Bangladesh News: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पिछले साल 5 अगस्त को इस्तीफा देने और देश छोड़ने से पहले सेना अधिकारियों से जमकर बहस की थी। जब देश में छात्र आंदोलन तेज हो गए थे, तब सेना ने उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा। इस पर शेख हसीना गुस्से से तमतमा गईं थी। उन्होंने कहा था, ‘मुझे गोली मार दो और यहीं गणभवन में दफना दो।’
बांग्लादेशी दैनिक प्रोथोम एलो की रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में हुई सुनवाई के दौरान इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (ICT) के मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने इस भयावह घटना का खुलासा किया। गवाही ने अराजकता, प्रतिरोध और राजनीतिक तूफान की चपेट में आए एक नेता की दिल दहलाने वाली तस्वीर पेश की।
अभियोजक के मुताबिक, तत्कालीन संसद अध्यक्ष शिरीन शर्मिन चौधरी ने ही सबसे पहले हसीना से पद छोड़ने को कहा था। हालांकि, सत्तारूढ़ अवामी लीग के कई शीर्ष नेताओं ने इस विचार को खारिज कर दिया था। तत्कालीन रक्षा सलाहकार मेजर जनरल (Retd.) तारिक अहमद सिद्दीकी ने सुझाव दिया कि हसीना को इस्तीफा दे देना चाहिए। हालांकि, शेख हसीना ने गुस्से में सेना को आदेश दिया कि वह अपनी स्थिति को बनाए रखें और विरोध प्रदर्शनों को कुचल दें।
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चार लोगों का ग्रुप मजबूती के साथ में शेख हसीना के साथ खड़ा हुआ था। इसमें ओबैदुल कादर, असदुज्जमां खान, अनिसुल हक और सलमान एफ रहमान का नाम शामिल है। उन्होंने कथित तौर पर शेख हसीना को अपनी बात पर अड़े रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि पीछे मत हटो। इस्तीफा मत दो। 5 अगस्त की सुबह तक दबाव असहनीय हो गया था। पुलिस बलों के पास हथियार और गोला-बारूद खत्म हो चुका था।
आईजीपी चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून ने कबूल किया कि वे अब बढ़ती भीड़ को कंट्रोल नहीं कर सकते। तभी सेना ने एक आखिरी अपील की। उन्होंने चेतावनी दी कि प्रदर्शनकारी ढाका में हर तरफ से घुस रहे हैं। हसीना की बहन शेख रेहाना कथित तौर पर घुटनों के बल गिर गईं और हसीना के पैर पकड़कर उनसे देश की खातिर पद छोड़ने की विनती करने लगीं। लेकिन प्रधानमंत्री तब तक अपनी बात पर अड़ी रहीं जब तक उनके बेटे सजीब वाजेद जॉय को पार्टी में शामिल नहीं कर लिया गया। यह जॉय ही था जिसने आखिरकार उन्हें राजी कर लिया।
शेख हसीना ने विदाई भाषण रिकॉर्ड करने का आग्रह किया। लेकिन सेना ने साफ मना कर दिया था। उनको अपना सामान समेटने के लिए महज 45 मिनट का वक्त दिया। सुबह 11 बजे सेना के जनसंपर्क विभाग ने बीटीवी को जानकारी दी कि आर्मी चीफ दोपहर 2 बजे राष्ट्र को संबोधित करेंगे। भाषण का प्रसारण शाम 4 बजे किया गया। तब तक शेख हसीना बॉर्डर पार कर भारत आ गईं थी और हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी राजधानी में उमड़ पड़े थे। गिरते-गिरते कैसे बच गई बांग्लादेश की अंतरिम सरकार?