Bihar Election: लोक जनशक्ति पार्टी (Ram Vilas) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने रविवार को घोषणा की है कि वह इस साल के आखिर में बिहार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे और वह कहां से लड़ेंगे इसका फैसला जनता करेगी। पासवान ने आरा में एक रैली में कहा, ‘हर कोई जानना चाहता है कि क्या मैं विधानसभा चुनाव लड़ूंगा। मैं घोषणा करता हूं कि मैं सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ूंगा। मैं अपने लिए नहीं बल्कि बिहार के लोगों के लिए चुनाव लड़ूंगा। मैं यह तय करना आप पर छोड़ता हूं कि मुझे किस सीट से चुनाव लड़ना चाहिए।’
चिराग पासवान ने साफ किया कि मैं एक बात बिल्कुल साफ कर देना चाहता हूं कि मेरे चुनाव लड़ने से मेरी पार्टी के लिए बेहतर स्ट्राइक रेट सुनिश्चित होगा। इससे एनडीए को मदद मिलेगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उनकी पार्टी एनडीए को विधानसभा चुनाव में भारी अंतर से जिताने के लिए हर संभव कोशिश करेगी। चिराग पासवान ने आगे कहा, ‘मेरा गठबंधन केवल बिहार की जनता के साथ है, मैं एनडीए को मजबूत बनाने के लिए सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ूंगा। मैं बिहार और राज्य की जनता के लिए जिऊंगा और मरूंगा।’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, चिराग पासवान की घोषणा को एनडीए के साथियों के साथ सीट बंटवारे की बातचीत से पहले अपनी पार्टी के लिए राजनीतिक फायदा हासिल करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। एनडीए की बड़ी सहयोगी बीजेपी और जेडीयू 100-100 सीटों पर नजर गड़ाए हुए है। जबकि केंद्रीय मंत्री पिछले साल के लोकसभा चुनावों में अपनी पार्टी के 100 पर्सेंट स्ट्राइक रेट का हवाला देते हुए कथित तौर पर 40 सीटों की मांग कर रहे हैं, जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (Secular) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) जैसे अन्य सहयोगियों ने भी मुट्ठी भर सीटों की मांग की है।
विधानसभा चुनावों के साथ ही बिखर रहा विपक्ष?
चिराग पासवान ने साल 2020 में अकेले चुनाव लड़ा था और लगभग 5.66 फीसदी वोट शेयर हासिल किया था। सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया एलजेपी (Ram Vilas) के मुखिया ने घोषणा करने के लिए शाहबाद क्षेत्र में आरा को चुना। इसके पीछे की वजह जेडीयू के लिए एक कमजोर क्षेत्र माना जाता है। आरजेडी, कांग्रेस और सीपीआई (ML) लिबरेशन वाले इंडिया ब्लॉक ने पिछले साल शाहबाद और आसपास के मगध क्षेत्रों में 40 लोकसभा सीटों में से 10 पर जीत हासिल की थी, जबकि निर्दलीय पप्पू यादव ने पूर्णिया में जीत हासिल की थी।
चिराग पासवान ने विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है। वे राज्य की पॉलिटिक्स में किंग तो नहीं किंगमेकर जरूर बना रहे हैं। बीजेपी नेता मृत्युंजय शर्मा ने हाल ही में इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि चिराग का यह रुख उनकी पार्टी के आधार को बढ़ाने के उनके प्रयासों से जुड़ा है। उन्होंने कहा, ‘ऐसा लगता है कि चिराग अपनी पार्टी की पहुंच को पासवानों की जाति पार्टी से आगे बढ़ाना चाहते हैं। वह युवाओं और महिलाओं जैसे कई अन्य वोटर्स ग्रुप को भी इसमें शामिल करना चाहते हैं। यही कारण है कि वह कहते हैं कि वह अनरिजर्व्ड सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं।’
शर्मा ने यह भी कहा कि नीतीश कुमार की पार्टी के मुकाबले चिराग पासवान की पार्टी छोटी है। ऐतिहासिक तौर पर जेडीयू हमेशा गठबंधन में भी लगभग 20 फीसदी वोट शेयर के साथ एक खास पार्टी रही है। इस तरह की भूमिका निभाने के लिए पासवान को अपने आधार का काफी विस्तार करना होगा। यह आने वाले 10 सालों में मुश्किल है।
आरा रैली में चिराग पासवान ने अपने चाचा और पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस पर भी जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा, ‘पिता की मृत्यु के बाद मेरी पार्टी टूट गई। फिर भी मैं टूटा नहीं। जिसे पिता जैसा होना चाहिए था, उसने मुझे मुश्किल में छोड़ दिया। बिहार के लोग ही थे जो संकट के समय मेरे माता-पिता बने।’ चिराग ने राज्य के विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ की। उन्होंने कहा, ‘बिहार में बिहार पहले, बिहारी पहले का नारा गूंजता रहेगा।’
चिराग ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी का नाम लिए बिना उन पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘दिल्ली से एक नेता हैं जो नियमित अंतराल पर बिहार आते हैं और राज्य को अपराध की राजधानी कहते हैं। मैं उन्हें याद दिलाना चाहता हूं कि आरजेडी के 15 साल के जंगल राज के दौरान कांग्रेस पांच साल तक सहयोगी रही थी। कांग्रेस के शासन में भी 1980 से 1990 के बीच बिहार में अराजकता थी।’ सत्ता की सियासत में नीतीश की नाराजगी