पाकिस्तान सुरक्षा के लिहाज से अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहा है। इस मुल्क पर हमेशा ही आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं और मौजूदा वक्त में यही आतंकवाद उसके गले की फांस बन गया है। वह सिर्फ एक आतंकी या विद्रोही गुट से नहीं बल्कि चार अलग-अलग आतंकी संगठनों से लड़ाई लड़ रहा है। इन चार संगठनों के नाम तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए), इस्लामिक स्टेट खुरासान (आईएसके) और अफगान तालिबान हैं।
इनमें से तीन संगठन- टीटीपी, बीएलए और आईएसके पाकिस्तान में लगातार आतंकी वारदातों को अंजाम दे रहे हैं जबकि अफगान तालिबान पर आरोप है कि वह टीटीपी को मदद देता है। इस वजह से पाकिस्तान की सुरक्षा तो खतरे में है ही, इस मुल्क की इकनॉमी भी बर्बाद हो रही है।
हाल ही में आई Global Terrorism Index (GTI) 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान दुनिया का दूसरा ऐसा देश बन गया है जो आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित है। GTI रिपोर्ट को Institute of Economics and Peace (IEP) ने प्रकाशित किया है। यह रिपोर्ट दुनिया भर के 163 देशों में हुई आतंकवादी घटनाओं में मरने वालों, घायलों और इसके असर के बारे में बताती है। रिपोर्ट बताती है कि 2024 के दौरान पाकिस्तान में आतंकवादी हमलों में 45% की भारी बढ़ोतरी हुई है।
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रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में पाकिस्तान में 517 आतंकवादी हमले हुए थे जबकि 2024 में इनका आंकड़ा 1099 हो गया है। GTI की रिपोर्ट में पहली बार ऐसा हुआ है जब पाकिस्तान में किसी साल में 1000 से ज्यादा आतंकवादी हमले हुए हैं। ऐसे में समझा जा सकता है कि इस इस्लामिक मुल्क की हालत कितनी खराब है।
बीएलए के द्वारा ट्रेन को हाईजैक किए जाने के वाकये के बाद पाकिस्तान की हुकूमत और वहां की फौज ने एक बार फिर आतंकवाद से लड़ने का संकल्प लिया है और कहा है कि आतंकियों को नेस्तनाबूद कर दिया जाएगा। लेकिन जिस तरह बीएलए के अलगाववादियों ने जाफर एक्सप्रेस को हाईजैक किया और पिछले कुछ महीनों में एक के बाद एक आतंकी हमलों को अंजाम दिया, उससे पाकिस्तानी फौज और हुकूमत के लिए अपने टारगेट को फतेह कर पाना आसान नहीं दिखता।
ताजा हालात में ऐसा लगता है कि बलूचिस्तान में पाकिस्तान का शासन नहीं रह गया है और यह पूरी तरह बलूच विद्रोहियों के कब्जे में आ गया है। इसके अलावा खैबर पख्तूनख्वा में भी हालात ठीक नहीं है और वहां भी लगातार आतंकी हमले होने की खबरें सामने आती रहती हैं।
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टीटीपी सबसे खतरनाक संगठन के रूप में पाकिस्तान के लिए मुसीबत बनकर सामने आया है। GTI की रिपोर्ट कहती है कि 2024 में टीटीपी के हमलों में हुई मौतों में 90% की बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान टीटीपी ने पाकिस्तान में 482 हमले किए हैं और इसमें 558 लोगों की मौत हुई और 2011 के बाद यह आंकड़ा सबसे ज्यादा है। पाकिस्तान आरोप लगाता है कि अफगानिस्तान टीटीपी को मदद दे रहा है लेकिन अफगानिस्तान ने इस तरह के आरोपों को हमेशा खारिज किया है।
ऐसा ही एक संगठन इस्लामिक स्टेट खुरासान भी पाकिस्तान में लगातार अपने पैर पसार रहा है। उसने कई आत्मघाती बम धमाकों को अंजाम दिया है जिसमें हाल ही में 18 फरवरी को खैबर पख्तूनख्वा के एक मदरसे पर किया गया हमला भी शामिल है। इस हमले में एक मौलवी सहित छह लोग मारे गए थे।
एक और आतंकवादी संगठन अफगान तालिबान ने हालांकि पाकिस्तान पर सीधे हमले नहीं किए हैं लेकिन यह कहा जाता है कि टीटीपी को उसका समर्थन हासिल है। फरवरी, 2025 में यूनाइटेड नेशंस की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि तालिबान टीटीपी को लॉजिस्टिक और वित्तीय मदद देता है।
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टीटीपी और इस्लामिक स्टेट खुरासान दोनों ही चीन को अपना दुश्मन मानते हैं। 2024 में कराची में चीनी वाणिज्य तूतावास पर हमला भी हो चुका है। इस तरह पाकिस्तान के सामने अरबों डॉलर के इस प्रोजेक्ट में काम कर रहे चीनी लोगों की हिफाजत करना भी चुनौती बना हुआ है। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने बार-बार यह दिखाया है कि उसे पाकिस्तान की हुकूमत या फौज का कोई खौफ नहीं है। बीएलए अन्य हमले करने के अलावा China–Pakistan Economic Corridor (CPEC) में काम कर रहे चीनी इंजीनियरों को निशाना बना रहा है।
पाकिस्तान के मौजूदा सूरत-ए-हाल को देखकर यह साफ लगता है कि अगर वह इन आतंकवादी गुटों पर ठोस कार्रवाई नहीं करता तो उसके लिए अपने वजूद को बचाए रखना बेहद मुश्किल हो जाएगा। पाकिस्तान एक ऐसी जगह खड़ा है जहां उसके सामने मुसीबतें का अंबार लगा हुआ है। मुल्क में महंगाई और बेरोजगारी की वजह से भी लोग बहुत परेशान हैं।
1971 में पाकिस्तान एक बार टूट चुका है। बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में जिस तरह के हालात बन रहे हैं, उसमें अगर यह आने वाले सालों में फिर से टूटता है तो दक्षिण एशिया के साथ ही विश्व की सुरक्षा के लिए भी एक नई चुनौती पेश हो सकती है।
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