दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम शनिवार को आ गए। भाजपा 27 सालों बाद सत्ता में वापसी कर चुकी है। राजधानी को जल्द ही नया मुख्यमंत्री मिलने वाला है। इस मौके पर दिल्ली की राजनीति से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण रोचक तथ्य भी सामने आए हैं। राजधानी में यह एक महज संयोग ही कहा जाएगा कि जब भी दिल्ली की सत्ता में बड़ा परिर्वतन हुआ है। उस वक्त दिल्ली की मुख्यमंत्री महिला ही रही है। इस वक्त आम आदमी पार्टी की कालकाजी से दूसरी बार चुनाव जीतने वाली आतिशी मुख्यमंत्री हैं।
राजनीति से जुड़े तथ्यों पर नजर डालें तो साल 1998 के अक्तूबर महीने में भाजपा की वरिष्ठ नेता रहीं, सुषमा स्वराज को दिल्ली की कमान सौंपी गया था। लेकिन प्याज की महंगाई के मुद्दे पर वह सरकार महज 52 दिन ही चल पाई, जिसके बाद दिल्ली की सत्ता पर भाजपा लगातार 27 सालों तक काबिज नहीं हो गई। सुषमा स्वराज 12 अक्तूबर से 3 दिसंबर 1998 तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। दिल्ली की जनता ने राजधानी की बागडोर कांग्रेस को सौंपी और कांग्रेस पार्टी ने शीला दीक्षित को दिल्ली की मुख्यमंत्री बनाया, जो साल 2013 तक सत्ता पर काबिज रही। हालांकि, भ्रष्टाचार और निर्भया कांड की वजह से कांग्रेस चुनाव हार गई और लगातार कांग्रेस भी दस सालों तक सत्ता से बाहर रही।
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शीला दीक्षित ने 3 दिसंबर 1998 से 28 दिसंबर 2013 तक 15 साल 25 दिनों तक दिल्ली की मुख्यमंत्री का कमान संभाला। हालांकि, साल 2013 में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने गठबंधन में सरकार बनाई थी। अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने। पर लोकपाल के मुद्दे पर मात्र 48 दिनों तक ही सरकार चली। इसके बाद एक साल तक दिल्ली में राष्ट्रपति शासन रहा।
अरविंद केजरीवाल ने 14 फरवरी 2015 को फिर से मुख्यमंत्री बने। पर उनके इस्तीफा देने के बाद कालकाजी से दूसरी बार चुनाव जीतने वाली आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता आतिशी ने केजरीवाल के इस्तीफा देने के बाद 21 सितंबर 2024 में मुख्यमंत्री की कमान संभाली। आतिशी मुख्यमंत्री के पद पर 140 दिनों तक रही। यह महज संयोग ही है कि दिल्ली में जब भी सत्ता परिवर्तन हुआ। उस वक्त मुख्यमंत्री एक महिला थी।