Maulana Arshad Madani on Waqf (Amendment) Bill: जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने वक्फ (संशोधन) बिल को लेकर आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने रविवार को कहा है कि अगर वक्फ बिल पारित हो जाता है तो उनके संगठन की सभी राज्यों की इकाइयां अपने-अपने हाई कोर्ट में इस कानून को चुनौती देंगी।
मुसलमानों की नुमाइंदगी करने का दावा करने वाले इस संगठन ने कहा है कि मुसलमानों को अपने हक को हासिल करने के लिए सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
उधर, तमाम विरोध प्रदर्शनों के बीच मोदी सरकार वक्फ बिल को लेकर मजबूती से आगे बढ़ रही है। बताना होगा कि वक्फ संशोधन बिल को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है और पिछले महीने ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जेपीसी द्वारा वक्फ संशोधन बिल के सभी प्रस्तावित 14 संशोधनों को मंजूरी दे दी थी।
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बीते साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत के संविधान में वक्फ के कानून के लिए कोई जगह नहीं है लेकिन कांग्रेस ने तुष्टीकरण के लिए कानून बनाए और सुप्रीम कोर्ट की भी परवाह नहीं की।
वक्फ बिल के खिलाफ 13 मार्च को नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और कई अन्य संगठनों ने विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है। जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने इसे समर्थन दिया है। मौलाना मदनी ने कहा है कि पिछले 12 साल से मुसलमानों ने सब्र और सहिष्णुता का परिचय दिया है।
मौलाना मदनी ने एक बयान जारी कर कहा, ‘अब वक्फ की संपत्तियों को लेकर मुसलमानों की चिताओं को नजरअंदाज किया जा रहा है और एक असंवैधानिक कानून को हम पर जबरन थोपा जा रहा है। ऐसे में विरोध के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।’ मदनी ने कहा है कि धार्मिक हक के लिए शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करना इस देश के हर नागरिक का अधिकार है।
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मौलाना मदनी ने अपने बयान में कहा कि हम सरकार को लगातार यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि वक्फ पूरी तरह से धार्मिक मामला है। उन्होंने कहा, ‘वक्फ की संपत्तियां हमारे पूर्वजों द्वारा हमारे समुदाय की भलाई के लिए दान की गई हैं और इसलिए हम इसमें किसी भी तरह के सरकारी दखल को बर्दाश्त नहीं करेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘मुसलमान शरीयत से बिल्कुल भी समझौता नहीं कर सकते क्योंकि यह मामला उनके हक का है, न कि सिर्फ उनके अस्तित्व का।
मौलाना मदनी ने आरोप लगाया कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार वक्फ बिल लाकर देश के संविधान ने जो हक मुसलमानों को दिए हैं उन्हें छीनना चाहती है।
बताना होगा कि तमाम विपक्षी दल वक्फ बिल का विरोध कर चुके हैं। AIMIM के प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी इस बिल को लेकर लगातार विरोध दर्ज करा रहे हैं । विपक्षी दलों का कहना है कि वक्फ का बिल अल्पसंख्यकों के खिलाफ है।
कुल मिलाकर यह साफ है कि वक्फ बिल को लेकर आने वाले दिनों में जबरदस्त लड़ाई देखने को मिलेगी। मुस्लिम संगठनों का आरोप है कि इस बिल के जरिए मोदी सरकार वक्फ की संपत्तियों पर कब्जा करना चाहती है जबकि सरकार का कहना है कि विपक्षी दल इस मामले में मुस्लिम समुदाय को गुमराह कर रहे हैं।
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