प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार रात राष्ट्र को संबोधित कर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पाकिस्तान के साथ संघर्ष विराम के बाद की भारत की नीति को लेकर स्पष्ट और दृढ़ संदेश दिया। यह संबोधन ऐसे समय हुआ जब संघर्ष विराम की घोषणा को दो दिन बीत चुके थे और देश भर में इस अभियान को लेकर चर्चाएं तेज थीं। साथ ही यह भाषण बीजेपी के आगामी जनसंपर्क अभियान की नींव भी रखता नजर आया।
मोदी के इस संबोधन में एक बात साफ थी – पाकिस्तान से बातचीत अब केवल दो मुद्दों पर ही होगी: आतंकवाद और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK)। यह बयान अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के उस कथन के संदर्भ में था जिसमें कहा गया था कि भारत और पाकिस्तान “तटस्थ स्थल पर कई मुद्दों पर बातचीत” के लिए सहमत हुए हैं। इस टिप्पणी के बाद विपक्ष ने सरकार से “अमेरिका की भूमिका” को लेकर स्पष्टीकरण मांगा था।
बीजेपी ने इस मुद्दे पर पार्टी की रणनीति को स्पष्ट करने के लिए रविवार रात एक उच्च स्तरीय बैठक की, जिसकी अध्यक्षता पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने की। इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह समेत कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए। सूत्रों के मुताबिक, बैठक का मकसद सशस्त्र बलों की उपलब्धियों को बिना विजय घोषणा के सामने लाना और “मजबूत, सुरक्षित राष्ट्रवाद” की भावना को मजबूत करना था।
सोमवार को बीजेपी ने अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऑपरेशन सिंदूर को “सौ प्रतिशत सफल” बताया। राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने दावा किया कि पीएम मोदी ने पहलगाम हमले के दोषियों को उनकी “कल्पना से परे सजा” दी और उनके “सुरक्षित ठिकानों को नष्ट” किया। पात्रा के अनुसार इस अभियान में पाकिस्तान के नौ आतंकी अड्डे, 11 एयरबेस, 100 से अधिक आतंकवादी, 50 सैनिक और उसकी अंतरराष्ट्रीय साख को भारी नुकसान हुआ।
पात्रा ने यह भी कहा कि इस ऑपरेशन का एक “गैर-सैन्य” आयाम सिंधु जल संधि के निलंबन के रूप में सामने आया है। उन्होंने दावा किया कि इससे पाकिस्तान के कृषि क्षेत्र का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा प्रभावित होगा, जिससे उसकी जीडीपी “नाजुक” हो जाएगी। सोमवार को एयर मार्शल ए के भारती, लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई और वाइस एडमिरल ए एन प्रमोद ने संयुक्त प्रेस वार्ता की, जहां उन्होंने मीडिया के सवालों के जवाब दिए। इससे पहले विदेश मंत्रालय ने भी रविवार को विस्तृत ब्रीफिंग दी थी।
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बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में किसी भी तरह की “जानकारी की कमी” या “संचार में भ्रम” की बात को खारिज किया। उन्होंने कहा, “सशस्त्र बल और विदेश मंत्रालय दोनों ने बहुत ही दक्षता और दृढ़ता के साथ भारत की स्थिति को दुनिया के सामने रखा है।”
उधर, बीजेपी ने मंगलवार से देश भर में 11 दिन की तिरंगा यात्रा शुरू करने की घोषणा की है, जो 13 मई से 23 मई तक चलेगी। इसमें समाज के विभिन्न वर्गों की प्रमुख हस्तियां भाग लेंगी। पार्टी का कहना है कि यह यात्रा प्रधानमंत्री मोदी के “संकल्प और दृढ़ इच्छाशक्ति” तथा भारतीय सशस्त्र बलों की “वीरता और शौर्य” को आम जनता तक पहुंचाने का माध्यम बनेगी।
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर और संघर्ष विराम के बाद की स्थिति पर शीर्ष स्तर पर कई दौर की चर्चा हुई, जिसमें राज्य इकाइयों से मिले फीडबैक को भी शामिल किया गया। पार्टी का उद्देश्य स्पष्ट है – सशस्त्र बलों की कार्रवाई को राजनीतिक लाभ के रूप में नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के संकल्प के रूप में प्रस्तुत करना। मोदी सरकार और बीजेपी अब इस घटनाक्रम को देश के कोने-कोने तक पहुंचाने की रणनीति पर काम कर रही है। विपक्ष की आलोचनाओं और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं के बीच सरकार यह संदेश देने में जुटी है कि भारत अब न केवल आतंकवाद से सख्ती से निपटने को तैयार है, बल्कि बातचीत की शर्तें भी वही तय करेगा।
ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने सैन्य और कूटनीतिक दोनों मोर्चों पर सख्त रुख अपनाया है। प्रधानमंत्री के स्पष्ट और राष्ट्रवादी संदेश तथा बीजेपी की तिरंगा यात्रा जैसी पहलें यह दर्शाती हैं कि सरकार अब इस उपलब्धि को जनसंवाद के रूप में बदलने के लिए तैयार है – बिना किसी अहंकार के, लेकिन पूरी दृढ़ता के साथ। (जतिन आनंद के इनपुट के साथ)