वर्मा खुद भी दिल्ली में 10 साल तक पश्चिमी दिल्ली सीट से सांसद रहे हैं और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं।

दिल्ली की राजनीति में ग्रामीण इलाकों का बड़ा रोल है और ग्रामीण इलाकों में जाट और गुर्जर समुदाय काफी प्रभावशाली है। प्रवेश वर्मा जाट समुदाय से आते हैं। ऐसे में बीजेपी उन पर दांव लगा सकती है। प्रवेश वर्मा पर दांव लगाकर बीजेपी इस नाराजगी को भी दूर कर सकती है कि उसने 25 फीसदी जाट आबादी वाले हरियाणा में इस समुदाय से मुख्यमंत्री नहीं बनाया। सीएम का चेहरा कौन होगा, इस सवाल के जवाब में प्रवेश वर्मा ने कहा, ‘हमारी पार्टी में विधायक दल (सीएम का चेहरा) तय करता है और फिर पार्टी नेतृत्व इसे मंजूरी देता है। इसलिए पार्टी का फैसला सभी को स्वीकार्य होगा।’ 

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दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा भी मुख्यमंत्री की कुर्सी की दौड़ में हैं। वीरेंद्र सचदेवा इस तर्क को पार्टी के सामने रख सकते हैं कि उनके अध्यक्ष रहते हुए ही 27 साल का पार्टी का वनवास खत्म हुआ है। दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष मनोज तिवारी का भी नाम इस दौड़ में है। मनोज तिवारी लगातार तीन बार दिल्ली में सांसद रह चुके हैं और दिल्ली की राजनीति में जाने-पहचाने चेहरे हैं। तिवारी लोकप्रिय पूर्वांचली चेहरे हैं और पार्टी दिल्ली के बाहर भी पूर्वांचली मतदाताओं के बीच उन्हें स्टार प्रचारक के तौर पर उतारती रही है।

मुख्यमंत्री की कुर्सी की रेस में विजेंद्र गुप्ता भी एक बड़ा नाम है। विजेंद्र गुप्ता लगातार पिछले कई चुनाव दिल्ली में जीत चुके हैं। वह वैश्य समुदाय से आते हैं और इस समुदाय का दिल्ली की राजनीति में काफी अच्छा असर है। विजेंद्र गुप्ता दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष जैसे बड़े पद को संभाल चुके हैं और केजरीवाल सरकार के खिलाफ आंदोलन करने में भी वह आगे रहे थे।

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ऐसी भी चर्चा है कि बीजेपी दिल्ली में किसी महिला चेहरे पर दांव लगा सकती है। महिला चेहरे के रूप में पार्टी अपने सांसदों में से भी किसी नेता का चुनाव कर सकती है। इनमें नई दिल्ली से सांसद बांसुरी स्वराज और पश्चिमी दिल्ली की सांसद कमलजीत सहरावत का भी नाम शामिल है।

दिल्ली में बीजेपी के सीएम चेहरे के सवाल पर बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत जय पांडा ने ANI से कहा, ‘हमारे पास हर राज्य में सामूहिक नेतृत्व है और जीतने के बाद हमारा कोई भी कार्यकर्ता आगे आकर नेता बन सकता है। अन्य पार्टियों के साथ ऐसा नहीं है। हमारी प्रक्रिया है कि हम लोगों और अपने कार्यकर्ताओं की राय लेते हैं और अंत में यह हमारे संसदीय बोर्ड के पास जाता है, वहां इसका फैसला होता है। इसलिए जो भी विधानसभा में हमारा नेता बनेगा, वह बहुत अच्छा नेता होगा।’

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