Supreme Court Judges Visit Manipur: मणिपुर काफी समय से चर्चा का विषय बना हुआ है। मैतई और कुकी समुदाय के बीच हिंसा ने राज्य में भारी तबाही मचा दी है। इस हिंसा में अब तक कई लोगों की जान जा चुकी है और कई लोगों को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इसी बीच, अब सुप्रीम कोर्ट के 6 जजों का डेलीगेशन राज्य का दौरा करेगा और वहां के हालात के बारे में जानकारी लेगा।
नेशनल लीगल सर्विस ऑथोरिटी (NALSA) के अध्यक्ष जस्टिस बी आर गवई के अलावा जस्टिस सूर्य कांत, विक्रम नाथ, एम एम सुंदरेश, के वी विश्वंनाथन और एन कोटिश्वर सिंह मणिपुर में मौजूद रहेंगे। यह जज लोगों को मुफ्त कानूनी सेवा और मेडिकल सेवा उपलब्ध करवाने के लिए किए जा रहे उपायों का जायजा लेंगे। चेन्नई से 25 डॉक्टरों की टीम भी लोगों को मेडिकल मदद देने के लिए वहां पर पहुंच रही है। यह डॉक्टर 6 दिन तक वहां मौजूद रह कर लोगों की मदद करेंगे।
कांग्रेस के शासनकाल में 88 बार लगा राष्ट्रपति शासन
वहीं केंद्र सरकार मणिपुर शांति बनाए रखने के लिए काफी कोशिश कर रही है। मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में कहा कि केंद्र सरकार मणिपुर में सामान्य स्थिति और समृद्धि लाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके साथ ही उन्होंने राज्य के आर्थिक विकास के लिए सभी तरह का समर्थन देने का भरोसा दिया। वित्त मंत्री ने राज्यसभा में यह बात मणिपुर के बजट और उससे संबंधित अनुदान की अनुपूरक मांगों पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कही।
नवंबर 2024 तक कम से कम 258 लोग मारे जा चुके हैं और एक हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं और 60,000 से ज्यादा लोग अपने घरों और गांवों को छोड़कर अलग-अलग जिलों में बनाए गए रिलीफ कैंप में शरण ले रहे हैं। गैर-आदिवासी मैतेई लोगों और आदिवासी कुकी-जो समुदायों के बीच हिंसा तब भड़क उठी जब 3 मई 2023 को मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ का आयोजन किया गया। इस अशांति के कारण 13 फरवरी को पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। तब से राज्य विधानसभा निलंबित हालत में है। राष्ट्रपति शासन के बाद भी मणिपुर में हिंसा का सिलसिला जारी