Ex Sebi Chief Madhabi Puri Buch: मार्केट रेगुलेटर सेबी ने रविवार को कहा कि वह कथित शेयर बाजार धोखाधड़ी के संबंध में पूर्व अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और अन्य अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के स्पेशल कोर्ट के आदेश को चुनौती देगा। सेबी ने तर्क दिया कि कोर्ट एक तुच्छ दलील पर काम कर रहा था और उसने बोर्ड को अपना विचार रखने का मौका नहीं दिया।
सेबी ने जारी बयान में कहा, ‘आवेदक को तुच्छ और आदतन मुकदमेबाज के रूप में जाना जाता है, पिछले आवेदनों को कोर्ट ने खारिज कर दिया था और कुछ मामलों में जुर्माना भी लगाया था। सेबी इस आदेश को चुनौती देने के लिए उचित कानूनी कदम उठाएगा और सभी मामलों में उचित विनियामक अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।’ साथ ही सेबी ने कहा कि ये अधिकारी संबंधित समय पर अपने-अपने पदों पर नहीं थे, फिर भी अदालत ने बिना कोई नोटिस जारी किए या सेबी को तथ्य रिकॉर्ड पर रखने का कोई अवसर दिए बिना आवेदन को स्वीकार कर लिया।
यह आवेदन एक मीडिया रिपोर्टर सपन श्रीवास्तव ने दायर किया है। इसमें उन्होंने दावा किया कि कंपनी की लिस्टिंग में धोखाधड़ी के आरोप सामने आए हैं। इतना ही नहीं इसमें उन्होंने कहा कि पूर्व सेबी चीफ और अन्य सेबी के अधिकारियों की मिलीभगत से यह अनियमितता हुई। सेबी अधिकारियों ने अपनी वैधानिक जिम्मेदारी को निभाने में लापरवाही की है और एक ऐसी कंपनी का लिस्टिंग करने की इजाजत दी, जो मार्केट नियामक के तय किए गए नियमों और मानकों को पूरा नहीं करती थी।
हिंडनबर्ग के लपेटे में आईं माधबी पुरी बुच कौन हैं?
मुंबई की एक स्पेशल कोर्ट ने रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री को देखने के बाद कहा कि आरोपों से संज्ञेय अपराध पता चलता है। इसकी जांच जरूरी है। नियामक चूक और मिलीभगत के प्रथम दृष्टया सबूत हैं, जिसकी निष्पक्ष जांच की जरूरत है। धारा 156(3) सीआरपीसी के तहत न्यायिक हस्तक्षेप की जरूरत है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसलों का हवाला दिया और कहा कि यह कोर्ट जांच का निर्देश देना सही समझती है। इस जांच की निगरानी स्पेशल कोर्ट की तरफ से की जाएगी और 30 दिन के अंदर कोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी है।
मुंबई की स्पेशल कोर्ट ने एंटी करप्शन ब्यूरो को पूर्व सेबी चीफ माधबी पुरी बुच, सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी भाटिया, आनंद नारायण और कमलेश चंद्र वर्श्नेय के साथ-साथ BSE के सीईओ सुंदररमन राममूर्ति और पूर्व चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल के खिलाफ FIR दर्ज करने का निर्देश दिया। यह आदेश 1 मार्च को पारित किया गया। संसदीय समिति की बैठक में नहीं आईं SEBI अध्यक्ष माधवी पुरी