दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने सोमवार को कहा कि दिल्ली विधानसभा समितियों की शक्तियां सदन की प्रक्रिया नियमों में परिभाषित की जाएंगी। यह मुद्दा हाल ही में भाजपा और आप के बीच विवाद का विषय रहा है। विजेंद्र गुप्ता ने यह भी कहा कि नियमों की भाषा को जेंडर-न्यूट्रल बनाया जाएगा। विधानसभा सत्रों के दौरान विशेष उल्लेख के नियमों में एक और बदलाव की उम्मीद है।

सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि संशोधन से समितियों की शक्तियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा और इन्हें नए नियमों में परिभाषित किया जाएगा। उन्होंने कहा, “पिछली सरकार ने समितियों का दुरुपयोग किया। अधिनियम में संशोधन और समितियों के कामकाज पर उनके प्रभाव को भी नियमों में स्पष्ट किया जाएगा।”

नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने 2021 में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम में संशोधन के बाद विधानसभा समितियों की शक्तियों के संबंध में मुद्दा उठाया था। विजेंद्र गुप्ता को लिखे पत्र में आतिशी ने कहा था कि संशोधन के कारण लोक लेखा समिति को कैग रिपोर्टों पर गौर करने का अधिकार नहीं है।

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अन्य बदलावों के बारे में बात करते हुए विजेंद्र गुप्ता ने कहा, “नियमों की समीक्षा की जा रही है ताकि उन्हें लोकसभा और राज्यसभा के नियमों के बराबर लाया जा सके। प्रक्रिया शुरू हो गई है और ड्राफ्ट तैयार है। नियम समिति की पहली बैठक 5 जून को होगी।” विशेष उल्लेख के बारे में बोलते हुए गुप्ता ने कहा कि नियम परिभाषित हैं। उन्होंने कहा, “इसमें केवल उन मुद्दों को उठाने की बात की गई है जो व्यवस्था के मुद्दे हैं। वर्तमान में इसका बहुत लापरवाही से इस्तेमाल किया जा रहा है। हम इसे राज्यसभा के मानदंडों के अनुरूप लाएंगे।”

उपसभापति मोहन सिंह बिष्ट ने कहा कि विशेष उल्लेख के तहत उठाए गए मुद्दों पर अधिकारी कभी-कभी जवाब नहीं देते। उन्होंने कहा, “अब यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सवालों के जवाब दिए जाएं। अगर जवाब गलत होते तो कोई जवाबदेही नहीं होती। अगली बार से अगर अधिकारियों द्वारा सवालों के जवाब नहीं दिए गए तो उन्हें जवाबदेह ठहराया जाएगा।” इस बीच विजेंद्र गुप्ता ने यह भी कहा कि सदन की 100 दिन की रिपोर्ट 6 जून को जारी की जाएगी। पढ़ें- देशभर के मौसम का हाल