प्लास्टिक के बर्तनों में खाना खाते हैं या खाना स्टोर करते हैं, तो आपको सावधान होने की जरूरत है। प्लास्टिक के कंटेनर से खाना खाने से कंजेस्टिव हार्ट फेलियर का खतरा बढ़ सकता है। साइंस डायरेक्ट डॉट कॉम में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, यह आंत में होने वाले बदलावों के कारण होता है, जिससे सूजन और संचार प्रणाली को नुकसान हो सकता है। हालांकि, कई शोध में यह पाया गया है कि प्लास्टिक में मौजूद केमिकल्स हार्मोनल असंतुलन, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट फेलियर का खतरा बढ़ सकता है।

प्लास्टिक के कंटेनरों से माइक्रोप्लास्टिक भोजन में मिल जाता है और हमारी आंतों तक पहुंच जाता है। प्लास्टिक के बर्तनों में BPA और Phthalates जैसे केमिकल्स होते हैं। ये केमिकल्स हार्मोनल असंतुलन पैदा करते हैं, जिससे ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है। इसके चलते हाई ब्लड प्रेशर हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर का खतरा बढ़ा सकता है।

जब हम गर्म खाना या चाय-कॉफी प्लास्टिक के बर्तन में रखते हैं, तो यह केमिकल रिलीज करता है। यह रक्त वाहिकाओं में सूजन पैदा कर सकता है, जिससे हार्ट को पंप करने में दिक्कत होती है। लगातार ऐसा करने से दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है और हार्ट फेलियर का खतरा बढ़ सकता है।

प्लास्टिक से निकलने वाले केमिकल्स लिवर और किडनी की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं। जब लिवर ठीक से टॉक्सिन्स को फिल्टर नहीं कर पाता, तो रक्त संचार प्रभावित होता है, जिससे हार्ट पर दबाव बढ़ता है और लिवर और किडनी की समस्या हो सकती है।

एक अध्ययन के मुताबिक, पहले भाग में चीन में 3,000 से अधिक लोगों की खानपान की आदतों का अध्ययन किया गया और उनकी हृदय स्थिति की जांच की गई। इस अध्ययन के दूसरे भाग में चूहों को प्लास्टिक के रसायनों के संपर्क में लाया गया। इसके लिए प्लास्टिक के कंटेनर में गर्म पानी डाला गया, उसमें घुले रसायनों को निकाला गया और चूहों को दिया गया। जो लोग प्लास्टिक के बर्तनों में खाना अधिक खाते हैं, उनमें हार्ट अटैक का जोखिम काफी अधिक पाया गया।

वहीं, मखाना एक ऐसा सुपरफूड है जिसका सेवन करने से कई बीमारियों का एक साथ इलाज होता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, मखाने में कैल्शियम की मात्रा के अलावा मैग्नीशियम, आयरन, कैल्शियम और फास्फोरस भरपूर मात्रा में पाया जाता है।