Amit Shah on J&K: जम्मू कश्मीर में लगातार दो दिनों तक केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हुर्रियत के दो छोटे राजनीतिक दलों के अलगाववाद छोड़ने को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने दावा किया कि अलगाववाद की मौत हो चुकी है। अमित शाह ने जिन संगठन का जिक्र किया, उन सभी ने घोषणा कि वे हुर्रियत कांन्फ्रेंस के साथ अपना संबंध समाप्त कर रहे हैं।
ये बयान केंद्र सरकार द्वारा हुर्रियत के दो सबसे बड़े सदस्यों पर प्रतिबंध लगाने तथा अलगाववादी संगठनों पर जम्मू -कश्मीर पुलिस द्वारा नए सिरे से कार्रवाई शुरू करने के तुरंत बाद सामने आए हैं। अमित शाह के बयान को नजरंदाज करें तो सरकार का घाटी के सबसे बड़े अलगाववादी संगठन के खिलाफ लगातार कैंपेन चल रहा है।
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दरअसल, 25 मार्च को एक्स पर इस मुद्दे पर अपनी पहली पोस्ट में शाह ने कहा कि कश्मीर में अलगाववाद इतिहास बन चुका है। मोदी सरकार की एकीकरण नीतियों ने अलगाववाद को जम्मू-कश्मीर से खत्म कर दिया है। हुर्रियत से जुड़े दो संगठनों ने अलगाववाद से सभी संबंध तोड़ने की घोषणा की है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन की बड़ी जीत है।
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस छोड़ने वाले संगठनों में डेमोक्रेटिक पॉलिटिकल मूवमेंट और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट हैं। इसके बाद अगले दिन एक बार फिर गृहमंत्री अमित शाह ने पोस्ट किया कि कश्मीर घाटी से एक और अच्छी खबर। हुर्रियत से जुड़े दो और समूहों, जेएंडके तहरीकी इस्तेकलाल और जेएंडके तहरीक-ए-इस्तिकामत ने अलगाववाद को त्याग दिया है।
एक वरिष्ठ अलगाववादी नेता ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि मैंने खुद पहली बार नाम सुने हैं। केंद्र द्वारा की गई ये घोषणाएं जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा घाटी भर में अलगाववादी नेताओं के आवासों पर छापे मारने और पुराने मामलों में जांच शुरू करने के साथ मेल खाती हैं। जिसका नियंत्रण केंद्र शासित प्रदेश की सत्ता व्यवस्था में उपराज्यपाल के अधीन है। पुलिस कार्रवाई का सामना कर रहे इन अलगाववादी नेताओं में से कई जेल में हैं, जिनमें से कई अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से अभी तक जेल से बाहर नहीं आ सके हैं।
अगस्त 2019 के बाद से अधिकारियों की कार्रवाई के चलते हुर्रियत लगभग खत्म हो चुकी है। इस गठबंधन ने इस दौरान कोई राजनीतिक बयान भी जारी नहीं किया है। दूसरी ओर मसर्रत गुट की टॉप और मध्य लेवल की लीडरशिप अभी भी जेल में ही है। इस गुट ने हमेशा ही कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए बातचीत की वकालत की है। हाल में केंद्र ने दो संगठनों को बैन किया है। इनमें इनमें मीरवाइज का अपना राजनीतिक संगठन अवामी एक्शन कमेटी (AAC) और शिया नेता मसरूर अब्बास अंसारी के नेतृत्व वाला इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन शामिल है।
इसके बाद केंद्र ने पिछले 6 दशकों से राजनीति करने वाले संगठन आवामी एक्शन कमेटी और इत्तिहादुल मुस्लिमीन पर प्रतिबंध लगा दिया गया। यह संकेत देता है कि केंद्र चाहता है कि मीरवाइज खुद को केवल धार्मिक मुद्दों तक ही सीमित रखें। बता दें कि केंद्र सरकार ने एनडीए और यूपीए दोनों सरकारों के तहत मीरवाइज के नेतृत्व वाले हुर्रियत गुट के साथ बातचीत की थी।