खानपान और लाइफस्टाइल में बदलाव के चलते कब्ज यानी कॉन्स्टिपेशन की समस्या बहुत ही आम हो गई है, जिसके चलते कामकाज को प्रभावित होता ही है, बल्कि कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा भी बढ़ जाता है। कब्ज अनहेल्दी लाइफस्टाइल, फाइबर की कमी, पानी की कमी और तनाव के चलते अधिक होती है। हालांकि, कब्ज की समस्या को हल्के में लेने की गलती बिल्कुल न करें और न ही इसे दूर करने के लिए लंबे समय तक दवाओं पर निर्भर रहने की। मल करते वक्त खून आना, पेट दर्द, मल के बाद जलन और बहुत ज्यादा दर्द हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। आयुर्वेद चिकित्सा और शल्य चिकित्सा में स्नातक (बीएएमएस), डॉ. पल्लवी के कनाडे ने कब्ज से राहत पाने के लिए एनिमा के फायदे बताए हैं। इसके साथ ही एनिमा का कैसे इस्तेमाल करना चाहिए ये भी बताया है।
डॉ. पल्लवी के कनाडे ने बताया कि कब्ज एक गंभीर स्थिति होती है. जिसमें शरीर से मल के निकलने में बहुत परेशानी होती है। यह स्थिति मल की गति को धीमा और मल को कठोर बना देती है। ऐसी स्थिति में मल त्याग करने में भी मुश्किल होती है। कई लोगों में यह स्थिति समय के साथ गंभीर रूप ले लेती है। जब यह बीमारी एक पुरानी समस्या बन जाती है, तो इससे राहत पाने के लिए एनिमा जैसे उपचार की जरूरत पड़ सकती है।
लंबे समय से कब्ज से पीड़ित लोगों के लिए एनिमा अंतिम उपाय के उपचार के रूप में बताया जाता है। एनिमा को सबसे आसान और मुफ्त इलाज माना जाता है पर कब्ज के लिए एनिमा के संभावित दुष्प्रभावों के कारण सावधानी बरतनी चाहिए। कब्ज के लिए एनिमा आजमाने की सलाह देने से पहले डॉक्टर अक्सर लैक्सेटिव, सपोसिटरी या हाई फाइबर युक्त आहार लेने की सलाह देते हैं।
एनिमा एक मेडिकल प्रक्रिया है, जिसमें मलाशय यानी रेक्टम के जरिए शरीर में एक विशेष तरल पदार्थ पहुंचाया जाता है। इसका उद्देश्य आंतों में जमे मल को ढीला करना और उसे बाहर निकालना होता है। यह तरीका विशेष रूप से तब उपयोगी होता है, जब कब्ज लंबे समय से बना हुआ हो और अन्य उपाय फेल हो गए हों।
वहीं, जर्नल ऑफ अफेक्टिव डिसऑर्डर्स में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, खराब लाइफस्टाइल के कारण तनाव होता है और इससे मेंटल हेल्थ पर असर पड़ता है।