Waqf Debate: लोकसभा में बुधवार को जब राजनीतिक रूप से विवादास्पद वक्फ (संशोधन) विधेयक पर चर्चा हो रही थी। तब विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक्स एक पोस्ट में विधेयक को मुसलमानों को हाशिए पर धकेलने के उद्देश्य से बनाया गया हथियार बताया। लेकिन, उम्मीदों के विपरीत, उन्होंने सदन में विधेयक पर बोलने से मना कर दिया। गुरुवार को जब विधेयक राज्यसभा में आया तो सदन में राहुल के समकक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सदन को संबोधित करते हुए सरकार की कड़ी आलोचना की।
राहुल गांधी का संसद में विधेयक पर न बोलने का फैसला। साथ ही उनकी बहन और वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा की चर्चा के दौरान सदन से अनुपस्थिति, किसी की नजर से ओझल नहीं हुई। मणिपुर में राष्ट्रपति शासन के अनुमोदन पर बहस के दौरान भी दोनों मौजूद नहीं थे। गुरुवार को सुबह करीब 2 बजे वक्फ विधेयक पर मतदान के तुरंत बाद राहुल वहां से चले गए। उस समय मणिपुर पर चर्चा को आगे बढ़ाने के सरकार के फैसले से विपक्ष हैरान रह गया था।
मलयालम दैनिक सुप्रभातम, जो आईयूएमएल समर्थक समस्त केरल जेम-इय्याथुल उलमा द्वारा नियंत्रित है। उसने शुक्रवार को अपने संपादकीय में पूछा कि राहुल ने वक्फ बहस में भाग क्यों नहीं लिया? और केरल के सांसद वाड्रा की संसद में अनुपस्थिति को “एक धब्बा” कहा। बता दें, आईयूएमएल राज्य में कांग्रेस की सहयोगी है।
संपादकीय में कहा गया है, “वक्फ विधेयक बाबरी घटना के बाद संघ परिवार द्वारा मुसलमानों और देश की धर्मनिरपेक्षता पर किया गया सबसे बड़ा हमला है। हालांकि, वायनाड की सांसद प्रियंका गांधी, जिनको देश बड़ी उम्मीदों के साथ देखता है, पार्टी व्हिप के बावजूद संसद नहीं आईं। यह एक धब्बा रहेगा। जब विधेयक पर बहस हो रही थी, तब वह कहां थीं, यह सवाल हमेशा बना रहेगा। साथ ही, यह सवाल भी बना रहेगा कि देश की एकता को तोड़ने वाले विधेयक पर राहुल गांधी ने क्यों नहीं बोला।”
वाड्रा के मामले में कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि वह अमेरिका में अपने एक रिश्तेदार के पास गई हुई हैं, जो कैंसर से पीड़ित है और उसकी हालत गंभीर है, तथा उन्होंने अलग से अध्यक्ष ओम बिरला और कांग्रेस संसदीय दल (सीपीपी) को सदन में उपस्थित होने में अपनी असमर्थता के बारे में सूचित कर दिया है।
राहुल का बचाव करते हुए कांग्रेस नेताओं ने कहा कि वक्फ बिल या मणिपुर चर्चा में उनके भाग न लेने को लेकर कोई राजनीतिक अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ कहा? क्या वह सदन में थे? राहुल थे। कांग्रेस पार्टी ने इस विधेयक का कड़ा विरोध किया और हमने दोनों सदनों में इसके खिलाफ मतदान किया। राहुल कांग्रेस के नेता हैं और उनका रुख भी इससे अलग नहीं है। वह बोलते हैं या नहीं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने सीपीआई (एम) पर आरोप लगाया कि वह केरल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए इस सारी चर्चा को हवा दे रही है।
केरल में मुस्लिम वोट के लिए कांग्रेस और सीपीआई(एम) के बीच प्रतिस्पर्धा है। एक अन्य कांग्रेस नेता ने कहा कि हमारे सदस्यों ने हमारी पार्टी का रुख मजबूती से रखा। हमने मुस्लिम, ईसाई और सिख सदस्यों को मैदान में उतारा… ऐसा नहीं है कि राहुल हर बार महत्वपूर्ण विधेयक आने पर बोलेंगे।
संसद में मणिपुर पर बहस के लिए राहुल के मौजूद न होने पर एक कांग्रेस सांसद ने कहा कि उन्होंने राज्य का दौरा किया था और शिविरों में रहने वाले लोगों से मुलाकात की थी, और मणिपुर के बारे में जोरदार तरीके से बात कर रहे हैं। राहुल संसद में राज्य पर चर्चा में भाग नहीं ले रहे हैं… क्या इसका मतलब यह है कि उन्होंने अपनी स्थिति कमजोर कर ली है? एक अन्य कांग्रेस नेता ने कहा कि पार्टी का सामूहिक दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है।इसके अलावा, राहुल शायद ही कभी विधेयकों पर चर्चा में भाग लेते हैं।
दरअसल, पिछले 11 वर्षों में वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने केवल दो बार विधेयकों पर चर्चा में भाग लिया है – 2023 में महिला आरक्षण विधेयक पर, और 2015 में भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन में उचित मुआवज़ा और पारदर्शिता के अधिकार (संशोधन) विधेयक पर, जिसे भूमि अधिग्रहण विधेयक के रूप में जाना जाता है।
पिछले साल विपक्ष के नेता बनने के बाद से राहुल ने कुल सात बहसों में हिस्सा लिया है – दो बार राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर, एक बार बजट पर और एक बार संविधान को अपनाने के 75 साल पूरे होने पर चर्चा पर। उन्होंने पिछले साल वायनाड में भूस्खलन त्रासदी के बारे में दो विशेष उल्लेख और एक प्रस्तुतिकरण किया है।
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वक्फ (संशोधन) विधेयक पर एक्स पर अपनी टिप्पणी में राहुल ने इसे ‘मुसलमानों को हाशिए पर धकेलने और उनके व्यक्तिगत कानूनों और संपत्ति के अधिकारों को हड़पने के उद्देश्य से बनाया गया हथियार’ बताया।
कांग्रेस के वायनाड से राहुल गांधी ने अपने एक्स पर एक पोस्ट के जरिए लिखा, ‘वक्फ (संशोधन) विधेयक मुसलमानों को हाशिए पर धकेलने और उनके निजी कानूनों और संपत्ति के अधिकारों को हड़पने के उद्देश्य से बनाया गया एक हथियार है। राहुल गांधी ने इसे अनुच्छेद 25 का उल्लंघन बताते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी इस कानून का कड़ा विरोध करती है।’
राहुल गांधी ने आगे लिखा, ‘आरएसएस, भाजपा और उनके सहयोगियों द्वारा संविधान पर यह हमला आज मुसलमानों पर लक्षित है, लेकिन भविष्य में अन्य समुदायों को निशाना बनाने के लिए एक मिसाल कायम करता है। कांग्रेस पार्टी इसका कड़ा विरोध करती है क्योंकि यह भारत के मूल विचार पर हमला करता है और अनुच्छेद 25, धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है।’
सोनिया गांधी ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि (वक्फ) विधेयक को वास्तव में जबरन पारित किया गया। हमारी पार्टी की स्थिति स्पष्ट है। यह विधेयक संविधान पर एक बेशर्म हमला है। यह हमारे समाज को स्थायी ध्रुवीकरण की स्थिति में रखने की भाजपा की सोची-समझी रणनीति का एक हिस्सा है। गांधी नेताओं की आलोचना करते हुए, समस्त संपादकीय ने विपक्षी नेताओं की प्रशंसा की, जिन्होंने आधी रात के बाद संसद में विधेयक के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी और इसके खिलाफ मतदान किया।
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(इंडियन एक्सप्रेस के लिए मनोज सीजी और शाजू फिलिप की रिपोर्ट)