Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को हैदराबाद के कांचा गाचीबोवली में अथॉरिटी की तरफ से की गई वनों की कटाई के लिए तेलंगाना सरकार के मुख्य सचिव को कड़ी चेतावनी दी। कोर्ट ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को वन क्षेत्रों की पहचान के लिए एक्सपर्ट कमेटी का गठन करने का आदेश दिया था और यह भी साफ किया था कि फोरेस्ट लैंड में कमी सहित किसी भी चूक के लिए मुख्य सचिव जिम्मेदार होंगे।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने पेड़ों की कटाई को लेकर सरकार से काफी तीखे सवाल भी किए। कोर्ट ने पूछा कि वनों की कटाई को शुरू करने की इतनी जल्दी क्यों थी। पेड़ों को काटने के लिए वन प्राधिकारियों या किसी अन्य स्थानीय कानून से अपेक्षित अनुमति ली गई है या नहीं? राज्य सरकार काटे गए पेड़ों के साथ क्या कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया कि संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।
जस्टिस बीआर गवई ने टिप्पणी करते हुए कहा, ‘मुख्य सचिव झील के पास उसी जगह बनी अस्थायी जेल में जाएंगे। अगर मुख्य सचिव राज्य के आतिथ्य का आनंद लेना चाहते हैं, तो इसमें कोई मदद नहीं कर सकता। यह बहुत गंभीर मामला है। कानून अपने हाथ में नहीं लिया जा सकता।’
सुप्रीम कोर्ट ने संपत्ति बंटवारे पर खारिज की याचिका
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने उस जगह पर वनों की कटाई की रिपोर्टों पर स्वत संज्ञान लिया और तेलंगाना सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि वहां आगे और पेड़ों की कटाई ना हो। तेलंगाना हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार ने सुप्रीम कोर्ट को एक स्टेटस रिपोर्ट भी सौंपी। कोर्ट ने कहा, ‘रजिस्ट्रार की रिपोर्ट और उनके द्वारा भेजी गई तस्वीरें चिंताजनक तस्वीर पेश करती हैं। बड़ी संख्या में पेड़ों को काटा जा रहा है, इसके अलावा लगभग 100 एकड़ क्षेत्र को नष्ट करने के लिए बड़ी मशीनरी का इस्तेमाल किया जा रहा है। रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि उक्त क्षेत्र में कुछ मोर, हिरण और पक्षी भी देखे गए थे। प्रथम दृष्टया यह संकेत मिलता है कि वहां जंगली जानवरों के कारण जंगल का अस्तित्व था।’
अब इस पूरे मामले पर गौर करें तो हैदराबाद यूनिवर्सिटी से सटी 400 एकड़ जमीन को तेलंगाना की रेवंत रेड्डी सरकार विकसित करने और वहां पर एक आईटी पार्क बनाने की प्लानिंग कर रही है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक 19 जून 2024 को टीजीआईआईसी ने यहां IT पार्क और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलेपमेंट के लिए जमीन का इस्तेमाल करने का प्रस्ताव रखा और सरकार से मंजूरी मांगी। रेवेन्यू डिपार्टमेंट ने जमीन के अधिकार TGIIC को ट्रांसफर कर दिए। वहीं यूनिवर्सिटी के छात्रों की तरफ से इसका जमकर विरोध किया जा रहा है। उनका कहना है कि इस प्रोजेक्ट की वजह से इकोसिस्टम पर खासा असर पड़ेगा। सभी जजों को करना होगा अपनी संपत्ति का खुलासा