दिल्ली में 27 सालों बाद भाजपा की सरकार बनी है। हालांकि अभी तक बीजेपी ने सीएम पद का चयन नहीं किया है। दिल्ली में सात विधायक मंत्री बन सकते हैं और बड़ा सवाल यह है कि बीजेपी किन चेहरों को मंत्री पद के लिए आगे करेगी। सूत्रों के अनुसार जो लोग शुरू से बीजेपी में हैं और आगे बढ़े हैं, उन्हें मंत्रीपरिषद में प्राथमिकता दिए जाने की संभावना है।
हालांकि एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली और राजकुमार चौहान जैसे वरिष्ठ नेताओं पर विचार नहीं किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस और अमेरिका के दौरे पर थे और अब वह वापस आ गए हैं। बताया जा रहा है कि शनिवार को संसदीय बोर्ड की बैठक हो सकती है और इसमें मुख्यमंत्री पद पर फैसला लिया जा सकता है।
एक सूत्र ने बताया, “बैठक के बाद पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। इसमें भाजपा शासित किसी एक राज्य का मुख्यमंत्री होगा, जबकि केंद्रीय मंत्रिमंडल का एक वरिष्ठ सांसद भी शामिल होगा। पर्यवेक्षक ही 48 विधायकों वाले विधायक दल के बैठक की अध्यक्षता करेंगे।”
सांसदों को तवज्जो नहीं, विधायकों में से ही होगा दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री, रेस में सबसे आगे हैं ये नाम
एक सूत्र ने कहा, “हालांकि अंतिम निर्णय केवल पीएम की मंजूरी के अनुसार लिया जाएगा। कैबिनेट और सीएम के सदस्यों को चुनने के संबंध में आरएसएस और बीजेपी के शीर्ष अधिकारियों द्वारा अब तक जिन मानदंडों पर सहमति व्यक्त की गई है, उनमें युवा, जेंडर, जाति, समुदाय के साथ-साथ संगठनात्मक अनुभव भी शामिल है।” पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि भाजपा आने वाले दिनों में मंत्रिमंडल, विधानसभा और पार्टी के राज्य संगठन में अनुभव के साथ युवाओं को संतुलित करने की कोशिश कर सकती है।
एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “केवल एक चीज जो निश्चित रूप से कही जा सकती है वह यह है कि नए विधायक, जो सार्वजनिक जीवन में अपना कार्यकाल शुरू करने के बाद से भाजपा के संगठन में हैं, उनको प्राथमिकता मिलेगी। औसत भाजपा कार्यकर्ता की कड़ी मेहनत और वफादारी को पुरस्कृत किया जाता है।”
सूत्र ने कहा कि संगठनात्मक नेताओं, जिनमें वे लोग भी शामिल हैं जो वर्तमान में दिल्ली भाजपा के किसी भी कार्यालय में हैं, उनको प्राथमिकता मिलेगी। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि लवली जैसे नेता पर किसी का ध्यान नहीं जाएगा।”