बीते कुछ सालों से हाईवे पर टोल कलेक्शन को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। कई बार लोग सोशल मीडिया पर भी पूछते हैं कि क्या नेशनल हाईवे लागत से अधिक टोल वसूल रहा है। ऐसा ही एक सवाल लोकसभा में पूछा गया। राजस्थान के नागौर से लोकसभा सांसद हनुमान बेनीवाल ने पूछा कि दिल्ली-जयपुर नेशनल हाईवे पर क्या लागत से अधिक टोल वसूला जा चुका है? इसका जवाब केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने दिया।
नितिन गडकरी ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग 48 के माध्यम से जयपुर-दिल्ली नेशनल हाईवे पर चलने वाले वाहनों से 11,945 करोड़ रुपये टोल टैक्स के रूप में वसूले गए हैं। बेनीवाल ने पूछा था कि क्या दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर वसूला गया टोल टैक्स निर्माण लागत से काफी अधिक है। उन्होंने कहा था कि यदि ऐसा है, तो मंत्रालय को उक्त राजमार्ग पर वसूले गए टोल टैक्स और निर्माण लागत का विवरण प्रदान करना चाहिए। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में राजस्थान की तुलना में अधिक राष्ट्रीय राजमार्ग होने के बावजूद राजस्थान में टोल टैक्स कलेक्शन इन दोनों राज्यों की तुलना में अधिक है और यदि ऐसा है, तो इसके क्या कारण हैं? क्या सरकार को पता है कि टोल टैक्स कलेक्शन के बावजूद राजस्थान में कई राष्ट्रीय राजमार्ग खस्ताहाल स्थिति में हैं और यदि ऐसा है, तो ऐसी सड़कों पर टोल टैक्स संग्रह का औचित्य क्या है?
अपने जवाब में केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि गुड़गांव-कोटपुतली-जयपुर नेशनल हाईवे पर (जिसकी परियोजना की नियत तिथि 3 अप्रैल, 2009 है) 9,218.30 करोड़ रुपये टोल शुल्क के रूप में इकट्ठा किए गए हैं, जबकि परियोजना पर 6,430 करोड़ रुपए की राशि खर्च हुई है। दिल्ली-गुड़गांव नेशनल हाईवे पर (जिसकी नियत तिथि 12 जनवरी, 2003 है) 2,727.50 करोड़ रुपये उपयोगकर्ता शुल्क के रूप में इकट्ठा किए गए हैं, जबकि परियोजना पर 2,489.45 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।
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इस प्रकार जयपुर-दिल्ली नेशनल हाईवे पर इकट्ठा कुल उपयोगकर्ता शुल्क 11,945.80 करोड़ रुपये है, जबकि सड़क परियोजनाओं पर 8,919.45 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। गडकरी ने कहा कि निर्माण लागत में रखरखाव और अन्य लागतें शामिल हैं। हालांकि उन्होंने कहा, “शुरू होने से समयावधि में इकट्ठा उपयोगकर्ता शुल्क में छूट नहीं दी गई है और इसलिए निर्माण लागत के साथ तुलना ठीक नहीं है।” इसके अलावा वित्तीय वर्ष 2023-24 में राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए राजस्थान से इकट्ठा शुल्क 5,885.03 करोड़ रुपये था, जो उत्तर प्रदेश के 6,695.40 करोड़ रुपये से कम है, लेकिन महाराष्ट्र के 5,352.53 करोड़ रुपये से अधिक है।
सरकार के जवाब पर प्रतिक्रिया देते हुए हनुमान बेनीवाल ने कहा, “सड़क निर्माण की लागत से अधिक टोल वसूलने के बावजूद राष्ट्रीय राजमार्गों की हालत खराब बनी हुई है। जब माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने पहले ही कहा है कि सड़कें खराब हैं, तो यात्री टोल क्यों दें? आम आदमी को इसका खामियाजा क्यों भुगतना पड़े? हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी का सरकार पर कोई असर नहीं हुआ है क्योंकि राजमार्गों की दयनीय स्थिति के बावजूद अभी भी जनता से टोल वसूला जा रहा है। सरकार को अप्रत्यक्ष रूप से वसूले जा रहे टोल पर पुनर्विचार करने की जरूरत है।”
इसपर नितिन गडकरी ने कहा, “राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल शुल्क का कलेक्शन एनएच शुल्क नियमों के प्रावधानों के अनुसार लगाया जाता है, जो थोक मूल्य सूचकांक से अनुक्रमित एनएच लंबाई के प्रति किलोमीटर आधार दर तय करता है। इसके अलावा, किसी भी राजमार्ग पर उपयोगकर्ता शुल्क कलेक्शन की राशि उस खंड पर चलने वाले यातायात, वाहन की श्रेणी (मल्टी-एक्सल, आदि), गलियारे के प्रकार (औद्योगिक केंद्र, आदि), महत्वपूर्ण शहरों के साथ राजमार्ग की कनेक्टिविटी आदि द्वारा नियंत्रित होती है।”