अक्षय कुमार की इस साल 2025 की शुरुआत देशभक्ति फिल्म ‘स्काई फोर्स’ से हुई, जो बॉक्स ऑफिस पर खास परफॉर्म तो नहीं कर पाई लेकिन, ओटीटी पर इसे काफी पसंद किया गया। इसमें उनके और शिखर पहाड़िया के अभिनय को पसंद किया गया।इसी के साथ ही अब अक्षय इस साल की अपनी दूसरी बड़ी फिल्म ‘केसरी चैप्टर 2’ को लेकर चर्चा में हैं। उनकी ये फिल्म भी सच्ची घटना 1919 के क्रूर जलियांवाला बाग हत्याकांड पर आधारित है। इसका टीजर पहले ही जारी किया जा चुका है। इसमें अक्षय के साथ आर माधवन और अनन्या पांडे भी हैं।
‘केसरी चैप्टर 2’ में आपको जलियांवाला बाद हत्याकांड तो देखने के लिए मिलेगा साथ ही एक ऐसे वकील के बारे में भी दिखाया गया है, जिन्होंने कोर्ट में अंग्रेजों की ईंट से ईंट बजा दी थी। इस घटना के बाद वकील सर चेत्तूर शंकरन नायर ने अंग्रेजी हुकूमत को कोर्ट में शर्मसार कर दिया था। ‘केसरी चैप्टर 2’ को पुष्पा पलात और रघु पलात की लिखी किताब ‘द केस दैट शुक द एम्पायर’ से लिया गया है। फिल्म में सी.शंकरन नायर की भूमिका में अक्षय कुमार हैं। ऐसे में आपको उनके बारे में बता रहे हैं…
‘केसरी 2’ में अक्षय कुमार ने जिस वकील की भूमिका प्ले की है वो हैं सर चेत्तूर शंकरन नायर। नायर केरल के मनकारा गांव से ताल्लुक रखते थे। उनका जन्म 1857 में हुआ था। वो एक कुलीन परिवार से आते थे। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा गृहनगर से ही की थी। स्कूल में पढ़ाई के बाद उन्होंने मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज में एडमिशन लिया। इसके बाद 1870 के दशक में नायर ने मद्रास लॉ कॉलेज से एलएलबी की डिग्री हासिल की थी। उन्होंने करियर की शुरुआत मद्रास हाईकोर्ट से की थी। बाद में उन्हें देश के लिए वकालत करने के लिए जाना गया। उन्हें मुख्यतः जलियांवाला बाग हत्याकांड के खिलाफ आवाज उठाने और कोर्ट में ब्रिटिश सरकार को ललकारने के लिए जाना गया।
नायर ने अपनी सारी जिंदगी देश के लिए वकालत की। 1907 में उन्हें मद्रास सरकार ने महाधिवक्ता नियुक्त किया गया था। वो इस देश के पहले भारतीय वकील थे, जो इस पद के लिए नियुक्त किए गए थे। बाद में इसी न्यायालय में न्यायाधीश भी बने। लेकिन, इससे पहले 1887 में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया था। 1919 में जब जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था तो वो शिक्षा मंत्री और वायसराय की कार्यकारी परिषद में एकमात्र भारतीय प्रतिनिध थे। ये किसी भी भारतीय के लिए बड़ा सम्मान था लेकिन, जब उन्हें हत्याकांड के बारे में पता चला तो काफी दुख हुआ था। उस दौरान अंग्रेजी हुकूमत ने पंजाब में प्रेस की स्वतंत्रता पर रोक भी लगा दी गई थी। अंग्रेजों ने घटना के बारे में कई तथ्यों को तोड़-मरोड़ को पेश किया था।
वहीं, नायर इस बात से बहुत परेशान हो गए थे। घटना से काफी बी नाराज थे और इसका विरोध जताते हुए उन्होंने कार्यकारी परिषद से इस्तीफा देने का फैसला किया था। नायर ने उस समय अंग्रेजी हुकूमत के इस हत्याकांड की निंदा करते हुए इस्तीफे का लैटर लिखा कि अगर किसी को देश पर शासन करना है तो ये जरूरी है कि निर्दोष लोगों का कत्लेआम किया जाए। उन्होंने ब्रिटिश सरकार की कत्लेआम पर ये भी लिखा था कि ये देश रहने लायक नहीं है।
सीएस नायर ने 1922 में ‘गांधी एंड एनार्की’ नाम की एक किताब लिखी थी। इसमें उन्होंने माइकल ओ’डायर के नरसंहार के बारे में तो लिखा साथ ही इस दौरान अत्याचारों को बढ़ावा देने का आरोप भी लगाया। माइकल ओ’डायर पंजाब सरकार के लेफ्टिनेंट थे और उस समय तक वे बर्खास्त होकर इंग्लैंड लौट चुके थे। वहीं, नायर के आरोपों के कारण माइकल ने उनके खिलाफ मानहानि का भी केस किया था। मामले की सुनवाई करने वाले जज खुद भी भारतीयता के खिलाफ थे। मामला पांच हफ्ते तक चला था और ये अदालत के इतिहास का सबसे लंबा चलने वाला केस रहा था। इस मामले में सबकी सहमति से कोई फैसला नहीं हुआ था। इसलिए नायर के आगे दो ऑप्शन रखे गए थे। पहला कि वो ओ’डायर से माफी मांग लें या फिर 7500 पाउंड दें। उन्होंने दूसरा ऑप्शन चुना। अक्षय कुमार की ‘केसरी 2’ भी इसी पर आधारित है।
भले ही मामला सीएस नायर के पक्ष में नहीं था। लेकिन, हत्याकांड को दिखाने की उनकी कोशिशों का असर देखने को मिला। उनकी इस लड़ाई ने लोगों की सोच को भी बदला और खुद के लिए आवाज उठाने के लिए मजबूत कर दिया। प्रेस सेंसरशिप और मार्शल लॉ को खत्म कर दिया गया था। प्रेस सेंसरशिप और मार्शल लॉ के खात्मे से लेकर जलियांवाला बाग हत्याकांड की जांच तक ने सी नायर को एक बड़ी शख्सियत बना दिया था।
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