Global Warming: जलवायु संकट इक्कीसवीं सदी की सबसे बड़ी वैश्विक चुनौतियों में से एक है। इसका प्रभाव अब पूरी दुनिया में महसूस किया जाने लगा है। भारत जैसे विकासशील देशों में इसकी मार कहीं अधिक गहरी है। यहां ग्रामीण अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि, पशुपालन और प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित है, जो जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं। बढ़ते तापमान, अनियमित वर्षा, चक्रवात, सूखा और बाढ़ जैसी समस्याएं न केवल किसानों की आजीविका को प्रभावित कर रही हैं, बल्कि खाद्य सुरक्षा और जल संसाधनों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रही हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए भारत सरकार ने कई नीतिगत हस्तक्षेप किए हैं, जिनका उद्देश्य पर्यावरणीय स्थिरता बनाए रखना और ग्रामीण समुदायों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाना है। ग्रामीण क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन का सीधा प्रभाव कृषि उत्पादन, जल संसाधनों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर देखा जा सकता है।
अनियमित मानसून और बदलते मौसम चक्र ने किसानों को अनिश्चितता की स्थिति में डाल दिया है, जिससे उनकी आय प्रभावित हो रही है। जल संसाधनों की कमी और बाढ़ जैसी समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं, जिससे खाद्य सुरक्षा पर संकट पैदा हो गया है। सरकार द्वारा चलाई जा रही कई योजनाएं जैसे राष्ट्रीय अनुकूलन कोष (एनएएफसीसी), मिशन लाइफ, राष्ट्रीय सौर मिशन और मनरेगा के तहत जल संरक्षण परियोजनाएं ग्रामीण भारत को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाने में सहायक सिद्ध हो रही हैं। हालांकि, इन योजनाओं को लागू करने में कई चुनौतियां बनी हुई हैं, जैसे जागरूकता की कमी, संसाधनों की सीमित उपलब्धता और ग्रामीण स्तर पर समुचित नीति कार्यान्वयन। सरकारी योजनाएं जलवायु परिवर्तन से निपटने में कितनी प्रभावी हैं और ग्रामीण समुदायों को इनसे कैसे अधिकतम लाभ प्राप्त हो सकता है, इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
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जलवायु परिवर्तन न केवल पर्यावरणीय असंतुलन, बल्कि समाज, अर्थव्यवस्था और जीवनशैली को भी प्रभावित कर रहा है। बढ़ता तापमान, अनियमित मौसम परिवर्तन, समुद्री जल स्तर में वृद्धि और कृषि उत्पादन में गिरावट जैसे मुद्दे भारत सहित पूरे विश्व को प्रभावित कर रहे हैं। विशेष रूप से ग्रामीण भारत में, जहां अधिकांश आबादी कृषि और प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर है और जहां जलवायु परिवर्तन के प्रभाव अधिक गंभीर हैं। अनिश्चित मानसून, सूखा, बाढ़ और मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट जैसी समस्याएं किसानों और ग्रामीण समुदायों के लिए बड़ी चुनौती बन गई हैं। इनसे निपटने के लिए भारत सरकार ने कई योजनाएं और कार्यक्रम लागू किए हैं, जिनका उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करना है।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का उद्देश्य जल संसाधनों का प्रभावी उपयोग और सिंचाई सुविधाओं का विस्तार करना है। यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में जल प्रबंधन को बढ़ावा देने और वर्षा आधारित कृषि पर निर्भरता को कम करने में सहायक है। इसके तहत ‘हर खेत को पानी’ अभियान और ‘बूंद सिंचाई’ जैसी तकनीकों को बढ़ावा दिया जाता है, जिससे जल की बचत होती और सूखे की स्थिति में किसानों को राहत मिलती है। राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन अनुकूलन कोष विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए बनाई गई एक वित्तीय योजना है। यह कृषि, वानिकी, जल संसाधन और जैव विविधता क्षेत्रों में अनुकूलन परियोजनाओं के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करती है। ग्रामीण समुदायों को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल बनाने के लिए इस योजना के तहत कृषि पद्धतियों में बदलाव, जल संग्रहण संरचनाओं का निर्माण और स्थानीय स्तर पर जलवायु अनुकूलन प्रयासों को बढ़ावा दिया जाता है।
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महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम ग्रामीण क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में अहम भूमिका निभा रहा है। इसके तहत जल संरक्षण, वृक्षारोपण, मिट्टी संरक्षण और बंजर भूमि सुधार जैसी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाता है। इससे न केवल ग्रामीण रोजगार का सृजन, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों का भी संवर्धन होता है। इससे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद मिलती है। राष्ट्रीय सौर मिशन ग्रामीण क्षेत्रों में अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ी पहल है।
इस योजना के तहत किसानों को सौर पंपों की सुविधा दी जाती है, जिससे वे पारंपरिक डीजल और बिजली पर निर्भरता कम कर सकते हैं। इसके अलावा, ग्रामीण घरों में सौर ऊर्जा आधारित रोशनी को बढ़ावा दिया जाता है, ताकि बिजली संकट का समाधान किया जा सके। ‘मिशन लाइफ’ और ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान कार्यक्रम ग्रामीण समुदायों को पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करता है। यह जलवायु परिवर्तन के खिलाफ सामूहिक प्रयासों को प्रोत्साहित करता है, जिससे ग्रामीण भारत में टिकाऊ कृषि, ऊर्जा बचत और जल संरक्षण जैसी गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है।
‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान ग्रामीण क्षेत्रों में वृक्षारोपण को भी बढ़ावा देता है। इससे पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलती है। जल जीवन मिशन ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की एक योजना है। इसके तहत हर घर तक पाइप से स्वच्छ पेयजल पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। यह जल संसाधनों के सतत उपयोग और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न जल संकट का समाधान प्रस्तुत करता है। कई राज्य सरकारों ने भी जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अपनी योजनाएं शुरू की हैं।
उदाहरण के लिए, राजस्थान में ‘मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना’ के तहत जल संरक्षण और भूजल पुनर्भरण पर ध्यान केंद्रित किया गया है। महाराष्ट्र में ‘जलयुक्त शिवार अभियान’ के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में जल संचयन के लिए विभिन्न संरचनाओं का निर्माण किया गया है। उत्तर प्रदेश में ‘किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान’ के माध्यम से किसानों को सौर ऊर्जा से संचालित पंप उपलब्ध कराए जा रहे हैं। वनीकरण और जैव विविधता संरक्षण कार्यक्रम वनों का संरक्षण करने में और जलवायु परिवर्तन से निपटने में भूमिका निभाते हैं।
भारत सरकार की कई योजनाएं जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभा रही हैं। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन अनुकूलन कोष, मनरेगा, राष्ट्रीय सौर मिशन, जल जीवन मिशन, वनीकरण अभियान और राज्य सरकारों की पहलें पर्यावरण संरक्षण और विकास की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम हैं। इन योजनाओं से न केवल ग्रामीण क्षेत्रों की जलवायु सहनशीलता बढ़ेगी, बल्कि सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी। ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि की नई तकनीकों, जल संरक्षण प्रणालियों और नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों को अपनाने से दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित की जा सकती है। साथ ही, सरकार को इन योजनाओं की नियमित निगरानी और मूल्यांकन पर जोर देना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे जमीनी स्तर पर प्रभावी रूप से कार्य कर रही हैं।
जलवायु संकट से निपटने के लिए योजनाओं की सफलता इस पर निर्भर करेगी कि वे कितनी कुशलता से ग्रामीण समुदायों तक पहुंचती हैं और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाती हैं। इन योजनाओं के माध्यम से सतत विकास और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना न केवल वर्तमान पीढ़ी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होगा।