Iqra Choudhary Moves Supreme Court: समाजवादी पार्टी सांसद इकरा हसन ने सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर कर पूजा स्थल अधिनियम 1991 (Places Of Worship Act 1991) को लागू करने की मांग की है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने आज इस याचिका को अन्य संबंधित याचिकाओं के साथ संलग्न कर दिया, जिनमें पूजा स्थल अधिनियम की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जब मामला सुनवाई के लिए आया तो चीफ जस्टिस ने मौखिक टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि इतनी सारी नई याचिकाएं क्यों दायर की जा रही हैं? हर हफ्ते हमें एक मिलती है। इकरा हसन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल उपस्थित हुए।

इकरा हसन ने अपनी याचिका में कहा कि मस्जिदों या दरगाहों को निशाना बनाकर बार-बार मुकदमे दायर करना, उसके बाद दावे की योग्यता और स्वीकार्यता के बारे में किसी भी तरह की जांच किए बिना जल्दबाजी में सर्वेक्षण के न्यायिक आदेश देना, सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देने और सद्भाव और सहिष्णुता के संवैधानिक मूल्यों को कमजोर करने का जोखिम है। याचिकाकर्ता ने कहा कि इस परेशान करने वाली प्रवृत्ति को संबोधित करने में विफलता इस देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को तोड़ने की क्षमता रखती है।

याचिका में मुख्य रूप से तर्क दिया गया है- (1) राम जन्मभूमि मंदिर मामले में मान्यता प्राप्त गैर-प्रतिगमन के सिद्धांत के अनुसार , 1991 अधिनियम के प्रावधानों को दरकिनार करना अनुचित होगा।

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(2) प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्व स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत ‘प्राचीन स्मारकों’ की परिभाषा में किसी भी पूजा स्थल को शामिल नहीं किया जा सकता। ऐसा करना अनुच्छेद 25, 26 और 29 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।

याचिका में इकरा हसन ने संभल में हुई हिंसा का हवाला दिया, जो 16वीं सदी की एक मस्जिद के खिलाफ ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित सर्वेक्षण आदेश के बाद हुई थी। इस बात का भी संदर्भ दिया गया कि कैसे ट्रायल कोर्ट द्वारा मस्जिदों/दरगाहों के सर्वेक्षण की अनुमति देने के लिए एकपक्षीय अंतरिम आदेश दिए गए, बिना किसी प्रारंभिक विचार या कानूनी या तथ्यात्मक बारीकियों की जांच के, जल्दबाजी में “तथ्यों का पता लगाने” के लिए सर्वेक्षण करने का आदेश दिया गया।

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