लगातार विलुप्त हो रहे वन्यजीवों को बचाना एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। इसी चुनौती को स्वीकारते हुए राष्ट्रीय प्राणी उद्यान (दिल्ली चिड़ियाघर) ने विलुप्त वन्यजीवों की संख्या को बढ़ाने के लिए विशेष ‘प्रजनन योजना’ तैयार की है और कई वन्यजीवों पर इसका प्रयोग भी किया जा चुका है जो सफल हो गया है। ऐसे ही एक अति-विलुप्त वन्यजीवों में शामिल चौसिंगा ने करीब दो दिन पहले दिल्ली चिड़ियाघर में दो बच्चों को जन्म भी दिया है। जिसके बाद प्रशासन काफी सकारात्मकता के साथ इस योजना को आगे बढ़ाने में लग गया है।

मालूम हो कि नेपाल व भारत में पाए जाने वाले चौसिंगा, जिसका वैज्ञानिक नाम ‘टेट्रासेरस क्वाड्रिकारनिस’ खुले जंगलों में रहते हैं। यह ‘टेट्रासेरस’ वंश की एकमात्र जीवित जीव वैज्ञानिक जाति है और एशिया के सबसे छोटे गोवंश प्राणियों में से एक है। ये अपनी चार सींग की अद्भूत खोपड़ी के कारण अवैध शिकारियों के निशाने पर रहते हैं और अति-विलुप्त वन्यजीवों में शामिल है।

दिल्ली चिड़ियाघर के निदेशक आइएफएस अधिकारी संजीत कुमार ने बताया कि चौसिंगा के दोनों बच्चे स्वस्थ्य हैं और अब हमने चीता, शेर, लकड़बग्धा व जंगली कुत्तों का प्रजनन योजना बनाकर उसे सफलता पूर्वक कर लिया है और आने वाले दिनों में खुशखबरी मिल सकती है। इन विलुप्त वन्यजीवों की संख्या को बढ़ाने के लिए प्रजनन योजना जरूरी है।

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साथ ही उन जानवरों के प्रजनन पर भी ध्यान दिया जा रहा है जिनका प्रतिरूपण मान (एक्सचेंज वेल्यू) काफी अधिक होता है। साथ ही पक्षियों के प्रजनन बाड़े का निर्माण भी शुरू कर दिया गया है, ताकि उनकी संख्या में भी इजाफा हो सके।

निदेशक संजीत कुमार ने बताया कि जल्द ही चिड़ियाघर का मुख्य प्रवेश द्वार काफी बदला हुआ नजर आने वाला है। इस बदलाव को लेकर योजना तैयार कर ली गई है और काम टेंडर स्तर है। जैसे ही टेंडर का काम खत्म होगा तो प्रवेश द्वार को बेहद आकर्षक रूप में तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।