म्यांमार में रविवार की सुबह फिर भूकंप के झटके लगे। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.1 मापी गई। इससे पहले शुक्रवार, 29 मार्च को देश के मांडले (Mandalay) शहर में आए भूकंप ने न केवल भारी नुकसान किया, बल्कि आगे भी संकट बने रहने की गंभीर चेतावनी दी है। 7.7 तीव्रता के इस भूकंप ने पूरे क्षेत्र को हिला दिया।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, देश में आए विनाशकारी भूकंप से करीब 334 परमाणु बमों के बराबर ऊर्जा निकली। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार, भूकंप का केंद्र 10 किलोमीटर की उथली गहराई पर स्थित था, जिससे इसकी तीव्रता और बढ़ गई। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह केवल एक शुरुआत हो सकती है, और आने वाले महीनों में भूकंप के और झटके महसूस किए जा सकते हैं।
स्थानीय प्रशासन ने अब तक 1,600 से अधिक लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है, जबकि अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) ने यह आंकड़ा 10,000 से अधिक होने की आशंका जताई है। म्यांमार में मौजूदा संचार बाधाओं और गृहयुद्ध की स्थिति के कारण सटीक संख्या का पता लगाना मुश्किल हो रहा है।
भूवैज्ञानिक जेस फीनिक्स ने सीएनएन को बताया कि “इस तरह के भूकंप से निकलने वाली ऊर्जा बेहद विनाशकारी होती है। यह भूकंप भारतीय टेक्टोनिक प्लेट और यूरेशियन प्लेट के टकराव के कारण आया है। प्लेटों की यह गतिविधि जारी रहने से झटके महीनों तक महसूस किए जा सकते हैं।”
म्यांमार पहले से ही गृहयुद्ध की मार झेल रहा है और इस आपदा ने हालात और खराब कर दिए हैं। संचार व्यवस्था चरमरा गई है, जिससे राहत कार्यों में गंभीर बाधा आ रही है। युद्धग्रस्त इलाकों में राहत और बचाव कार्य पहुंचाना मुश्किल हो रहा है, जिससे हताहतों की संख्या और बढ़ सकती है।
संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने चिंता जताई है कि संघर्ष और संचार बाधाओं के कारण भूकंप प्रभावित क्षेत्रों तक मदद पहुंचाना बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है। म्यांमार की सेना और विद्रोही गुटों के बीच जारी लड़ाई ने हालात को और खराब कर दिया है।
इस आपदा के बाद भारत ने तुरंत ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ के तहत राहत अभियान शुरू किया है। शनिवार को भारतीय वायुसेना का एक विमान 15 टन राहत सामग्री लेकर म्यांमार के यांगून पहुंचा। राहत सामग्री में टेंट, स्लीपिंग बैग, कंबल, खाने-पीने का सामान, वाटर प्यूरीफायर, सोलर लैंप, जनरेटर सेट और आवश्यक दवाइयां शामिल थीं। म्यांमार में भारत के दूत अभय ठाकुर ने यह आपूर्ति यांगून के मुख्यमंत्री यू सोई थीन को सौंपी।
भारत ने यह भी संकेत दिया है कि जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त सहायता भेजी जाएगी। भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, “भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ खड़ा है और संकट की इस घड़ी में हर संभव मदद करेगा।” म्यांमार की सीमा से लगे दक्षिण-पश्चिम चीन के युन्नान प्रांत में भी भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए, जिससे इलाके में अफरा-तफरी मच गई।
उधर, थाईलैंड का बैंकॉक भी भूकंप के झटकों से हिल उठा, जहां अब तक 6 लोगों की मौत, 22 घायल और 101 लोग लापता हो चुके हैं। थाईलैंड प्रशासन का कहना है कि भूकंप का प्रभाव कई दिनों तक महसूस किया जा सकता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह भूकंप टेक्टोनिक प्लेटों की अस्थिरता का संकेत है और इससे आने वाले दिनों में और भी झटके महसूस किए जा सकते हैं। भूवैज्ञानिक जेस फीनिक्स ने चेतावनी दी कि “प्लेटों की यह गतिविधि अचानक रुकने वाली नहीं है। आने वाले हफ्तों और महीनों में म्यांमार और आसपास के क्षेत्रों में और भी झटके महसूस हो सकते हैं, जिससे पहले से ही खराब हालात और बिगड़ सकते हैं।”